आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय घोषणापत्र 2014 Aam Aadmi Party manifesto 2014 (Hindi)

आम आदमी पार्टी घोषणापत्र 2014




विषय सूची


1. आम आदमी पार्टी के लिए वोट क्यों ?

स्वराज 

2. भ्रष्टाचार का अंत

3. शासन सीधा लोगों के हाथों में सौंपना

4. आम आदमी को शीघ्रता से और सरलता से उपलब्ध न्याय प्रदान करना

5. जवाबदेह, मानवतावादी नीति को सुनिश्चित करना

6. स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव, बेहतर प्रतिनिधित्व

शिक्षा और स्वास्थ्य

7. स्वास्थ्य: सभी नागरिकों की व्यापक रूप से एक समान पहुँच

8. सबके लिए शिक्षा (घर-घर में शिक्षा)

अर्थ व्यवस्था एवं पर्यावरण 

9. निश्छल अस्तित्व के साथ स्वस्थ और मजबूत आर्थिक विकास की सुगमता

10. युवाओं के लिए उत्तम रोज़गार एवं उपलब्धियो से युक्त आजीविका जुटाना

11. सुगम नियम,उत्तरदायित्वपूर्ण संस्थाएं, कपटी अर्थ-व्यवस्था का दमन

12. स्वच्छ वाणिज्य एवं व्यापार, उद्यमी उर्जा को प्रवाहित करना

13. नागरिक सशक्तिकरण- विशेष रूप से गरीब एवं असुरक्षितों को सशक्त बनाना

14. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ऊर्जित करना

15. किसानो की आजीविका को बेहतर बनाना

16. पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधन नीति

17. अनुबंधन मुक्त नौकरियां /रोज़गार

18. असंगठित क्षेत्र के लिए सामजिक सुरक्षा

19. बढती हुई कीमतों से आम आदमी की रक्षा

सामाजिक न्याय

20. लिंग भेद-भाव संबंधी न्याय

21. जातिगत असमानताओं का अंत

22. वाल्मीकि समुदाय को गरिमामय जीवन

23. धर्म-निरपेक्षता एवं सांप्रदायिक मेलभाव (सामंजस्य, सम्भाव)

24. मुसलमानों की सुरक्षा और उनके प्रति सद्भाव

25. आदिवासी: अपने खुद के विकास की ज़िम्मेदारी उठाना

26. विकलांग सशक्तिकरण

27. बंजारा एवं विमुक्त जातियाँ

28. पशु-कल्याण

खेल, संस्कृति और मीडिया

29. खेल एवं संस्कृति

30. मीडिया (संचार-माध्यमधारकों) सम्बन्धी नीति

राष्ट्रीय सुरक्षा

31. वाह्य सुरक्षा

32. विदेश नीति

33. आंतरिक सुरक्षा

1. आम आदमी पार्टी के लिए वोट क्यों ?


भारतीय लोकतंत्र आज दोराहे पर खड़ा है । आजादी के ६५ वर्ष बाद भी, अभी स्वराज का सपना पूरा होना शेष है । देश का लोकतंत्र एक उबाऊ नीरसता में सिमट कर रह गया है, जो हर पाँच वर्ष में होने वाले चुनावों, राजनीतिज्ञों व दफ्तरशाहों के हाथों होने वाली उपेक्षा और अपमान से जर्जर हो रहा है । राजनीतिक पार्टियाँ लोगों की आवाज़ को खोज पाने और सब तक पहुँचाने में सहायक होने के बजाय एक चुनावी यंत्र बन कर रह गई हैं । ये यंत्र, पहले मतदाताओं को पकड़ कर उनके आगे झूठे वायदों का ‘चारा’ डालते है और बाद में उन्हें ही ‘चारा’ बना कर इस्तेमाल करते हैं । इसके बाद, धन को सत्ता में बदलने और फिर सत्ता से धन बनाने के काम में अगले चुनाव आने तक लिप्त रहते हैं । राजनीतिक पार्टियाँ जनता को ‘सुशासन’ के छलावे मे रखती है लेकिन वह स्वायत्त सरकार का निदान नहीं होता । स्वराज का मतलब मात्र अंग्रेजों के शासन से मुक्ति नहीं था । स्वराज का मतलब है ‘अपना राज’ । लोगों का अपनी नियति पर नियंत्रण, अपनी कुशलक्षेम से सम्बंधित मामलों में निर्णय लेने का अधिकार, सत्ता के उपकरण को निर्दिष्ट करने का अधिकार और शासकों को उनके कार्यों के लिए उत्तरदायी ठहराने का अधिकार ।

स्वराज का तात्पर्य है – जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन, न कि नेताओं और बाबुओं का शासन ।

महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद बोस, भगत सिंह,अशफाक उल्लाह, चंद्र शेखर, रामप्रसाद बिस्मिल, मंगल पाण्डे से लेकर लाखों शहीदों ने देश की आजादी के लिए जान कुर्बान की । क्या उन लोगों ने अपना जीवन इसलिए बलिदान किया था कि अंग्रेजों के बजाय, उनके ही देशवासी, देश को लूटे ? उन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों ने एक ऐसे भारत की संकल्पना की थी जिसका उल्लेख हमारे संविधान की आमुख (प्रस्तावना) में किया गया है -

हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, धर्म निरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, सबमें प्राप्त करने के लिए, तथा उन सब में, व्यक्ति की गरिमा एवं राष्ट्र की एकता एवं अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख २६ नवम्बर १९४९ को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और स्वयं को इसके लिए अर्पित करते हैं ।

यह प्रस्तावना हमारे सपने को, आम भारतीय के सपने को वर्णित करती है । यह लोकतंत्र का, सामाजिक न्याय का, धर्मनिरपेक्षता और संप्रभुता संपन्न भारत का सपना है । संविधान की प्रस्तावना एक निष्पक्ष समाज का वचन देती हैं । यह स्वतंत्रता,समानता और भाई-चारे का वायदा है । यह वायदा आज तक पूरा नहीं हो पाया है । आज हमारा भारत तीन खतरों का सामना कर रहा है : भ्रष्टाचार, सम्प्रदायवाद और सांठ-गांठ का पूंजीवाद । ये खतरे हमारे देश की संरचना (ढाँचे) को और आम आदमी के जीवन को नष्ट कर रहे हैं । आज इन समस्याओं के समाधान के लिए देश के लोगों को एकजुट होने की ज़रूरत है । ‘आम आदमी पार्टी’ राजनीतिक शक्ति को भारत के लोगों के हाथ में वापिस लाने के लिए, नीतियों को आम आदमी के पक्ष में, आम आदमी के राय-मशविरे से बनाने के लिए कटिबद्ध है जिससे आम जनता, भ्रष्टाचार, सम्प्रदायवाद और सांठ-गांठ का पूंजीवाद जैसे खतरों से मोर्चा ले सके ।

‘आम आदमी पार्टी’ कोई ऎसी-वैसी पार्टी नहीं है, यह वो पार्टी है जो रामलीला मैदान और जंतर-मंतर के संघर्ष से जन्मी है । यह यहाँ पर सिर्फ़ चुनाव लडने नहीं आई है बल्कि यह तो खेल के नियम बदलने आई है । यह देश की राजनीति के कुरूप चेहरे को बदलने आई है । यह सरकार और जनता के सम्बन्ध को रूपांतरित करने आई है । यह यहाँ पर सच में ‘सरकार को लोगों का बनाने’ आई है । यह वो पार्टी है, जो भारत के हर आम पुरुष और महिला के दृष्टिकोण को, यथार्थ को, साथ लेकर आई है । यह पार्टी वो पार्टी नहीं है, जो कहती है – ‘मैं आपकी सारी समस्याएं सुलझा दूंगी’। इसका ध्येय है – ‘स्वराज’ यानी ‘आप का शासन’ मतलब कि यह शासन को आपके हाथों में लौटाना चाहती है , जिससे आप स्वयं अपनी समस्याओं का निदान खोज सके, खुद उनका समाधान निकाल सके ।



स्वराज 


2. भ्रष्टाचार का अंत


i - जनलोकपाल बिल 


जनलोकपाल एक स्वतन्त्र, सशक्त और जवाबदेह प्रशासनिक शिकायत जाँच अधिकारी/ लोकपाल के रूप में संकल्पित किया गया, जो स्वतन्त्ररूप से,विश्वसनीयता के साथ और बिना किसी देरी के अविलम्ब सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार संबंधी अपराधों की जाँच करे । जब कि यू.पी.ए. सरकार ने प्रगट रूप से लोकपाल बिल पास किया जो कि दंतहीन यानी अप्रभावी बिल है । जो भ्रष्टाचार से सबलता से नहीं लड़ सकेगा । इसलिए आ.आ.पा. एक सुदृढ़ भ्रष्टाचार विरोधी कानून, ‘जनलोकपाल बिल’ लाने के लिए कटिबद्ध है । इस बिल में निम्नलिखित बातों का प्रावधान होगा :

केन्द्रीय सरकार के सभी जनाधिकारी,(जिनमें प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्री और सांसद भी शामिल होंगे) ‘लोकपाल’ द्वारा की जाने वाली जांच पडताल के दायरों में आयेगें । केन्द्रीय सरकार के जनाधिकारियों को अपनी संपत्ति की वार्षिक रिपोर्ट देनी होगी । यदि संपत्ति की कोई भी चीज़ घोषित होने से रह जायेगी, तो वह ज़ब्त कर ली जायेगी ।

कोई भी सरकारी अधिकारी यदि भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया तो, वह अपने पद से हटा दिया जायेगा और उसे कारावास की सज़ा मिलेगी । संपत्ति की ‘अघोषणा’ ज़ब्त किए जाने का आधार बनेगी ।

भ्रष्टाचार के मामलों में निर्धारित समय सीमा में जांच-पडताल और सुनवाई होगी ।

लोकपाल को भ्रष्टाचार के आरोपियो के खिलाफ़ जांच जारी करने और कानूनी कार्यवाही करने का अधिकार होगा । संगठन के पास प्रशासनिक, राजकर संबंधी और जाँच की स्वायत्तता होगी । सी.बी.आई पर लोकपाल का शासकीय अधिकार और नियंत्रण होगा जिससे कि ‘जाँच प्रशासन’ सरकार से अलग स्वाधीन स्थिति में होगा ।

नागरिकों का शासन-पत्र (चार्टर) केन्द्र के सभी सरकारी कार्यालयों में दिया जायेगा । इस शासन-पत्र में सरकारी अधिकारियों की निर्धारित सीमा में दी जाने वाली उन अनेक प्रकार की सेवाओं का लेखा-जोखा होगा, जो वे नागरिकों को देंगे । शिकायत निवारण प्रणाली पेश की जायेगी और नागरिकों का शासन-पत्र से सम्बंधित किसी भी तरह का उल्लंघन दंडनीय होगा ।

’भ्रष्टाचारी’ के खिलाफ़ सचेत करने वाले (मुखबिर) को पूरी सुरक्षा प्रदान की जायेगी तथा न्यायपूर्ण व्यवस्था में योगदान हेतु उसे पुरस्कृत भी किया जायेगा ।

ii - स्वराज बिल : 


आ.आ.पा. स्वराज बिल को कानूनी रूप देगी जो ‘ग्राम सभा’ और ‘मौहल्ला सभा’ को अधिकार हस्तांतरित करेगा और इस तरह भ्रष्टाचार का स्थानीय स्तर पर दमन करेगा । स्वराज बिल के बारे में विस्तार निम्नलिखित अनुभागों में उपलब्ध है ;



iii - सरकारी प्रक्रिया का सरलीकरण 


अधिकतर सरकारी प्रक्रियाएं अनावाश्यकरूप से जटिल हैं और भ्रष्टाचार के अवसर प्रदान करती हैं । समूची सरकारी प्रक्रिया को सुगम बनाने का गंभीर प्रयास किया जायेगा ।

iv - सूचना तकनीक का प्रयोग 


 हम सूचना तकनीक के प्रयोग को प्रोत्साहित करेगें जिससे पारदर्शिता आए तथा सरकारी कम-काज में भ्रष्टाचार घटे ।

3. स्वराज : शासन सीधा लोगों के हाथों में सौंपना 


‘आम आदमी पार्टी’ सिर्फ़ सरकार बनाने के लिए ही नहीं,बल्कि मूलभूत रुप से शासन-व्यवस्था को रूपांतरित करने के लिए चुनाव लड़ रही है । हमारी यह दृढ धारणा है कि लोगों को निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए और सीधा उन्ही के द्वारा क्रियान्वित होना चाहिए । हमारी ‘स्वराज’ की संकल्पना में भारत का प्रत्येक नागरिक निर्णय ले सकेगा, जो उनके जीवन को प्रभावित करेगा । लोग निर्णय लेगें और चयनित प्रतिनिधि उनको क्रियान्वित करेगें । जीवन मे ‘स्वराज’ के स्वप्न को साकार करने के लिए ज़रूरी है कि निर्णय लेने के अधिकार ‘ग्राम-सभा’ और ‘मौहल्ला सभा’ को दिए जाएँ । हम स्वराज बिल को निम्नलिखित प्रावधानों के साथ पारित करायेगे :

i - प्रत्येक ‘ग्राम-सभा’ और ‘मौहल्ला-सभा’ को अपने क्षेत्र में विकास संबंधी कार्यों के लिए प्रतिवर्ष संयुक्त धनराशि दी जायेगी, जिसे वे अपनी प्राथमिकताओं और आवश्यकताओं के अनुसार इस्तेमाल कर सकेगीं । ग्राम-सभा (या मौहल्ला-सभा) यह निश्चित करेगीं कि किस तरह और कहाँ धनराशि का सदुपयोग किया जायेगा । जैसे उदहारण के लिए, ज़रूरत की कोई खास सडक बनवाना, विद्यालय में मरम्मत करवाना, दवाखाना खुलवाना,वर्षा जल का संचयन आदि, आदि ।

ii - सरकार द्वारा किए गए किसी भी काम के लिए धन राशि का भुगतान तभी किया जायेगा, जब ‘ग्राम-सभा’ और ‘मौहल्ला-सभा’ किए गए काम से संतुष्ट होगीं ।

iii - जब स्थानीय राशन की दुकान पर, अनियमितताएं और किसी भी तरह का अनाचार पाया जाएगा तो, ‘ग्राम-सभा’ (या मौहल्ला-सभा) वितरक का लाइसेंस रद्द करने के लिए और नए वितरक को लाइसेंस देने के लिए अधिकृत होगी

iv - ‘ग्राम-सभा’ (या मौहल्ला-सभा) को जो धन-राशि आवंटित की जायेगी, उसमें से उसे अपने क्षेत्र के लिए किसी भी तरह की योजनाएं बनाने के लिए स्वायत्तता होगी ।

v - ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोगों के सभी प्रमाण-पत्र (जैसे, जन्म, मृत्यु, जाति, आय प्रमाण-पत्र आदि) ‘ग्राम-सभा’ (या मौहल्ला-सभा) सचिवालय में निर्गत किए जायेगे । इन बुनियादी सेवाओं के लिए लोगों को तहसीलदार के कार्यालय में रिश्वत देने से मुक्ति मिलेगी ।

vi - ‘ग्राम-सभा’ (या मौहल्ला-सभा) को इस बारे में निर्णय लेने का अधिकार होगा कि उनके गाँव या मौहल्ले में शराब की दुकान खुले या न खुले । उन्हे अपने गाँव या मौहल्ले में शराब की दुकान को बंद करने का भी अधिकार होगा । किसी भी ‘ग्राम-सभा’ (या मौहल्ला-सभा) के इस निर्णय पर सहमति के लिए, कम से कम ५०% महिलाओं की निर्दिष्ट संख्या अपेक्षित होगी ।

vii - ‘ग्राम-सभा’ (या मौहल्ला-सभा) स्थानीय सरकारी विद्यालयों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के कार्यों और गतिविधियों का अनुवीक्षण और निरीक्षण करेगीं ।

viii - सरकारी योजनाओं से लाभान्वित लोगों जैसे - विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन आदि,आदि की ‘ग्राम-सभा ‘ (या मौहल्ला-सभा) द्वारा सूची बनाई जायेगी ।

ix - ‘ग्राम सभा’ (या मौहल्ला-सभा) में निर्दिष्ट संख्या सिर्फ़ अंकों में ही नहीं होगी, बल्कि अधिकारहीन समुदायों की न्यूनतम उपस्थिति पर आधारित होगी । सामजिक न्याय लोकपाल संस्था की रचना ‘ग्राम-सभा’ (या मौहल्ला-सभा) के निर्णय और कार्य, वैधानिक और संवैधानिक ढांचे के अंतर्गत हैं कि नहीं और वे किसी भी समूह या समुदाय के विरुद्ध भेदभाव तो नहीं कर रही, यह सुनिश्चित करेगी ।


x - कुछ ही वर्षों में जब ‘ग्राम सभा’ (या मौहल्ला-सभा) की कार्य प्रणाली अच्छी तरह स्थापित हो जायगी, तो विधान प्रक्रिया में उनकी भागीदारी की संभावना पर विचार किया जाएगा । उन विषयों की एक सूची बनाई जायेगी जिन पर ग्राम-सभाओं का राय-मशविरा अनिवार्य होगा । उन्हें कानून बनाने की शुरुआत करने का अधिकार भी दिया जायेगा, जिस पर बाद में राज्य विधान सभा और संसद विचार करेगीं ।

4. आम आदमी को शीघ्रता और सुगमता से न्याय दिलाए जाने की व्यवस्था :


आ.आ.पा. यह सुनिश्चित करने के लिए दृढता से समर्पित है कि आप आदमी को अविलम्ब, निष्पक्ष, वहन करने योग्य और जवाबदेह न्याय व्यवस्था मिलें । वर्त्तमान न्यायिक व्यवस्था के प्रमुख मुद्दे है - न्याय प्राप्ति का आम आदमी की पहुँच के बाहर होने का कारण है – अ)प्रक्रिया की विषमताएं और अदालतों व न्यायिक ढांचे से आम आदमी की भौतिक दूरी, ब) फैसला सुनाने में अत्यधिक देर करना, स) कमज़ोर अवसंरचना, शिथिल मानव संसाधन, किराए पर लेने की मांग करने वाला व्यवहार, और द) संवेदनशीलता की कमी, संभ्रांतवादी मानसिकता तथा न्यायाधीशों द्वारा आम आदमी की समस्याओं को समझने का अभाव ।

इस दिशा में आ.आ.पा. -

i - (आ.आ.पा.) ग्राम अदालतों की उचित संख्या तैयार करेगी, जिनकी प्रक्रिया बहुत सुगम और सरल होगी । जबकि २००८ के अधिनियम ने इस परिकल्पना को प्रारम्भ किया था, किन्तु ग्राम अदालतें असरदार न्याय देने वाली इकाई न बन सकी । आ.आ.पा. यह सुनिश्चित करने के लिए वचनबद्ध है कि छोटे-छोटे मुकदमें, जो आम आदमी के जीवन को गति से प्रभावित करते है, इस बात को ध्यान में रखते हुए - वे (ग्राम न्यायालय) उनके बारे में कार्यवाही करेगें ।

ii - (आ.आ.पा.) प्रक्रिया (जैसे कि सी.पी.सी., सीआर.पी.सी प्रमाण अधिनियम) अवधि अधिनियम कार्यविधिक कानूनों को सुगम बनायेगी -

iii - राज्य स्तर और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर ‘न्यायिक नियुक्ति आयोग’(JAC) गठित करेगी, जिससे निचली और उच्च अदालतों के न्यायाधीशों की नियुक्तियों की प्रक्रिया पारदर्शी बन सके ।

iv - (आ.आ.पा.) इसे अनिवार्य आवश्यकता बनाएगी (मूलभूत ‘जनलोकपाल’ सिद्धांत के अनुरूप) - न्यायाधीशों की संपत्ति का पूरा खुलासा, उसकी घोषणा और अघोषित संपत्ति का ज़ब्त किया जाना;

v - (आ.आ.पा.) हर स्तर की न्यायपालिका के तहत ‘गतिशील अदालतें’ स्थापित करेगी ।

vi - (आ.आ.पा.) पाँच वर्षों में अदालतों और न्यायिक शक्ति की संख्या दुगुनी करेगी ।

vii - (आ.आ.पा.) कम्प्यूटीकरण सहित अदालतों की वर्त्तमान अवसंरचना की अधिक सक्षमता के लिए, उन्हें बेहतर बनाएगी ।.

5. मानवीय एवं उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवस्था की सुनिश्चितता:


आज आम आदमी, ‘पुलिस’ को सुरक्षा देने वाले बल के रूप में नहीं, बल्कि दमन और उत्पीडन के रूप में देखता है । पुलिस अपनी स्थिति निर्धारण में, मूलभूत रूप से जनता-विरोधी औपनिवेशिक संस्था के रूप में बनी हुई है, मानो शासन पद्धति की विस्तारित और अक्सर मनमानी करने वाली शाखा । स्वराज का लक्ष्य पुलिस को ‘जन-मित्र’ बनाने के लिए मूलभूत दिशा निर्देश मांगता है । इसलिए ‘पुलिस बल’ में लाए जाने वाले सुधारों का लक्ष्य होना चाहिए - लोगों के प्रति अधिक जवाबदेह होना, व्यावसायीकृत होना, राजनीतिक दुरुपयोग से मुक्त अधिक स्वायत्त होना, (अनावश्क) अधिकारों से अलगाव,बेहतर प्रशिक्षण और खुद पुलिस के लिए काम करने के वातावरण का मानवोचित होना ।

i - पुलिस को राजनीतिक अधिशासन के दुरुपयोग से अलग करके, काम करने की स्वायत्तता प्रदान करते हुए

पुलिस सुधारों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लागू किया जाना ।

ii - स्थानीय ‘ग्राम-सभा’ (या मौहल्ला-सभा) के प्रति पुलिस की जवाबदेही ।

iii - कानून और व्यवस्था को बनाये रखने के लिए अलग से अधिकार तथा पुलिस के अलग-अलग दो खण्डों में जाँच-पडताल । पुलिस की हिरासत में रखे जाने का अधिकार खत्म कर दिया जाना चाहिए । हर तरह की हिरासत सिर्फ़ न्यायिक होगी और किसी भी तरह का जवाब-तलब भी न्यायिक हिरासत में ही किया जायेगा ।

iv - किसी भी पुलिस अधिकारी द्वारा शिकायत (एफ.आई.आर.) दर्ज़ करने की मनाही, दंडनीय अपराध माना जायेगा ।

v - पुलिस के जनता से संपर्क साधने के क्षेत्रों में वीडियों व्यस्वस्था सुनिश्चित करके, पुलिस के कार्य-संपादन में अधिक पारदर्शिता लाई जायेगी । जांच अधिकारी द्वारा आरोपी से जवाब-तलब भी वीडियों के तहत होगा ।

vi - पुलिस कर्मचारियों के प्रतिदिन काम करने के घंटे, आठ घंटों से अधिक न हों, निष्पक्ष, पारदर्शी, और पहुँच के अंदर ‘शिकायत निवारण व्यवस्था’ का प्रबंध होगा तथा कमर्चारी, मुखबिर की सुरक्षा की व्यवस्था का लाभ प्राप्त कर सकेगा । पुलिस कर्मचारी का, उच्च पुलिस अधिकारी के घर पर अर्दली या पहरेदार की तरह इस्तेमाल किया जाना खत्म कर दिया जाएगा । इस तरह पुलिस कर्मचारियों की काम करने की दशाओं को बेहतर बनाया जाएगा,

vii - बड़ी मात्रा में ‘पुलिस बल’ का वी.आई.पी. सुरक्षा के लिए प्रयोग का विरोध किया जायेगा ।

viii - पुलिस कर्मचारी की नियुक्ति स्तरीय और पारदर्शी ढंग से की जाएगी जिससे भ्रष्टाचार और पक्षपात की संभावनाओं को दूर किया जा सके । पुलिस कर्मचारी द्वारा किए गए उत्तम कार्यों के लिए पुरस्कार की प्रक्रिया संस्थागत होगी ।

6. स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव, बेहतर प्रतिनिधित्व : 


हालांकि हमारे देश में तथाकथित स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव इन शब्दों के नाम मात्र के अर्थ में उपलब्ध है, राजनीतिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली नागरिको को अर्थपूर्ण और सारपूर्ण चयन प्रदान नही करती और न ही यह राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा के लिए बराबर का खेल खेलने को मैदान प्रदान करती है । हमें ऐसे विविध प्रकार के दूरगामी राजनीतिक सुधारों की आवश्यकता है, जो लोकतांत्रिक उत्थान को गहरा करें और साथ ही ‘स्वराज’ के आदर्श (मॉडल) के तालमेल में भी हो । इसके लिए ‘आम आदमी पार्टी’ निम्नलिखित कदम उठाएगी -

i - चुनाव आयुक्त बहु-सदस्यीय संवैधानिक कमेटी द्वारा नियुक्त किये जाने चाहिए । चुनाव आयोग को इसके वे विविध अधिकार दिए जाने चाहिए, जिन्हें वह अपनी स्वाधीनता के लिए माँगता आ रहा है । साथ ही, नियम बनाने का तथा आयोग को प्रत्याशियों द्वारा दिए गए शपथ पत्र (हलफनामे) की जाँच का अधिकार दिया जाना चाहिए ।

ii - काला धन राजनीतिक पार्टियों के लिए कठोर प्रकटीकरण नियमों द्वारा, कर-विवरण के सख्त सूक्ष्म निरीक्षण द्वारा, व्यक्तिगत योगदान पर अंतिम सीमा और कुल सारे व्यय पर ‘वास्तविक सीमा’ द्वारा प्रतिबंधित किया जाना चाहिए ।

iii - राजनीतिक पार्टियों को सूचना और संचार माध्यमों पर समान पहुँच दी जानी चाहिए । संचार माध्यमों की तोड़-मरोड जैसे कि उन्हें धन-राशि देकर, अपने बारे में मनचाही बाते जनता तक पहुँचवाना, असीमित मीडिया विज्ञापन और सत्ताधारी पार्टी के प्रचार के लिए जनता के धन का दुरुपयोग करने पर नियन्त्रण किया जाना चाहिए ।

iv - राजनीतिक पार्टियों का आतंरिक कार्य-संपादन यह सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रित किया जाना चाहिए कि वे आधारभूत प्रजातांत्रिक प्रक्रिया का अनुसरण करती हैं या नहीं, ‘सूचना के अधिकार’ के तहत पारदर्शिता के नियम अपनाती हैं कि नहीं, संविधान द्वारा संस्तुत लेखा-परीक्षक (ऑडिटर) से अपने खाते निरीक्षित करवाती हैं कि नहीं।

v - चुनाव प्रणाली की प्रतिनिधित्वता को बेहतर बनाने के लिए, वर्त्तमान ‘जो ज़्यादा मत पाया वह जीता’ प्रणाली समानुपातिक प्रतिनिधित्व द्वारा पूरक बनाई जानी चाहिए ।

vi - ‘अस्वीकृत करने का अधिकार’ एवं ‘फिर से बुलाने का अधिकार’ के प्रावधान प्रारम्भ होने चाहिए ।

vii - देश की राजनीतिक प्रक्रियाओं और गतिविधियों में युवकों की भागीदारी बेहतर बनाने के लिए, चुनाव लडने वालों की न्यूनतम आयु सीमा २५ से २१ तक की जानी चाहिए ।

स्वास्थ्य एवं शिक्षा


7. स्वास्थ्य:सभी नागरिकों की व्यापक रूप से एक समान पहुँच


भारत की जन-स्वास्थ्य व्यवस्था संकट में है । आम आदमी की अच्छे किस्म की स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच नहीं है, और एक गंभीर बीमारी आदमी को गंभीर आर्थिक संकट में डाल सकती है । ‘आम आदमी पार्टी’ यह सुनिश्चित करने हेतु कमर कस के प्रयासरत है । इस देश के प्रत्येक नागरिक को ऊंचे किस्म की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए, चाहे वे गरीब हों या अमीर, इसके लिए आ.आ.पा. -

i - एक एक व्यापक रूप से लागू किया जाने वाला कानून – ‘स्वास्थ्य की देखभाल का कानून’ बनायेगी जिससे सभी गरीब-अमीर नागरिकों की उच्च किस्म की स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच हो सके । यह ‘शिक्षा के अधिकार के साथ-साथ शुरू किया जायेगा ।

ii - (आ.आ.पा) धनराशि, कार्यों और कार्यकर्ताओं का स्थानीय सरकार के उचित स्तर पर विकेन्द्रीकरण करके उपभोक्ताओं के प्रति जन-स्वास्थ्य व्यवस्था की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही को बेहतर बनाएगी ।

iii - (आ.आ.पा) निश्चित करेगी कि सभी ज़रूरी दवाईयां नियमित रूप से जन-स्वास्थ्य सुविधाओं के अंतर्गत उपलब्ध हों, और लोगों को नि:शुल्क मिलें । आ.आ.पा. प्रान्तों को थोक में ‘जेनेरिक’ दवाइयों की खरीद के लिए पारदर्शी ‘प्राप्ति प्रणाली’ अपनाने के लिए प्रेरित करेगी ।

iv - निजी स्वास्थ्य सेवाएं देने वालों की जवाबदेही को, प्राइवेट अस्पतालों द्वारा रोगियों के अधिकारों, विविध दवाओं की कीमत और सेवाओं के मूल्य को लिखित रूप से स्वास्थ्य केन्द्र पर लगा कर बेहतर बनायेगी । यह भी सुनिश्चित करेगी कि सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त निजी स्वास्थ्य सेवा केन्द्र, आम आदमी के प्रति अपने वचन का सम्मान करते हुए, उसे पूरी तरह निभाए ।

v - ‘आयुष’ (AYUSH - आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी) और स्थानीय पारंपरिक स्वास्थ्य निदान, जन-स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाये । इन औषधियों की पद्धतियों में शोध हेतु बड़े जनसमुदाय का निवेश किया जाए. यानी जनता इन चिकित्सा पद्धतियों को अधिक से अधिक अपनाए ।

vi - यह सुनिश्चित करना कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर सभी रिक्त स्थान भर चुके हैं कि नहीं । नीचे से पहली पंक्ति में सामने आने वाले कर्मचारियों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित वर्ग के रूप मे विकसित करके, मानव संसाधन में निवेश करना ।

8. सबके लिए शिक्षा : 


भारत की ‘सरकारी स्कूल पद्धति’ दयनीय स्थिति में बनी हुई है और आम आदमी सरकारी शिक्षा के अलावा, उत्तम किस्म की शिक्षा को वहन नहीं कर पाता । इस पृष्ठभूमि के विरुद्ध आ.आ.पा. - जिसके लिए आखिरी आदमी की ‘कुशल-क्षेम’, उसकी नीति और राजनीति के लिए ‘कसौटी’ के समान है, समाज के सभी वर्गों के लिए सच में न्यायसंगत रूप से पहुँच के अंदर प्रावधानों को सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता को पुष्टि करती है । इसके लिए आ.आ.पा. -

i - सभी बच्चो के लिए चाहे वे उसकी फीस दे पाए या न दे पाये, ऊंचे स्तर की शिक्षा तक ‘पहुँच का’, राज्य द्वारा प्रावधान करायेगी । उचित बजट के आवंटन, प्रशासकों एवं अध्यापकों की भर्ती और क्षमता निर्मिति के द्वारा जन-शिक्षा पद्धति को सशक्त बनायेगी ।

ii - कुल नामांकन, अनुत्तीर्ण होने वालों छात्रों की सूची, उत्तम शिक्षा, विद्यालयों में भेदभाव का अभाव तथा आगे उच्च शिक्षा तक पहुँच की सुविधाओं आदि को सुनिश्चित करके, लडकियों, पहली पीढ़ी के शिक्षार्थियों, गरीब परिवारों और सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों के छात्रों के लिए विशेष प्रावधान उपलब्ध कराएगी ।

iii - विद्यालय और अध्यापकों की ‘ग्राम-सभा’ या ‘मौहल्ला सभा’ को जवाबदेही के साथ विद्यालयों के प्रबंधन, सन्दर्भ युक्त पाठ्यक्रम बनाने में स्थानीय लोगो को संलग्न करेगी,

iv - संदर्भ युक्त प्रासंगिक पाठ्यक्रम, जो लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, न्यायसंगतता और निष्पक्षता और साथ ही, भारत की अनेक संस्कृतियों और जीवन शैलियों के लोकाचार में उतरा हुआ होगा, उसे केंद्रित करेगी ।

v - शिक्षा पद्धति, परिणाम को केंद्रित करने वाली होगी, न कि निवेश (इनपुट) को । (आ.अ.पा.) शिक्षा के परिणामों को केंद्रित करने के लिए जिला संस्थान शिक्षा एवं प्रशिक्षण और राज्य परिषद शैक्षिक शोध एवं प्रशिक्षण मे सुधार लाएगी और ‘अध्यापक शिक्षा प्रणाली’ को भी पुनर्निर्मित करेगी ।

vi - (आ.अ.पा.) समुचित क्षतिपूर्ति के लिए, निरंतर प्रशिक्षित और उत्तरदायित्व से काम करने वाले प्रशिक्षित अध्यापकों को पर्याप्त संख्या में पारदर्शी चयन प्रक्रिया द्वारा स्थायी रूप से नियुक्त करेगी ।

vii - व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए अधिक से अधिक संख्या में तकनीकि प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करेगी । तकनीकि शिक्षा प्राप्त छात्रों को प्रेरित करेगी और अवसर देगी कि वे अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करें ।

viii - विद्यालय के पाठ्यक्रम में व्यावसायिक और शैक्षिक शिक्षा का समन्वयन किया जायेगा । उच्च शिक्षा में भी व्यावसायिक डिग्रियों को समर्थन दिया जायेगा । उन्हें विकास की ओर ले जाया जाएगा । जनता द्वारा आर्थिक रूप से पोषित उच्च शिक्षा को खासतौर से, गुणवत्ता को बढ़ाने पर सरकार द्वारा बड़ी आर्थिक सहायता दिलाई जायेगी ।

ix - आई.आई.टी., ऐम्स, आई ए.एस.ई.आर. जैसे जनता द्वारा आर्थिक रूप से पोषित, वैश्विक स्तर के अनेक उच्च शिक्षा संस्थान यह सुनिश्चित करने के लिए स्थापित कराये जायेगें कि देश के प्रतिभाशाली छात्र चाहे वे किसी भी पृष्ठभूमि से हों, उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें ।

x- (आ.आ.पा) उच्च शिक्षा संस्थानों में सम्पोषण केन्द्र स्थापित करके, उद्यमों के लिए ऊच्च शिक्षा को रोज़गार के अवसरों से जोड़ेगी ।

xi - दिल्ली विश्वविद्यालय में अप्रजातांत्रिक तरीके से शुरू किए गए चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम को पीछे खदेडेगी ।

अर्थ व्यवस्था एवं पर्यावरण


आ.आ.पा. भारत के लिए एक प्रभावशाली, न्यायसंगत और पर्यावरण द्वारा बनी रहने वाली ‘अर्थव्यवस्था’ को पोषित करने वाले , संतुलित विकास मॉडल की परिकल्पना करती है, जहाँ -

मूलभूत ज़रूरते जैसे - भोजन, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, शौचालय तथा अन्य मूलभूत सुविधाएँ प्रत्येक व्यक्ति की पहुँच में होगी ।

किसान संपन्न और समृद्ध होंगे और अपनी आजीविका को सुरक्षित रख सकेगें ।

युवाओं को जीविका की सुनिश्चितता होगी और उन्हें उपलाब्धिपरक रोज़गार मिलेगा ।

इमानदारी से भरपूर उद्यमों /उद्योगों को प्रोत्साहित किया जायेगा और वे सक्रिय बनेगें ।

लोग सशक्त होगे और अपनी समुचित सामर्थ्य को अनुभूत कर सकेगें ।

कानून-व्यवस्था बिना किसी प्रभुत्व के लागू होगी तथा विवाद शीघ्रातिशीघ्र सुलझाये जायेगें ।

मानवीय और पर्यावरण सम्बन्धी पूंजी निरंतर समृद्ध होगी ।

‘कर-पद्धति’ सरलता, निश्चितता और पारदर्शिता पर आधारित होगी ।

... एक निष्पक्ष नीति के तहत पर्यावरण, सहभागितापूर्ण, पारदर्शी, उत्तरदायित्वपूर्ण संस्थाओं द्वारा समर्थित होगा

आ.आ.पा अपनी आर्थिक संकल्पना को, अपनी राजनीतिक आस्थाओं से सृजित करती है, जिसकी जड़े विकेन्द्रित प्रशासन, पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और न्यायसंगतता में हैं । इसका विश्वास है कि भारत एक विशिष्ट विकास मॉडल के रूप में विकसित होकर उभरेगा, जो भारत के नागरिको की आकांक्षाओ, इसकी जटिलताओं और मानदंडो को चुनौती देने वाला होगा । यह मॉडल निरंतर उत्तम और उत्कृष्ट होता जायेगा क्योंकि आ.आ.पा. भारतीयों की नीति निर्धारण प्रक्रिया एवं प्रमाण आधारित जानकारी के बढ़ते हुए व्यापक प्रतिनिधित्व को शामिल करने में विश्वास करती है । आ.आ.पा खुले दिलो-दिमाग से पावन व निश्छल दृष्टिकोण में आस्था रखती है, जो अंतर्देशीय और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय शासन में परम्परानिष्ठ विचारधारा से बंधा हुआ नहीं है । न ये वाम है और न दक्षिण, यह हर उस नए और पुराने उत्तम विचार का समर्थन करेगी, जो भारत के हित में होगा । इस सबके ऊपर, आ.आ.पा की आर्थिक नीति हमेशा भारतीय संविधान के ‘राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत’ से प्रेरित होगी ।

जैसे कि आज भ्रष्टाचार, सांठ-गांठ का पूंजीवाद, कु-शासन, उर्वरक अर्थव्यवस्था मे निवेश का अभाव, इन सब बुराईयों के एकसाथ मिल जाने से, इसने भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि और विकास को प्रभावित किया है । मुख्य धारा की राजनीतिक पार्टियाँ, जिन्होंने आज़ादी के बाद से, इस देश पर पिछले ६६ वर्षों से शासन किया है, उनके पास देश की समस्याओं के समाधान के लिए नए विचार और ताज़गी भरी सोच नहीं है । वे उसी पुरानी, भ्रष्टाचार और अप्रभावी सामाजिक व्यय (खर्च) से युक्त, अनुचित और न्यायविरुद्ध वृद्धि की वित्तीय कार्य-सूची का प्रतिनिधित्व करती हैं । अनेक सामजिक योजनाओं पर भारी धन राशि बिना किसी जवाबदेही और सकारात्मक परिणाम के खर्च की जा रही है । आज देश वर्त्तमान भ्रष्ट आर्थिक नीतियों का निदान खोज रहा है । आ.आ.पा इस प्रतीक्षित आर्थिक कार्यसूची के निदान को प्रतुत करेगी । स्वच्छ, खुला और पारदर्शी शासन आ.आ.पा की आर्थिक कार्यसूची के केन्द्र में हैं । ‘साफ-सुथरा और असरदार शासन’ आर्थिक व्यवस्था के दूरगामी स्थाई विकास का शरुआती बिंदु होगा ।

आ.आ.पा.न्यायसंगत और कायम रहने वाले आर्थिक विकास मे विश्वास करती है । वह सांठ -गाँठ के पूंजीवाद के खिलाफ है । इसके ही कारण आज देश को घुटने टेकने पड़े हैं । आ.आ.पा इस सांठ -गाँठ के पूंजीवाद को मिटाने के लिए अपेक्षित कदम उठाएगी । एक देश के रूप में, हमें पूँजी के विकास और विस्तार की उपलब्धि को केंद्रित करना होगा, जो परिणामस्वरूप लाखों रोज़गार देगी, सरकार सामाजिक दायित्वों और कर्तव्यों के खर्चे उठाने के लिए संसाधन पैदा करेगी । रोज़गार पैदा करना आ.आ.पा. की आर्थिक नीतियों का प्राथमिक लक्ष्य होगा और इससे वह ईमान से भरपूर व्यापार और उद्योगों को प्रोन्नत करेगी ।

9. निश्छल अस्तित्व के साथ स्वस्थ, मजबूत और सुगम आर्थिक विकास :


आ.आ.पा. की नीतियां भारत को एक स्थाई, न्यायसंगत, वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धापरक एवं उच्च विकास के प्रक्षेप पथ पर लाना चाहती है । आ.आ.पा. का विश्वास है कि गतिशील, मज़बूत, दुर्बल और न्यायविरुद्ध अर्थ-व्यवस्था समाज द्वारा कायम नहीं की जा सकती । इसलिए आ.आ.पा. की विकास की अवधारणा आम आदमी की ज़रूरतों, दक्षताओं, संसाधनों और आकांक्षाओं के सामंजस्य में होगी ।

i - आ.आ.पा. की नीतियां हर नागरिक को उसकी ज़रूरतों के इस क्रम - रोटी, कपड़ा और मकान से लेकर सुरक्षा, गरिमा, और व्यक्तिगत क्षमता व सामर्थ्य में, ‘सघन पूर्णता’ प्राप्त करने के लक्ष्य को सशक्तता से साधेगी ।

ii - आर्थिक और पर्यावरण संबंधी नीतियों को समन्वित करके, बीतते समय के साथ उनमें उत्तरोत्तर निरन्तरता बनाए रखते हुए, भावी पीढी की योग्यता के साथ समझौता किए बिना, कुशलक्षेम को अधिक से अधिक विकसित करेगी ।

iii - गतिशील अर्थव्यवस्था और अवसंरचना विकास में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों मे विश्व स्तर की अवसंरचना तैयार करेगी ।

10. युवाओं के लिए उत्तम रोज़गार एवं उपलब्धियों से युक्त आजीविका जुटाना : 




वर्त्तमान भयस्पद बेरोजगारी के अलावा, सभी आयु वालो मे फैला अल्परोज़गार चेताने वाला है । भारत में १२ मिलियन युवा प्रतिवर्ष नौकरियां खोजते हैं ।



i - आ.आ.पा. उन अर्थ नीतियों के माध्यम से जनसंख्या संबंधी लाभांश को निकालने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे युवको और युवतियों को कृषि, माल उत्पादन और अन्य सेवाओं वाले, ईमानदारी से युक्त उद्यमों में उत्तम रोज़गार और आजीविका के अवसर मिलेगें ।



ii - आ.आ.पा. व्यक्ति और देश, दोनों के विकास और उत्थान के लिए, आजीवन जानकारी और प्रभावी तकनीक की प्रतिभा के अवसरों को वहन करने के लिए प्रयास रत रहेगी ।

iii - आ.आ.पा. ईमानदार उद्योग प्रतिष्ठानों को प्रोन्नत एवं प्रोत्साहित करके रोज़गार जुटाने पर अपने को केंद्रित करेगी : यह भ्रष्टाचार को कम करके तथा अत्यधिक लाइसेंसों व नियमों की व्यवस्था को सरल बना कर ही सम्भव होगा ।

11. सुगम नियम,उत्तरदायित्वपूर्ण संस्थाएं, कपटपूर्ण अर्थ-व्यवस्था का दमन :


आ.आ.पा. एक दक्ष, उत्तरदायित्वपूर्ण और पारदर्शी सरकार का समर्थन करती है, जो अपनी नीतियों को समय के अंदर उचित ढंग से लागू करे और अपने कार्य-संपादन की नियमित समीक्षा करे । निहित स्वार्थों ने देश की व्यवस्था और प्रक्रियाओं को इतना जटिल बना दिया है कि परिवर्तन लाना कठिन हो गया है । जन-सेवा के प्रावाधानों मे भ्रष्टाचार के कारण भारत हर साल कई करोड खोता है । सम्मति की ऊंची कीमत, लाईसेंस-राज, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व का अभाव, बेबुनियाद व अनुचित देरी, व्यापार या तो शुरू ही नहीं होते और यदि होते हैं तो, उनकी उत्पादन क्षमता नाममात्र को बढती है, कर्मचारियों की संख्या समय के साथ घटती जाती है - इस स्थिति को सुधारने के लिए आ.आ.पा. -

i - नियमों-विनियमों को सुगम बनाएगी, कानून के प्रभावी शासन को सुनिश्चित करेगी, कानून-व्यवस्था को लागू करेगी, शीघ्र न्याय प्रदान करेगी, सत्यनिष्ठ सम्मति को प्रोत्साहित करेगी, चूककर्ता को भारी दंड देगी ।

ii - विदेशी बैंको में छुपा कर रखे गए, काले धन को भारत वापिस लाएगी,जो काला धन छुपाने के लिए दोषी पाए जायेगें, उनके खिलाफ़ निर्धारित सीमा में सख्त कार्यवाही करेगी ।



iii - भूमि,भवन बिक्री व्यापार में और संपत्ति के मोल-भाव में चारो ओर फैले काले-धन की कमाई को कम करेगी ।

iv - सरल, प्रगतिशील और बने रहने वाले आयकर ढांचे की ओर अग्रसर होगी । बेहतर सम्मति को लागू करते हुए, जी.डी.पी. अनुपात के अनुसार कर बढ़ाने के लिए लक्ष्य साधेगी ।

v - किसी तरह के क्षमादान कार्यकम अस्तित्व में नहीं रहेगे और आयकर से बच निकलने वालों से कर वसूलने के लिए सख्त कदम उठाएगी,

vi - सभी सरकारी सेवाओं में तकनीक और ई-शासन का सघनता से प्रयोग करेगी ।

12. स्वच्छ वाणिज्य एवं व्यापार, उद्यमी उर्जा को प्रवाहित करना : 


बनी रहने वाली वृद्धि और आजीविका निर्माण की माप, जिसकी भारत कामना करता रहा है, तब तक पूरी नहीं हो सकती जब तक कि हम अदमनीय भारतीय उद्यमी जज़्बे को अपने में नहीं जगाते । हमारा विश्वास है कि अधिकतर व्यापार ईमानदारी के होते हैं किन्तु वर्त्तमान भ्रष्ट वातावरण मे वे फल-फूल ही नहीं सकते।

i - आ.आ.पा. एक ‘इको प्रणाली’ तैयार करेगी, जिसके अंतर्गत प्रत्येक उद्यमी नागरिक या समुदाय की पूँजी, सूचना और अवसंरचना में पहुँच होगी, जिससे नवीन और उत्पादनशील उद्योग उपक्रम हमारे देश के विकास का नया इंजन बनेगा ।



ii - आ.आ.पा. का विश्वास है कि सरकार को व्यापार चलाने के व्यापार में नही होना चाहिए । उद्यमों के समृद्ध होने और रोज़गार पैदा करने के लिए प्राइवेट सेक्टर की सक्रिय भागीदारी अपेक्षित है । सरकार को भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण और कम खर्चे, कुशल और विश्वसनीय अवसंरचना के प्रावधान और सेवाओं तथा उर्वरक नवीनता की प्रेरणा द्वारा ईमानदारी आधारित उद्योगों प्रोत्साहित करना चाहिए ।

iii - स्वच्छ, खुला और पारदर्शी प्रशासन जो ईमानदारी आधारित व्यापारों के फलने-फूलने और अपने बलबूते पर सफल होने में मदगार होगा ।

iv - आ.आ.पा. की नीतियां बाज़ार की अर्थ-व्यवस्था में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को पोषित करेगीं और एकाधिकार व प्रतिस्पर्धा रहित नीतियों का दमन करेगी ।


13. नागरिक सशक्तिकरण - विशेषरूप से गरीब एवं असुरक्षितों को सशक्त बनाना   

आ.अ.पा. का  विश्वास है  कि भारत के नागरिको के सशक्तिकरण से सरकार के प्रयास बेहतर रूप से  सही दिशा पायेगें और अनेक प्रकार से परिवर्धित भी होंगे । अर्थ-व्यवस्था के विषय में विचार करते समय आ.आ.पा. गरीब और कमज़ोर वर्ग का निरीह चेहरा सबसे पहले याद करते हुए, यह सुनिश्चित करेगी कि इसकी नीतियों से उन्हें किसी प्रकार की हानि  न हो, और वे अपनी क्षमता और प्रतिभा के बल पर भारत की समृद्धि में योगदान कर सकें । आ.आ.पा. का सोचना है कि गरीब की सबसे अच्छी मदद उन्हें  गरिमा से उनकी आजीविका को कमाने की क्षमता और सामर्थ्य को बढ़ाते हुए, सशक्त बनाना है । इन वर्गों के जो लोग अक्षम है और  किसी भी तरह  की  उत्पादनशील आजीविका से रहित है, आ.आ.पा. उनके गरिमामय अस्तित्व के लिए, उन्हें सामाजिक-सुरक्षा आवरण उपलब्ध करायेगी ।

14. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ऊर्जित करना :


राष्ट्र के लिए, एक न्यायोचित और कायम बने रहने वाले विकास व संवर्धन के हेतु, आ.आ.पा. अब तक उपेक्षित ग्रामीण भारत के प्रचुर उद्भव, उत्तम खेती, एवं उत्पादनशील उद्यम के लिए हर सम्भव सुविधाएं देने को प्रयास रत होगी । समृद्ध कृषि सेक्टर के साथ, जीवंत, विकेन्द्रित ग्रामीण अर्थव्यवस्था एक ‘विस्तृत आर्थिक आधार’ देने में प्रधान रूप से निर्णायक होगी तथा भारत के लिए दीर्घकालीन भोजन, ऊर्जा, पर्यावरण संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी । आ.आ.पा. का विश्वास है -

i - अधिकांश भारत आज भी गाँवों मे बसता है । इसलिए गांवों के विकास और समृद्धि के बिना, भारत का विकास और प्रगति संभव नहीं । आ.आ.पा. यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि गांवों के लोगों को भी वे सब मूलभूत सुविधाएँ मिलें, जो उनके शहरी साथियों को उपलब्ध हैं ।

ii - अधिकारों का विकेन्द्रीकरण और ग्राम-सभाओं को उनका हस्तान्तरण अपेक्षित है जिससे वे अपने गाँवों के विकास के बारे में निर्णय ले सकें ।

iii - आ.आ.पा. आर्थिक दबाव के तहत बढते हुए प्रवास (माइग्रेशन) को रोकना चाहती है तथा परम्परागत उद्योगों, कुटीर उद्योग-धंधों, कृषि सेक्टर, बेहतर अवसंरचना उपलब्धि, सुगमता से उधार का मिलना, तकनीक का उचित दखल, सही कीमत का समर्थन; इन सबको सम्मिलित रूप से आगे बढ़ायेगी ।

iv - आ.आ.पा. द्वि-स्तरीय, त्रि-स्तरीय नगरों और छोटे शहरों में अवसंरचना निर्माण में निवेश करना चाहती है, जिससे वे अपने आस-पास के स्थानों के आर्थिक विकास के पुरोधा बन जाएँ ।

15. किसानो की आजीविका को बेहतर बनाना : 


ग्रामीण अर्थव्यवस्था विपत्ति में है और हर साल हज़ारो किसान आत्महत्या कर रहे हैं । एक ओर मंहगे बीजों और खाद के कारण खेती महंगी होती जा रही है, तो दूसरी ओर सरकार फसल की इतनी कम कीमत निर्धारित करती है, जिससे लागत भी नहीं निकल पाती । उदाहरण के लिए, राजस्थान में (2011-12) मक्का का ‘उत्पादन खर्च’ 1164/- रु. प्रति क्विंटल था लेकिन अधिकतम विक्रय दाम (अविदा) 980/- रु. था । ये ही कारण हैं जो किसान को आत्महत्या की ओर ले जाते हैं । सरकार द्वारा किसानो के नाम पर अरबों-खरबो धन खर्च कर दिए जाने पर भी, किसानों के जीवन और आजीविका में बहुत कम सुधार हुआ है । आ.आ.पा. की नीतियां मूल बिंदु को उत्पादन बढ़ाने के मुद्दे से हटाकर, किसानों को आय और गरिमामय आजीविका की सुनिश्चितता देने पर केंद्रित करेगी । ‘स्वामीनाथन आयोग’ द्वारा बनाई गई ‘राष्ट्रीय किसान नीति’ का मूलभूत सिद्धांत था, जो कभी लागू ही नहीं किया गया । आ.आ.पा. निम्नलिखित परिवर्तन लाएगी -

i - स्वामीनाथन आयोग रिपोर्ट की संस्तुतियो को लागू करेगी ।

ii - विभिन्न फसलों के लिए उचित और लाभकारी ‘अविदा’ (अधिकतम विक्रय दाम) निश्चित कराएगी, जो वास्तविक लागत से ५०% अधिक होगें । किसानों द्वारा सीधी प्राप्ति प्रणाली के माध्यम से या उचित समय पर बाजार में पहुँच बना कर, ‘अविदा’ को दालों, मोटा अनाज (बाजरा), तिलहन सहित २५ फसलों पर लागू कराएगी ।

iii - किसानो और साथ ही छोटे व किराये पर काम करने वाले निरीह किसानों की आत्महत्या को रोकेगी तथा उधार और बीमा तक उनकी पहुँच कराएगी ।

iv - ग्रामीण क्षेत्रों में उचित स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित करेगी, जो अक्सर किसानों की आत्महत्या का करीबी तात्कालिक कारण होता है ।

v - सुनिश्चित करेगी कि किसान कृषि उत्पाद संरक्षण (प्रोसेसिंग) उद्योगों और बाज़ार अवसंरचना में निवेश करके समूची आपूर्ति श्रंखला का अधिकतम अंश प्राप्त करे, जिससे की तकनीक और निवेश की ज़रूरत के लिए, कृषि उत्पाद बेकार न जाएँ । इसके अलावा,ग्रामीण अवसंरचना में निवेश के उचित तरीके विकसित करेगी ।

vi - पर्यावरण द्वारा सुरक्षित बने रहने वाले कृषि उत्पादों मे सहयोग करेगी, ऑर्गेनिक खेती के लिए विशेष बाजार भाव का प्रोत्साहन प्रदान करेगी तथा अनेक देसी फसलों और पशु-पालन को प्रोन्नत करेगी ।

vii - विशाल स्तर पर होने वाली सिंचाई परियोजनाओं के भार को घटाने के लिए स्थानीय वर्षा प्रबंधन की योजनाओं में अपेक्षित सहयोग देगी, ।

viii - प्रत्यावर्ततित न की जा सकने वाली तकनीक के प्रयोग से पहले, खाद्य पदार्थों, मानव स्वास्थ्य, तथा पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए, नवीन तकनीक से उगाई गई फसलों को नियंत्रित करेगी ।

16. पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधन नीति : 


प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न होने पर भी, अपने सुख चैन से भरे जीवन के लिए आम आदमी की इन मूलभूत संसाधनों तक पहुँच बहुत बुरी तरह कम कर दी गई है । हाल ही के बड़े-बड़े घोटाले जैसे - भूमि, कोयला, गैस, यहाँ तक कि ‘स्पैकट्रम’ भी सीधे प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन से जुड़े हैं, और उस बिंदु से जहाँ हमारी साझा संपत्ति अनैतिक ढंग से नष्ट-भ्रष्ट कर दी गई है, उससे हमारे लोकतंत्र के लिए गहराता हुआ खतरा खड़ा हो गया है । स्थानीय समुदायों, पर्यावरण और समाज, पीढियों की आतंरिक समानता और लोगो के धनकोष की तनिक भी परवाह न करते हुए, आधिकांश राजनीतिक वर्गों ने अपने देश के लुटेरों को प्राकृतिक संसाधनों को लूटने दिया है । आ.आ.पा. सुनिश्चित करेगी -

i - बड़े-बड़े प्राकृतिक संसाधनों की मिल्कियत जैसे - खनिज, जल, बन, ये राज्यों के अधिकार मे रहेगें । छोटे खनिज और छोटे बनो से उत्पन्न चीज़े तथा वर्षा का जल स्थानीय समुदायों के अधिकार में रहेगा ।

ii - स्थानीय समुदाय (ग्राम-सभाएं) प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निबाहेगें । खनिज, जल और बनों का दुरुपयोग और शोषण ग्राम-सभा के दायरे वाले क्षेत्रों में नहीं होगा । उनका ‘उचित प्रयोग’ ग्राम-सभा की सहमति लेने पर ही सम्भव होगा ।

iii - प्राकृतिक संसाधनों का ‘व्यावसायिक उपयोग’ स्थानीय समुदायों के साथ, संसाधनों से मिलने वाले स्वत्व शुल्क (रॉयल्टी) और राजस्व (रेवेन्यू) के लिए किए गए अनुबंध पर आधारित होगा, साथ ही, यह सुनिश्चितता होगी कि जो विकास की कीमत अदा करते हैं, वे भी लाभान्वित होने हेतु, इस लाभ-प्राप्ति प्रक्रिया का हिस्सा हैं । ‘ग्राम-सभा सहकारी समितियाँ ’ प्राथमिकता से खनिजों का व्यावसायिक उपयोग कर सकेगी ।

iv - यदि बड़े प्राकृतिक संसाधनों के व्यावसायिक उपयोग हेतु व्यक्तियों को हटाने की ज़रूरत पड़ी तो, ग्राम-सभा की सहमति लेनी आवश्यक होगी तथा हटाये गए लोगों के लिए आजीविका के स्रोतों का निदान प्रस्तुत किया जायेगा ।

v - पर्यावरण एवं वन सुधार मंत्रालय और इसकी एजेंसियां ग्राम-सभाओं को अपने प्राकृतिक संसाधनों की प्रबंधक और संरक्षक होने के कारण सशक्त और सुगम बनायेगी ।

vi - ऊर्जा के नवीन करने योग्य संसाधनों की स्थिति को विस्थापित करते हुए - नवीकरणीय ऊर्जा के समाधानों के विकेन्द्रीकरण को प्रोन्नत करना, जैसे; सौर-ऊर्जा, बायो-गैस प्लांट, पनचक्की, पवनपम्प जिससे अवसंरचना और रख-रखाव का खर्च कम होगा तथा स्थानीय स्वामित्व को प्रोत्साहन मिलेगा ।

vii - स्थानीय व विकेन्द्रित जल-स्रोत संसाधनों के विकास को प्राथमिकता दी जायेगी, जैसे - वर्षा-जल संचयन, पनढाल विकास (इससे कई नदियाँ निकलती है), भू-जल संक्षरण कार्यक्रम, लघु योजनाएं तथा निदान रूप फसल उगाने की गतिविधियां ।

भू-अभिग्रहण नीति

पिछले कुछ दशकों से देश ने बड़े पैमाने पर भू-अभिग्रहण देखा है । भू-अभिग्रहण वह प्रक्रिया है जिसके कारण भूमि पर निर्भर समुदाय अक्सर बहुत अधिक तनाव और दबाव से पीड़ित होते हैं और खोई हुई आजीविका से समझौता नहीं कर पाते; जब तक कि उन विस्थापित समुदायों को उचित साधन और कौशल प्रदान नहीं किया जाए । इससे देश में सघन सामाजिक असंतोष खड़ा हो जाता है । नया भू-अभिग्रहण अधिनियम संसद द्वारा २०१३ मे पास किया गया था । जैसे कि यह अपने में एक अच्छी शुरुआत है, अत: आ.आ.पा. एक निष्पक्ष पुनर्स्थापन के लिए काम करना चाहेगी -

यह सुनिश्चित करते हुए कि वह सारा भू-अभिग्रहण जो सितम्बर २०११ (वह तिथि जब बिल संसद में प्रस्तुत किया गया था) के बाद हुआ, वह इस नए अधिनियम के विस्तार क्षेत्र के अंतर्गत आए ।

यह सुनिश्चित करते हुए कि ‘जनता के हित’ इस शब्द का एक ढंग से परिभाषित विस्तार क्षेत्र, जिसके लिए भूमि ली गई है ।

यह सुनिश्चित करते हुए कि भू-अभिग्रहण ग्राम-सभा की सहमति से ही किया गया हो ।

यह अनिवार्य बनाते हुए कि प्रति परिवार एक सदस्य को रोज़गार दिया जायेगा, क्योकि ज़मीन और आजीविका उसके हाथों से जा रही है ।(यह नए अधिनियम के अनुसार अनिवार्य शर्त नहीं है, बस एक निवेदन है) जिससे कि जो लोग विकास की कीमत दे रहे हैं, वे इस प्रक्रिया के लाभ-भोगी (लाभ-प्रापक) बन सकें ।

17. अनुबंधन मुक्त नौकरियां /रोज़गार 


पिछले १०-१५ वर्षों से, इस देश के विभिन्न क्षेत्रों में आजीविका का ढांचा बहुत तीव्रता से अनुबंधन वाली नौकरियों की ओर बढ़ गया है । जैसे कि कार्यकर्ता से उत्तरदायित्व की ज़रूरत होती है, उस दृष्टि से अनुबंधन एक अत्यधिक शोषक प्रक्रिया है क्योंकि नौकरी से मिलने वाले मूलभूत लाभ और सुरक्षाएं जो स्थाई सदस्यों को मिलती हैं, वे अनुबंध पर काम करने वाले लोगों को नहीं मिलती । उदाहरण के लिए, भविष्य-निधि कटौती, कर्मचारी राज्य बीमा आदि की राशि, अनुबंध पर काम करने वालों के खाते में जमा नहीं की जाती । बहुत से लोग पूरे वर्ष (तनख्वाह सहित) एक भी अवकाश के बिना काम करते हैं । आ.आ.पा. नौकरियों में इस तरह के शोषण के खिलाफ है । हम काम करने वालों की स्थिति में अपेक्षित सुधार लाने के लिए निम्निलिखित कदम उठायेगे :

i - हम उन पदों के लिए आजीविका को अनुबंधित करने की अनुमति नहीं देगें, जिन पर नियुक्त हो कर पूरे वर्ष काम करना अपेक्षित और अपरिहार्य होता है । उदाहरण के लिए, डाक्टर, अध्यापक, नर्स, वाहनचालक, सफाई कर्मचारी आदि । इनकी नौकरियां स्थाई (नियमित) कराई जायेगी, जिससे इन्हें स्थाई कर्मचारियों वाले सभी लाभ मिलें ।

ii - .वे नौकरियां जिनमें कुछ दिनों या महीनों के लिए नौकरी पर रखा जाता है जैसे भवन निर्माण आदि, वहाँ अनुबंधित श्रम को समाप्त करना सम्भव नहीं है । फिर भी, इन क्षेत्रों में हम काम करने की बेहतर स्थितियों को सुनिश्चित करने का प्रयास करेगें ।

iii - कम से कम दिहाडी (दैनिक वेतन) के नियम को सख्ती से लागू किया जायेगा और इस सम्बन्ध में कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ़ सख्त कार्यवाही की जायेगी ।.

iv - कैंटीन, वर्दी, कंपनी वाहन आदि को लेकर अनुबंधित कर्मचारियों के साथ किसी तरह का भेद भाव नहीं किया जायेगा ।

18. असंगठित क्षेत्र के लिए सामाजिक सुरक्षा 


भारत में काम करने वालों का ९२ प्रतिशत असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत है । इसमें घरेलू नौकर, मज़दूर, सुरक्षा पहरेदार, कचरा बीननेवाले, फुटकर दुकानों और रेस्तरां में काम करने वाले नौकर, ठेलेवाले आदि हैं, जो समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं किन्तु अक्सर बेहद शोषक परिस्थितियों में काम करते हैं । इसलिए असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत लोगों की दशा में सुधार लाने के लिए आ.आ.पा. निम्नलिखित कदम उठाएगी -

i - उनके वेतन, काम करने के घंटे, कार्यस्थल पर अपेक्षित सुविधाएँ - इन सबके लिए ज़रूरी मार्गदर्शन को सुनिश्चित करेगी ।

ii - उनके काम करने की स्थितियों और उचित स्वतंत्रता को नियंत्रित करेगी, जिससे अक्सर नज़र आने वाला पुलिस का उत्पीडन रोका जा सके ।.

iii - न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा जैसे - स्वास्थ्य की देख-रेख, वृद्धास्वस्था पेंशन, दुर्घटना सहायता आदि को सुनिश्चित करेगी । सहायक योजनाओं को विकसित करने की सम्भावनाओं को खोजने का प्रयास करेगी ।

19. बढती हुई कीमतों से आम आदमी की रक्षा 


आज आम आदमी की सबसे बड़ी समस्याएं है - जीवन में ज़रूरी चीजों की बढती हुई कीमते और बेरोज़गारी । सांख्यिकी के अनुसार लोगों का वेतन बढ़ गया है लेकिन साथ ही, मूलभूत ज़रूरतों जैसे : बिजली, पानी, सब्जियां, अनाज, पेट्रोल, डीजल, शिक्षा और स्वास्थ्य आदि की कीमतें इतनी बढ़ गई है कि अधिकतर परिवारों की आर्थिक स्थिति पहले से अधिक दयनीय हो गई है । चाहे प्याज हो या टमाटर, या पानी और बिजली, या बच्चों के स्कूल की फीस, सभी कुछ आज बेहद मंहगा हो गया है । आम आदमी के लिए, मंहगाई रोज़मर्रा की ज़रूरतों की कीमतों में प्रतिबिंबित होती है । इस बारे में आ.आ.पा. निम्नलिखित कदम उठाएगी -

i - आम आदमी की मूलभूत चीजों और अन्य ज़रूरतों की आकाश छूती कीमतों के पीछे, भ्रष्टाचार और सांठ-गाँठ का पूंजीवाद ये दो भारी कारण है । आ.आ.पा. सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार का सामना करने के लिए कटिबद्ध है । यह बढती हुई कीमतों से लडने का एक महत्वपूर्ण कारक (घटक) होगा ।

ii - फुटकर और थोक व्यापार में सामान गोदामों में जमा करने और ऊँचा लाभ कमाने के विरुद्ध कठोर कदम उठाये जायेगें । काला बाजार बिना राजनीतिक संक्षरण के ज़िंदा नहीं रह सकता । इस दिशा में आ.आ.पा. कानून और सरकार की पूरी ताकत का प्रयोग करेगी । काला बाजारी करने वाले गिरफ्तार किये जायेगें, उनके गोदामो पर छापे मारे जायेगें, इकठ्ठा किया हुआ माल निकलवाया जायेगा, जिससे खाद्यान्न, सब्जियां और फल कम दामों पर मिल सकेगीं ।

iii - शिक्षा का खर्च हर परिवार के बजट का एक अच्छा खासा अंश होता है । हम प्राइवेट स्कूलों की निरंकुश फीस को नियंत्रित करने के लिए कानून लायेगें, साथ ही उनके द्वारा लिए जाने वाली दान-राशि पर भी प्रतिबन्ध लगायेगें । हम सरकारी स्कूलों के स्तर में सुधार लायेगें, जिससे आम आदमी अपने बच्चों को शिक्षा की गुणवत्ता की सुनिश्चितता के साथ वहाँ पढने भेज सके । ये कदम शिक्षा के अनियंत्रित खर्चे कम करने में सहायक होंगें ।

iv - हम सरकारी अस्पतालों की संख्या बढाएगें और उनकी सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनायेगे, जिससे आम आदमी इन सेवाओं का पूरी तरह लाभ उठा सके । इससे डाक्टरों और इलाज पर होने वाला खर्च कम हो सकेगा ।

v - राशन की दुकाने और वितरण प्रणाली आम आदमी की बढ़ी हुई कीमतों से रक्षा करती हैं । लेकिन आजकल राशन की दुकानों की व्यस्वस्था भी भ्रष्टाचार में ढल गई है । आ.आ.पा. सरकार ‘मौहल्ला सभाओं’ को वितरण-व्यवस्था से जोड़ कर, इस भ्रष्टाचार को खत्म करेगी । हम सीधे धन राशि स्थानान्तरित करने के बजाय, राशन की सामग्री ही परिवारों को स्थानान्तरित करायेगें और वितरण-व्यवस्था में दाल व तेल भी शामिल करायेगें ।

सामाजिक न्याय


20. लिंग भेद-भाव संबंधी न्याय 


हम ऐसी दुनिया की संकल्पना करते हैं जिसमे महिलाओं की अपनी एक ‘पहचान’ होगी और पूरे सम्मान के साथ उनके अस्तित्व को स्वीकृति मिलेगी । उन्हें समानता का दर्ज़ा दिया जायेगा । वे पुरुषवादी उग्र सोच का शिकार नहीं होगी। पुरुष शासित उन मूल्यों को अपनाने के लिए बाध्य नहीं होगीं, जो सदियों से उनकी सामाजिक और पारिवारिक भूमिकाएं तय करते चले आ रहे हैं । हमारी नीति के सम्पूर्ण सांचे में ‘आम नारी’ को केन्द्र में रखा जाएगा । हम अपने को लोकतांत्रिक, आधुनिक और प्रगतिशील देश का वासी तभी कह सकेगे, जब हम सच में नारी के अधिकारों, सुरक्षा, समानता और सशक्तिकरण को लेकर प्रगतिशील सोच और नजरिया अपनाएगें । इस दिशा में -

i - हम लिंग आधारित भेद-भाव और हिंसा की परम्परा को खत्म करने के लिए, विशद और दूरगामी जन-शिक्षा कार्यक्रम लागू करेगें । इसमे - एस.एम.एस. रेडियो, टी.वी., जन-सेवा अभियान, स्कूलों के लिए आसानी से प्राप्त किए जा सकने वाले पाठों की रूप-रेखा, शिक्षक और डाक्टर व वकील आदि व्यावसायिको के प्रशिक्षण के लिए मापदंड (मॉड्यूल) शामिल होंगे । इसके लिए हम शहरों और गाँवों दोनों क्षेत्रों में पुरुषों, स्त्रियों, लडकों और लडकियों के साथ संपर्क स्थापित करेगें ।

ii- आ.आ.पा. लिंग आधारित गर्भपात को तनिक भी सहन नहीं करेगी और इसे अपनाने वालों के विरुद्ध कानून को मज़बूत बनाकर, उल्लंघन करने वालो के लिए सख्त दंड लागू करते हुए, केन्द्रीय, प्रांतीय और स्थानीय स्तर पर सघन संवेदनशील अभियान प्रारम्भ करने के लिए बजट निर्धारित करेगी और इस तरह इसकी पूरी तरह समाप्ति की ओर कदम उठाएगी ।

iii - महिलाओं के लिए सुरक्षित, गरिमामय और लाभकारी पारिश्रमिक प्रदत आजीविका सुनिश्चित करेगी । सभी क्षेत्रों में समान कार्य के लिए समान वेतन दिलाए जाने के लिए रूप-रेखा बनाई जायेगी । आंगनवाडी से लेकर ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम’ (MNREGA) कार्यकर्ताओं के लिए अधिकार, गरिमा, संगठित व असंगठित क्षेत्रों में सभी महिला कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन निश्चित कराएगी ।

iv - आ.आ.पा. सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक सरकारी संगठन महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को खत्म करने हेतु, कानून लागू करने के लिए विस्तृत कार्य-योजना बनाए । आ.आ.पा. हिंसा के अपराधों की शिकार महिलाओं को समुचित मदद देने के लिए राज्य सरकरों के साथ काम करेगी और उन्हें २४ घंटे चलने वाले संकटकालीन केन्द्रों को स्थापित करने व केन्द्रों को आर्थिक सहायता देने, हर पुलिस जिले में सुरक्षित शरण तथा अविलम्ब आर्थिक मुआवजा दिए जाने के लिए प्रेरित करके मदद करेगी ।

v - महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा के अपराधों के संदर्भ में निष्पक्ष, प्रतिक्रियाशील एवं तुरंत न्याय प्रदायी अदालतें स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ कार्य करेगी ।

vi - संसद और राज्य विधान सभाओं में ३३% महिला-आरक्षण को और बोर्ड से जुडी परिषदों, कमेटियों और कर्मी दलों से सम्बंधित नीतियों व गतिविधियों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करेगी । लोकसभा में नारी-द्वेषी व्यवहार और व्यंग्य को खत्म करने के लिए, एक आचार-संहिता अपनाने के लिए समर्थन देगी ।

vii - अनुभवी लोगों को पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा चयनित करके राष्ट्रीय और राज्य महिला आयोग की स्वायत्त कार्य प्रणाली को सशक्त बनाएगी ।

viii - महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की एक विशद ‘विज्ञप्ति व्यवस्था’ स्थापित करके, उसे लागू करेगी और उसका प्रचार व प्रसार करेगी । सेवा-नियमों को बदलने के लिए राज्य सरकारों के साथ काम करेगी तथा सुनिश्चित करेगी कि पुलिस और अभियुक्तिक भर्ती, प्रोन्नति, दंड, प्रवृति और कार्य-संपादन लिंग आधारित तो नहीं है । गाँवो और शहरो की मार्गदर्शक योजनाओं के साथ-साथ, बलात्कार के संकट का सामना करने वाले समूहों को स्थापित करेगी ।

21. जातिगत असमानताओं का अंत 


हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ‘अछूत’ के रूप में भेद-भाव का शिकार बना हुआ है, और अतीत में गंभीर अपमान और अन्याय झेल चुका है । आज आजादी के ६५ वर्ष बाद भी देश के कुछ भागों में जाति-गत असमानता और अस्पृश्यता बनी हुई है । संविधान के अनुसार जाति,लिंग, और धर्म व जन्म के आधार पर भेद-भाव नहीं होना चाहिए, किन्तु फिर भी भेद-भाव अपनी जड़े फैलाये हुए है । यह समाज का उत्तरदायित्व है कि वह सभी लोगों को प्यार और सम्मान दे और वे साथ-साथ आगे बढ़े । भारतीय संविधान ने सामाजिक और आर्थिक न्याय तथा समानता के अवसर सुनिश्चित करके, सभी भारतीयों के बीच भाई-चारे की परिकल्पना की । आरक्षण प्रणाली सामाजिक असमानता के समाधान के लिए ही शुरू किया गया था । लेकिन दुर्भाग्य से, जाति-गत असमानता आज भी बनी हुई है और सारी राजनीतिक पार्टियां आरक्षण के मुद्दे को अपने वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करती रही है । निहित राजनीतिक स्वार्थों ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि जो सबसे अधिक समाज के हाशिए पर खड़े हुए है, वे वर्ग उपेक्षित हुए अधिकार हीन ही बने रहते हैं और वोट बैंक का चारा बनते हैं । आ.आ.पा. का विश्वास है कि -

i - असमानता से भरे, आज के समाज में, पिछड़े हुए और कमज़ोर लोगों के लिए आरक्षण आवश्यक है । इसलिए हम उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों में विद्यमान संवैधानिक प्रावधान का समर्थन करते हैं । हम आरक्षण के विद्यमान संवैधानिक प्रावधान को प्रभावी रूप से लागू किए जाने की सुनिश्चितता के लिए कटिबद्ध हैं ।

ii - इन अधिकार हीन समूहों से आरक्षण के लाभ उन्हें मिलने चाहिए जिन्हें इनकी सबसे अधिक ज़रूरत है, इसलिए जिन्हें आरक्षण के लाभ मिल चुके है, उन्हें पंक्ति में पीछे चले जाना चाहिए । इस तरह से आरक्षण के लाभ उन्हें मिल सकेगें,जो इनसे अभी तक वंचित हैं ।

iii - समानता के अवसर सरकारी स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों का उत्थान और उनका प्रसार माँगते हैं । हम सब बच्चों के लिए चाहे वे अमीर है या गरीब - सभी के लिए उच्च गुणवत्ता वाली स्कूली शिक्षा और उसके बाद, उच्च शिक्षा को सुनिश्चित करने लिए कटिबद्ध है ।

iv - व्यापार और उद्योग स्थापित करने के लिए, समर्थन और प्रेरणा देकर, बढते हुए जीविका के अवसर जिसमे ऋण , बाज़ार हेतु समर्थन आदि होगा, उन्हें हम समाज हित में सुनिश्चित करेगें ।

v - हमारा लक्ष्य होगा - जाति-गत असमानता और अस्पृश्यता को लेकर बनी मानसिकता को बदलने के लिए दूर-दूर तक जनता को शिक्षित करना, एक सभ्य और सांस्कृतिक माहौल को सर्जित करने के लिए अभियान चलाना, जो विभिन्न जातियों के मध्य सौहार्द और सद्भाव को पोषित करे ।

22. वाल्मीकि समुदाय को गरिमामय जीवन 


सदियों से वाल्मीकि समुदाय ने अस्पृश्यता और शोषण के गंभीर रूपों को सहा है । उनमे कर्मचारियों का विशाल हिस्सा कचरा उठाने और सफाई के काम में लगा है । आज तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने सफाई कर्मचारियों की दशा को, शिक्षा, आजीविका के बेहतर अवसरों के माध्यम से या उनकी गरिमा बढ़ा कर, सुधारने का प्रयास नहीं किया है. । आ.आ.पा वाल्मीकि समुदाय के लिए निम्नलिखित कदम उठाएगी :

i - वाल्मीकि समुदाय के अनेक सदस्य ‘सफाई कर्मचारी’ के रूप में या भवन निर्माण कार्यों में मज़दूर के रूप में अथवा दैनिक वेतन भोगी के रूप में कामों मे लगे हुए हैं । आ.आ.पा ‘सफाई कर्मचारी’ के पद का अनुबंधन समाप्त करेगी और वर्त्तमान कर्मचारियों के रोज़गार को नियमित करवाएगी । शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से आ.आ.पा उन्हें प्रोन्नति और बेहतर भविष्य के अवसर भी दिलाएगी ।

ii - वाल्मीकि समुदाय आज तक ‘सफ़ाई कर्मचारी’ के रूप में ही काम करता रहा है, इसका मुख्य कारण है - अच्छी शिक्षा के अवसरों का अभाव । गरीबी ने उन्हें, उनके बच्चो को सदा सरकारी स्कूलों मे भेजने के लिए विवश किया, जहाँ शिक्षा का स्तर सामान्तया निम्न होता है, जिससे वे उच्च शिक्षा के काबिल नहीं बन पाते और न ही अन्य क्षेत्रों मे आजीविका कमा पाते हैं । आ.आ.पा सरकारी स्कूलों और कालेजो के स्तर को बेहतर बनवा कर, उन्हें अच्छी शिक्षा के बेहतर अवसर प्रदान करेगी । इसके अतिरिक्त समुदाय के अन्य सदस्यों को भी कॉलिज और विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करके, अपेक्षित प्रावधान दिए जायेगे ।

iii - आ.आ.पा यह भी सुनिश्चित करेगी कि वाल्मीकि समुदाय के लोगों को शिक्षा और आजीविका पाने में किसी तरह के भेदभाव का सामना न करना पड़े । उन्हें कम ब्याज की दरों पर ऋण दिलवा कर, अपना उद्योग स्थापित करने में मदद की करेगी ।

iv - कर्मचारियों को गंदे पानी में उतर कर उसकी निकासी का काम करते समय, आग्नि-शमन कर्मचारियों की भांति सुरक्षा - उपकरण सफाई सूट, मास्क,मशीन और जीवन-बीमा दिलाने की ओर कदम उठाएगी ।

23. धर्म-निरपेक्षता एवं सांप्रदायिक मेलभाव 


भारत का निर्माण इस दृढ विश्वास पर हुआ था कि विभिन्न आस्थाओं और विचारधाराओं के लोग एक दूसरे को सहेगें नहीं, बल्कि एक दूसरे से सीखेगें और कुछ महान उपलब्धि के लिए साथ-साथ आगे बढेगे, समृद्ध व सम्पन्न होंगे । आ.आ.पा का विश्वास है कि यह देश सभी धर्मों के लोगों का है । हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध - इनमे से किसी एक भी अनुपस्थिति होने पर, देश अधूरा हैं । देश की विभिन्नता ही इसका विशेष गुण है, पहचान है । जो लोग धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं, उनके साथ सख्ती से पेश आना चाहिए । किसी भी धर्म के प्रति विषाक्त भाव को ज़रा भी नहीं सहन करना चाहिए । भारत में धर्म-निरपेक्षता का अनुपालन एक सकारात्मक विश्वास है, जो धार्मिक स्वतंत्रता के प्रावधान पर आधारित है यानी, अल्प संख्यकों के लिए उनकी अपनी आस्था के साथ जीने की छूट, लोगों को धार्मिक विभिन्नता व सांस्कृतिक रिवाजों को अपनाने, उनका उत्सव मनाने की आज़ादी । आ.आ.पा. इस दिशा मे निम्नलिखित काम करेगी -

i - सांप्रदायिक हिंसा को रोकना राज्य की एक वचन-बद्धता है । ‘राज्य’ सांप्रदायिक हिंसा के शिकार हुए सभी लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करेगा और तुरंत फैसला करने वाली अदालते स्थापित करेगा ।

ii - सांप्रदायिक हिंसा के अचानक फूट पडने पर, ‘राज्य’ द्वारा तुरंत कार्यवाही की सुनिश्चितता तथा उसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए सुरक्षा बलों के प्रयोग की व्यवस्था ।

iii - दंगों के पीछे शातिर दिमाग की पूरी तरह, निर्धारित सीमा अवधि में खोज और पडताल करना, जो दोषी पाए जाएँ, उन्हें सख्त से सख्त दंड देना, उन पुलिस अधिकारियों को भी दंडित करना, जो सांप्रदायिक हिंसा को नियन्त्रित न करके अपने कर्तव्य-पालन में असफल रहे ।

iv - दंगों के बाद के परिणामों में, राज्य को कर्तव्य से बंधा हुआ होना और उसके द्वारा ऎसी प्रक्रियाएं शुरू करना, जो प्रभावित समुदायों के मध्य संबंधो का पुन: सृजन करें । यह बहुत ज़रूरी है कि हिंसा को बढ़ने से तुरंत रोका जाए और सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखा जाए ।

v - एक राज्य मे कोई भी सशक्त और बहुसंख्या मे पाया जाने वाला समुदाय, दूसरे राज्य में अल्पसंख्यक और कमज़ोर स्थिति में हो सकता है । ऐसी दशा मे उस कमज़ोर स्थिति वाले समुदाय को सुरक्षा सुविधाएँ उपलब्ध कराना ।

vi - न तो बहुसंख्यक वर्ग की आस्था, न ही अल्प संख्यक वर्ग के अधिकार, उनके उन कार्यों को न्यायोचित ठहराने के लिए इस्तेमाल किये जाने चाहिए, जो संविधान में उल्लिखित पुरुषों और स्त्रियों के मूलभूत अधिकारों और मूल्यों का उल्लंघन करते हों ।

vii - आ.आ.पा. समुदायों के मध्य संवाद, वार्तालाप और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से एक सहमती को प्रोन्नत और पोषित करेगी ।

24. मुसलमानों की सुरक्षा और उनके प्रति सद्भाव 


पिछले ६ वर्षों से हमारे देश में मुसलमानों ने भा.ज.पा को सत्ता में आने से रोकने के लिए लगातार कांग्रेस को वोट दिया । यह वोट एक तरह के भय व अन्य कोई निदान न होने के कारण था । कांग्रेस ने यह सुनिश्चितता बनाई रखी कि मुसलमान समुदाय पिछड़ा रहे, जिससे कि उसे वोट-बैंक के लिए इस्तेमाल किया जाता रहे । मुसलमान समुदाय के साथ इस छल को, हज़ारो छोटे-बड़े दंगों, मदरसा और स्कूलों की दयनीय दशा, झूठे आरोपों के तहत युवाओं को जेल, ‘वक्फ बोर्ड’ में भ्रष्टाचार, आरक्षण और निष्क्रिय अल्पसंख्यक आयोग के रूप में देखा जा सकता है । कॉंग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्रीय सरकार होने पर भी, मुसलमान निरंतर भय में जीते रहे हैं ।

आ.आ.पा. सांप्रदायिक तनाव और दंगों को, मुस्लिम समुदाय को समान अधिकार तथा सुरक्षा प्रदान करके खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध होगी । आ.आ.पा. का विश्वास है कि भा.ज.पा. की साम्प्रदायिकता की राजनीति और कांग्रेस की वोट बैक की राजनीति - दोनों का ही विरोध होना चाहिए । आ.आ.पा. मुस्लिम समुदाय के हितों को निम्नलिखित तरह से सुरक्षित करेगी -

i - हम सुनिश्चित करेगे कि पुलिस उत्पीडन और मुस्लिम युवकों के खिलाफ़ झूठे आरोप लगाये जाने के अन्याय का अब अंत होना चाहिए । जो पुलिस अधिकारी उत्पीडन के लिए दोषी पाए जायेगें, उन्हें अभियुक्त बनाया जायेगा । ऐसे मामले छ: माह की अवधि के भीतर निर्णीत हो जाने चाहिए, इसके लिए वैधानिक सुधार किए जायेगें । आतंकवादी गतिविधियों के झूठे आरोपों के कारण जेल काट रहे मुस्लिम युवाओं को शीघ्रता से बरी किया जायेगा । दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ़ सख्त कार्यवाही की जायेगी । हम प्रयास करेगें कि निर्दोष व्यक्ति को झूठे आरोपों के कारण जेल न जाना पड़े ।

ii - मुस्लिम समुदाय का बड़ा हिस्सा गरीबी के कारण, अपने बच्चो को अच्छे प्राईवेट स्कूल में भेज पाने में असमर्थ रहता हैं । हम दिल्ली में सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए कटिबद्ध होंगे । हम यह भी सुनिश्चित करेगे कि प्राइवेट और सरकारी स्कूलों मे प्रवेश के समय मुस्लिम बच्चों के साथ किसी तरह का भेद-भाव न हो

iii - आज आरक्षण नीतियां धर्म आधारित हैं और इसलिए दलित मुस्लिम और दलित ईसाई अनुसूचित जाति की कोटि में नही आते हैं । आ.आ.पा का विश्वास है कि आरक्षण ‘धर्म-तटस्थ’ और वास्तविक कमजोर स्थिति के आधार पर होना चाहिए ।.

iv - दीन-हीन शिक्षा सुविधाओं और आजीविका के अपर्याप्त अवसरों के कारण, मुस्लिम समुदाय के सदस्य अक्सर असंगठित सेक्टर में कार्य रत होते है । आ.आ.पा. असंगठित सेक्टर में कार्य रत लोगों के रोज़गार को नियमित करके स्थाई बनाएगी और आर्थिक सुरक्षा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध होगी ।

v - वक्फ संपत्ति के नियंत्रण और प्रबंधन को अधिकारी वर्ग के शासन से आज़ाद बनाया जायेगा और समुदाय के हितों की ओर उन्मुख किया जायेगा ।

25. आदिवासी: अपने खुद के विकास की ज़िम्मेदारी उठाना 


संविधान द्वारा द्वारा मान्यता मिलने पर भी और नीतियों का समूह बनने पर भी, अधिकांशत: आदिवासी समुदाय राज्य के द्वारा किए जाने वाले विकास, शिक्षा में भागीदारी, संगठित सेक्टर के रोज़गार से बाहर और राजनीतिक कार्यक्षेत्र में बेआवाज़ ही रहे हैं । इस सम्बन्ध में निम्नलिखित नीतिपरक सुधार अपेक्षित है -

i - अधिकारों का प्रभावी विकेन्द्रीकरण और उनका ग्राम सभाओं के हाथों में सौंपा जाना, जिससे आदिवासी अपने उत्थान और विकास का निर्णय खुद ले सकें ।

ii - ‘पंचायत एक्सटेंशन टू शेडयूलड एरियाज़ एक्ट 1996’ (PESA) और ‘वनाधिकार अधिनियम’ को प्रभावशाली ढंग से यह सुनिश्चित करने के लिए लागू करना होगा कि किसी भी तरह का भू-अधिग्रहण और जंगलो के किसी भी हिस्से का का दोहन, ग्राम सभाओं की अनुमति के बिना न हो सके तथा उनका प्रबंध करने का अधिकार बना रहे, संसाधनों का सम्पोषणीय (कायम बना रहने वाला) प्रयोग हो तथा सारे प्राकृतिक संसाधन पूरी तरह सुरक्षित रहे ।

iii - हमारे खनिज संसाधनों - कोयला, लोहा, कच्ची धातु, बौक्साईट (एल्यूम्युनियम),इनसे जुडी बड़ी नीतिपरक योजनाएं आदिवासी इलाको में ही स्थित हैं । इन खनिजों को निकालने पर मिलने वाले लाभ स्थानीय समुदायों के साथ साझा किये जाने चाहिए ।

iv - शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के मिलने की सुनिश्चितता : बेहतर स्वास्थ्य और पोषण के लिए खास प्रावधान ।

v- अनुसूची ‘V’ क्षेत्र में विकास अवसंरचना के लिए खास प्रावधान ।

vi - आधुनिक जीविका और रोज़गार के लिए शिक्षण और प्रतिभा को उच्चस्तरीय बनाना । उधार के लिए खास सुविधाएँ, बाजार में पहुँच के लिए सहायता, आरक्षण का असरदार ढंग से लागू किया जाना ।

vii - इन समुदायों को उत्तम सांस्कृतिक और आर्थिक स्वायात्तता प्रदान करना ; उदाहरण के लिए आदिवासी भाषा में पढ़ाना, समुदाय का रेडियो और संचार माध्यम का आदिवासी भाषा में होना ।

viii - स्थानीय पुलिस को जागरूक तथा जवाबदही के लिए जिम्मेदार बनाना ।

26. विकलांग सशक्तिकरण 


विकलांग लोग एक विशिष्ट समूह बनाते हैं जिनकी हानियाँ सहज ज्ञान से प्रत्यक्ष होती हैं , लेकिन सरकारी नीतियों में अलक्ष्य होती हैं, इसलिए ही शायद अब तक इनकी दशा की ओर सरकार का ध्यान नहीं गया है और न ही पहला कदम उठाया गया है । इस विषय में निम्नलिखित कार्य किए जाने हैं -

i - सामाजिक अधिकार आधारित मॉडल का प्रयोग करते हुए विकलांगता की परिभाषा को विस्तार देना । विकलांगों की संख्या और दशा पर नियमित आंकड़े एकत्रीकरण की पद्धति बनाना, वर्त्तमान ३% विकलांग आरक्षण प्रावधान का प्रभावीढंग से लागू किया जाना ।

ii - जन-अवसंरचना को (भवन, यातायात वाहन, और वैचारिक आदान-प्रदान) रूकावट मुक्त बनाने का प्रयास करना ।

iii - शिक्षा और रोज़गार में विकलांगों के लिए विशेष प्रावधान ।

iv - उन नीतियों और उपायों को केंद्रित करना जो विकलांगता को रोक सकते है ( पोलियो, नेत्रविहीनता, कुछ संज्ञानात्मक विकलांगता) संचालित स्वास्थ्य देख-रेख सहायता पर जन प्रावधान और विविध प्रकार की विकलांगता पर ख़ास यंत्रों के लिए कीमत में विशेष छूट ।

v - विकलांगों के बारे में किसी भी निर्णायक मंडल को अपने में विकलांगों की बड़ी संख्या को शामिल करना ।

27. बंजारा (घुमंतू) एवं विमुक्त जातियाँ


बंजारा एवं विमुक्त जातियाँ / जनजातियां भारत के सबसे अधिक असुरक्षित, कलंकित और अदृश्य होती हुए समुदाय है । इनके लिए निम्नलिखित नीतियाँ अपेक्षित हैं -

i - अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के साथ इन्हें भी संविधान द्वारा मान्यता मिलनी चाहिए । इनकी स्थिति की सही गणना और सर्वे, एक स्थाई संवैधानिक आयोग और ‘प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज़ अधिनियम’ का विस्तार इनके हित मे अपेक्षित है ।

ii - शिक्षा और स्वास्थ्य की देख-रेख तक पहुँच की सुनिश्चितता और साथ ही, ‘चालित स्कूलों और दवाखानों’ की सुनिश्चितता ।

iii - आधुनिक जीविका और रोज़गार के लिए शिक्षण और प्रतिभा को उच्चस्तरीय बनाना । उधार के लिए खास सुविधाएँ, बाजार में पहुँच के लिए सहायता ।

iv - अर्द्ध स्थाई और स्थाई रूप से बसने के लिए मूलभूत सुविधाओं हेतु अवसंरचनात्मक सहायता ।

28. पशु-कल्याण 


भारत में पशुओं को सम्मान देने, उनके साथ शांति से रहने तथा सभी प्राणियों के लिए अहिंसा की भावना रखने का बड़ा सम्पन्न रिवाज़ है । महान राजा अशोक (३०४-२३२ ई,पू.) पहला राजा था, जो औपचारिक रूप से पशुओं के कल्याण को अपने प्रशासन का मुख्य सिद्धांत बनाने के लिए जाना गया और उसके शिला-लेख, पहले शिला-लेख थे, जिनमें पशुओं के मूलभूत अधिकारों के बारे में स्पष्ट रूप से कहा गया था । महात्मा गांधी सहित, हमारे आदि चिन्तको और नेताओं ने पशु कल्याण को प्रोन्नत किया तथा भारत के संविधान में पशु-पक्षियों के प्रति दया-भाव को सभी नागरिको का मूलभूत कर्तव्य बताया गया । आज फिर से, पशुओं के प्रति हमारे परंपरागत आदर-भाव की पुष्टि और उन्हें सम्मानजनक जीवन देने के लिए नीतियाँ और कानून बनाने की आवश्यकता है । इसके लिए –

i - ‘पशु कल्याण बोर्ड, भारत’ , के अधिकार परिवर्धित किए जायेगें, जिससे वे मशविरा देने वाली संस्था से ऊपर उठ कर, क्रियान्वयन अधिकारों वाली नियंत्रण शक्ति बन जाए ।

ii - जागरूक बनाने और लागू किए जाने को मज़बूत बनाने के लिए, कानून लागू करने वाली संस्थाओं को शिक्षा दी जायेगी व प्रशिक्षण दिया जायेगा और उल्लंघन किए जाने पर कार्यवाही के सर्वोत्तम तरीके सिखाये जायेगें ।

iii - कुछ संस्थाएं, जो पशुओं को भोजन, कपडे और मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करती हैं, वे उन्हें मूल रूप से अपने लाभ के लिए शोषण का संसाधन मानती हैं । इन प्राणियों की गरिमा को सुरक्षित करने के लिए नीतियां बनाई जायेगीं तथा वे संस्थाएं सख्ती से नियंत्रित और बारीकी से निरीक्षित की जायेगी ।

iv - ‘वाल्ड लाइफ अधिनियम, १९७२’ की संभावना और लागू किए जाने को सशक्त किया जाएगा, जिससे संरक्षित वनभूमि की सीमा उल्लंघन करने वाले ताकतवर दोषियों को रोका जा सके और वहाँ के ‘निवासी पशुओं’ को जंगली जानवरों यानी ‘शिकारियों’ से बचाया जा सके।

खेल, संस्कृति और मीडिया 


29. खेल एवं संस्कृति


i - जिन लोगो के खिलाफ़ किसी भी अदालत से भ्रष्टाचार के आरोप लगे है, उन आरोपो के बारे में सुनश्चित करके, उन भ्रष्टाचारियो और अपराधियों को खेल प्रशासन से बाहर रखा जाए, न उन्हें चुनाव लडने दिया जाए, और न किसी भी राष्ट्रीय खेल फेडरेशन के किसी भी कार्यालय में, उन्हें किसी भी तरह का कार्यभार सौंपा जाए ।

ii - साथ ही, खेल से जुड़े व्यक्ति का किसी भी राष्ट्रीय खेल फेडरेशन की निर्णयात्मक मंडल मे उचित प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना ।

iii - खिलाडियों का यौन शोषण, किसी तरह के नशीले पदार्थ का सेवन, आयु संबंधी धोखा बिल्कुल असहनीय होगा ।

iv - नवीनतम तकनीक से पूर्ण, अत्याधुनिक सुविधाओं, उपकरणों, अवसंरचना, साथ ही बहु-उद्देशीय स्टेडियमों की गांवों और छोटे शहरों व नगरों में स्थापना करना, प्राइवेट उद्योगपतियों को भारतीय खेलों मे बुनियादी स्तर से प्रतिभा को पकडने और पोषित करने हेतु, आर्थिक सहायता प्राप्त ज़मीन लम्बे समय के लिए लीज (पट्टे)पर देकर, कर-राहत तथा अन्य तरह की प्रेरणाएं देकर निवेश के लिए प्रोत्साहित करना

v - खेल को एक सांस्कृतिक गतिविधि और स्कूली शिक्षा का अखंड हिस्सा बनाना, बच्चों को भारत की विविध संस्कृतियां दिखाना और उनकी जानकारी देना ।

vi - हमारे देश में अनेक संग्रहालय हैं, जिनमे देश का इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर संरक्षित है, फिर भी वे कुप्रबंध और मरम्मत न होने की वजह शोचनीय दशा में हैं । संग्रहालयों को अधिक पहुँच के अंदर और रुचिकर बनाया जाना और उनकी प्रबंध समिति मे अपेक्षित सुधार लाए जाना । विद्यालयों को अपने छात्रों को नियमित रूप से इन संग्रहालयों में लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना ।

vii - गाँवो के समूहों तथा छोटे शहरों में सार्वजनिक पुस्तकालयों में निवेश किया जाना और उनके रख-रखाव का कार्य ग्राम-सभाओं और मौहल्ला-सभाओं द्वारा किया जाना ।

30. संचार माध्यम (मीडिया) नीति 


यद्यपि संचार माध्यम का उत्थान बहुत प्रभावित करने वाला है किन्तु अधिकतम लाभ उगाने पर इसका ज़रूरत से ज़्यादा केंद्रित होना, भरोसे वाले नियंत्रण का अभाव होना, इन कुछ कारणों ने इसे ‘भुगतान पोषित खबरें (पेड न्यूज़)’ और ‘अल्पाधिकार’ जैसे गंभीर असंतुलन की ओर मोड़ा है । जबकि आ.आ.पा एक जीवंत और स्वाधीन मिडिया को सराहती है, वहीं हम संचार माध्यमो पर लगातार ‘भुगतान पोषित खबरों’ के आरोप लगते देख कर चिंतित महसूस करते हैं । इसका प्रमुख कारण हैं - मीडिया की जनता के प्रति उतरदायित्व की कमी, जवाबदेही का अभाव, और विज्ञापनों पर ज़बरदस्त निर्भर होना । मिडिया का मानव जीवन पर सघन प्रभाव होने के बावजूद भी, यह किसी संवैधानिक नियंत्रण के अधीन नहीं है । इसके लिए आ.आ.पा -

i - जनता के प्रति जवाबदेही को लागू करने के और मीडिया इंडस्ट्री को नियंत्रित करने के ऐसे तरीके खोजेगी, जो पीडक न हों और धारा १९ के तहत दी गई संवैधानिक गारंटी को धमकाने वाली न हों । यह नियंत्रण राज्य से लेकर राजनीतिक सत्ता तक, स्वतंत्रता और दखलअंदाजी में तालमेल व संतुलन बना कर चलने वाला हो ।

ii - ‘भुगतान पोषित खबरों’ पर प्रतिबन्ध लगाना होगा क्योंकि यह ‘मीडिया-नैतिकता’ के मूलभूत सिद्धांतों – ‘निष्पक्षता और व्यावसायिकता’ का उल्लंघन करने वाली पद्धति है । कानूनी शब्दावली और मायने में, इस तरह का बिका हुआ संचार-माध्यम (मीडिया), चुनावी और कर संबंधी विधान का अनादर है । इसलिए इसको प्रतिबंधित करने वाले नियम में ‘भुगतान पोषित खबरों’ और सोद्देश्य या जानबूझकर पेश की भडकाऊ व उत्तेजक सूचना (रिपोर्ट) के लिए सख्त सज़ा का प्रवाधान शामिल किया जाना चाहिए ।

iii - ‘क्रॉस-मीडिया स्वामित्व’ नियम और नियंत्रण, बड़े मीडिया के एकाधिकार को निषिद्ध करके प्रतिस्पर्द्धापूर्ण वातावरण सुनिश्चित करें तथा रेडियो पर समाचार देने के, राज्य के एकाधिकार को समाप्त करें । पारदर्शिता के तहत, मिडिया संस्थानों के स्वामित्व, उनके ऋण और मालिको व पत्रकारों के राजनीतिक गठबंधन का खुलासा हो ।

iv - जन-सेवा मिडिया संस्थानों को प्रोत्साहित करने के विकल्प खोजे जाएँ, (या राज्य द्वारा सहायता प्राप्त स्वायत्त संस्थान जैसे दूरदर्शन, ऑल इण्डिया रेडियों, लोकसभा टेलीविज़न, राज्यसभा टेलीविज़न) राज्य शासित मीडिया को विकेन्द्रित, व्यावसायिक, और स्वायत्त प्रबंध ढांचे के साथ सच्चे जनसेवा संस्थानों मे रूपांतरित किया जाए ।,

v - वायु तरंगों (रेडियो आदि) को समुदाय के उपयोग के लिए आज़ाद बनाना चाहिए और २००२ रेडियों कौम्युनिटी नीति को सशक्त किया जाना चाहिए । अविकसित दूर-दराज़ के इलाकों में कौम्युनिटी रेडियो के लाइसेंस को प्रेरित करना चाहिए । कौम्युनिटी रेडियो और प्राइवेट रेडियो स्टेशनों के समाचार प्रसारण और ताज़े मामलो से सम्बंधित कार्यक्रमों पर से रोक हटा ली जानी चाहिए।

राष्ट्रीय सुरक्षा 


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के बावजूद भी भारत के पास संभावना और ज़िम्मेदारी दोनों है - दुनिया को निदान रूप ‘सार्वभौमिकता’ देने के लिए । भारत की शक्ति और सुरक्षा का अद्भुत रूप देखने को मिलता है, जब भारत इसे अपनी शर्तों पर विकसित करता है । ऐसा ‘स्वराज’ - सुरक्षा को व्यक्तिगत, सामुदायिक और राष्ट्रीय स्तर पर समान सहयोग को पोषित करेगा । यहाँ सुरक्षा से तात्पर्य मात्र हिंसा और उग्र शास्त्रों से बचाव ही नहीं है, बल्कि आधारभूत सुरक्षा जिसमे मानव सुरक्षा, भुखमरी से सुरक्षा, अपमान से सुरक्षा, जीवन और आजीविका की ज़रूरतों तक पहुँच , ये भी शामिल है । मानव सुरक्षा की यह अंतर्दृष्टि आतंरिक और बाह्य - दोनों क्षेत्रों में ‘आम आदमी पार्टी’ का मार्गदर्शन करेगी ।

31. रक्षा नीति 


सशस्त्र सेना और सुरक्षा प्रतिष्ठान अपने समर्पण, कठिन परिश्रम और त्याग के बल पर मूलभूत रक्षा प्रदान करने की खोज करते हैं । आ.आ.पा. की भ्रष्टाचार से छिड़ी जंग को लेकर, आ.आ.पा. का विश्वास है कि चारो ओर फैला भ्रष्टाचार और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सुरक्षित रखे गए धन का गलत प्रयोग, देश के लिए गंभीर सेवा भाव का अभाव है । आ.आ.पा. सशस्त्र सेना की सुरक्षा और फ़ौज का आधुनिकीकरण - दोनों को देश के नीतिपरक हित को बनाए रखने के लिए उच्चस्तरीय प्राथमिक निदान मानता है -

i - तीनों सेवाओं के लिए समाकलित नजरिया, सुरक्षा सैनिक की देश के सुरक्षा मुद्दों पर निर्णय लेने में भागीदारी, थलसेना, गुप्तचर-विभाग, अधिकारी वर्ग और राजनीतिक नेतृत्व में बेहतर समन्वय के लिए वचनबद्धता ।

ii - रक्षा-प्रापण में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार और बिचौलिया से संघर्ष, सिर्फ़ पारदर्शिता के लिए नहीं अपितु भारत की युद्ध लडने की क्षमताओं को सुरक्षित बनाने के लिए ।

iii - भारत अस्त्र-शस्त्रों का दुनिया का सबसे विशाल आयातक है । हमें स्वदेशी उपकरणों के उत्पादन को प्रोत्साहित करना होगा और कम से कम अवधि में विदेशी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता को कम करना होगा ।

iv - सरहद पर अवसंरचना निर्माण को गति देनी होगी, सड़के, तथा अन्य संरचनात्मक आवश्यकताएँ, पड़ाव,पर्यनुकूलन व लॉजिस्टिक उद्देश्य के लिए अपेक्षित हैं । हवाई क्षेत्र तथा बंदरगाह, समूची नीति आधारित योजना और रक्षा सेवाओं की ज़रूरत के अनुसार निर्मित किए जायेगें ।

v - ‘एक पद, एक पेंशन’ के नियम को प्रभावी ढंग से लागू किए जाने को सुनिश्चित किया जायेगा ।

vi - भूतपूर्व सेवक योगदान स्वास्थ्य योजना (ECHS) देश में स्वास्थ्य बीमा योजना के मॉडल की तरह होगी । थल सेना को न्याय मिलने में सुधार, गतिशील शिकायत प्रतिकार प्रणाली द्वारा होगा ।

32. विदेश नीति 


भारत की विदेश नीति सभी देशो से बराबर की शर्तो पर मित्रतापूर्ण मधुर सम्बन्ध रखने पर केंद्रित होगी । इस बारे में हमारा विश्वास है कि :

i - सरहद पर आतंक ज़रा भी सहनीय नही होगा । द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रयासों का समन्वयन करके बेहतर सीमा प्रबंधन के लिए आतंकवाद को खत्म किया जायेगा । विभिन्न स्तरों पर कायम की जा सकने वाली वार्ता से उस ढाँचे को नष्ट किया जाएगा, जो आतंकवाद को प्रोत्साहित करता है ।

ii - राजनीतिक विद्वेष को परस्पर भरोसे के बल पर पडौसी देश के साथ कम करके, उसे विकास और राहत में सहायता प्रदान की जायेगी ।

iii - चीन द्वारा सरहद पर घुसपैठ को डरा कर रोकने की क्षमता को बढ़ाते हुए, भारत-चीन संबंधों को अधिक बड़े और संतुलित व्यापार पर केंद्रित किया जायेगा तथा भारत-चीन सभ्यता का आदान-प्रदान पुन: हासिल किया जायेगा ।

iv - सीमा क्षेत्रों को उच्च आर्थिक रिश्ते में विकसित करके, दोनों ओर शांति स्थापित की जायेगी तथा अवैध आप्रवासन को सम्हाला जायेगा ।

v - अनुपूरक भारत के यू.एस व अन्य गुटो जैसे ब्रिक्स (BRICS : Brazil,Russia,India, China, South Africa)

इब्सा (IBSA :India, Brazil, South Africa) के साथ सार्थक अनुबंध बनाना और एक बहु- ध्रुवीय दुनिया को प्रोत्साहित करना । वैधता और सच्चे अर्थों में वैश्विक संस्थानों जैसे यू.एन. की ताकत को प्रोन्नत करना तथा इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड्स (IMF) जैसे निकायों की लोकतांत्रिकता की मांग करना ।

vi - वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) द्वारा प्रथम विश्व की आर्थिक सहायता के खिलाफ़ विकासशील दुनिया में कृषि और ग्रामीण समुदायों को सुरक्षित बनाने में भूमिका को निरंतर बनाये रखा जाना ।

vii - समस्त वैश्विक सामान्य मुद्दों पर यू. एन की दूरदृष्टि का समर्थन,पर्यावरण सम्बंधित संकट पर परस्पर सहयोग को बढ़ाना, फिर से नई की जा सकने वाली ऊर्जा मे अधिकतम निवेश, विकसित देशो से तकनीक का स्थानांतरण, यह हमारी ऊर्जा और आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होगा ।

33. आतंरिक सुरक्षा 


आतंरिक सुरक्षा की चुनौती सिर्फ़ कानून और व्यवस्था की समस्या के रूप में ही नहीं देखी और समझी जा सकती । नागरिको को आतंकवाद और पूर्वनियोजित हिंसा से सफलतापूर्वक सुरक्षितकिए जाने पर भी, आ.आ.पा की आतंरिक सुरक्षा नीति का मुख्य ज़ोर नागरिको के असंतोष के मूल कारण को राजनीतिक विकेंद्रीकरण, विरोधी समूहों के साथ बातचीत करके और लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर बना कर, उसका प्रतिकार करना है ।

i - विकेन्द्रीकरण और सता के हस्तान्तरण के दीर्घकालीन समाधान की ओर कदम उठाते हुए, स्थानीय रूप से अनुकूल, प्रतिक्रियाशील एवं उत्तरादायी व्यवस्था, सुरक्षा और शासन के ढांचे को तैयार करना । आधुनिक, बेहतर सशस्त्र और प्रशिक्षित सुरक्षा बल तैयार करना ।

ii - सरकार को अतिरिक्त संवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल करना छोड़ देना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि अधिकारों और सत्ता के दुरुपयोग के विरुद्ध नियंत्रण और सन्तुलन बनाया जाए ।

iii - सुरक्षा उपकरण की, बाहर लोगो की तीखी नज़रों के सामने, असाधारण जनादेश के साथ कम करने की ज़रूरत और जवाबदेह व्यवस्था, जो संवैधानिक रूप से गारंटित व्यक्ति अधिकारों को सुरक्षित करती है, जनता की शिकायतों का प्रतिकार, तथा राष्ट्रीय महत्ता के विषयों पर एक भारी जन-परिचर्चा के बीच एक व्यवहारकुशल संतुलन को बनाना ।

iv - आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पॉवर्स एक्ट,1958 (AFSPA) के कानूनों को समय-निर्धारित और मानवोचित बनाने के लिए उनका संशोधन एवं पुनरवलोकन । महिलाओं के खिलाफ़ सशस्त्र सैनिकों द्वारा यौन-हिंसा को दंड मुक्त न किया जाना ।

v - हमारा विश्वास है कि काश्मीर भारत का अखंड हिस्सा है, अतेव सीमा पार आतंकवाद बिल्कुल असहनीय होगा । सुरक्षा-बलों के अल्पकालीन उपयोग के बाद, आ.आ.पा.. का विश्वास है कि विकेन्द्रीकरण और सता के हस्तान्तरण की एक दीर्घकालीन सोच को अपनाना होगा, जो काश्मीर के लोगों को अपने विकास के निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करेगी ।

vi - नक्सलवादी समस्या के दीर्घकालीन समाधान के लिए ज़रूरी है कि उस क्षेत्र की गहरे राजनीतिक,सामाजिक एवं आर्थिक शिकायतों, असंतोष और मन-मुटाव पर विचार करके उसका प्रतिकार किया जाए । आधुनिकीकृत सुरक्षा बलों के अलावा, हमारा ध्यान बहुपक्षीय संवाद, सामूहिक और आर्थिक विकास और प्रभावशाली राजनीतिक विकेन्द्रीकरण पर भी होगा ।

 अनूदित : डा.दीप्ति गुप्ता


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1 टिप्पणियाँ

  1. ****
    रूख ;
    बहती का ;
    पहचाने |

    हैं लाजवाब ,
    ठहरे ये
    परवाने !!!

    ~ प्रदीप यादव ~

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