कहानी : दिल की रानी, सपनों का साहजादा - आकांक्षा पारे | Kahani: Dil Ki Rani... : Akanksha Pare


कहानी : दिल की रानी, सपनों का साहजादा

आकांक्षा पारे काशिव


आकांक्षा पारे काशिव - शिफ्ट+कंट्रोल+ऑल्ट=डिलीट (राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान 2014) Rajendra Yadav Hans Katha Samman to  Akanksha Pare

मंजू पाटीदार और विशाल यादव की प्रेम कहानी 'दिल की रानी, सपनों का साहजादा'


टू माय ड्रीम गर्ल

आय लव यू माय स्वीट हार्ट। प्लीज रिप्लाय सून ऑन बैक आफ दिस लेटर।

तुम्हारा
चाहने वाला
.....................


क्या लीखूं समझ नी आ रहा। मुझे भी तुम भोत अच्छे लगते हो। और हां चाने वाले का नाम भी तो होता है, जेसे मेरा हे। 

तुम्हारी 
मंजू पाटीदार
 ........................


मेरी जान 
थैंक्यू कि कि तुमने मेरे लेटर का जवाब दिया। मैं बता नहीं सकता कि कितना खुश हूं। कब मिलोगी। ओह माय गॉड मैं बेसब्री से उस दिन का इंतजार कर रहा हूं जब तुम्हें चूम पाऊं। मेरे दिल की रानी तुम्हारे इंतजार में 
तुम्हारा 
विशाल यादव
 ........................

.
तुमने जब से मुझे दिल की रानी कहा हे मे तो अपने होस में नी हूं। तुम्हारा दिया हुआ खत मेने न जाने कित्ती बखत पढ़ लिया है। में तो तुम्हारे सामने कुछ भी नी हूं। कल संगीता बता री थी कि तुम नौबी कक्षा में पेले नंबर पर आए थे। मे तो पिछली बखत फेल हो गई थी। विज्ञान और मेक्स में। इस बार यदि पास नी हुई तो पापाजी मेरी सादी करा देंगे। उधर खजराने में मेरी मोसी के देवर से मेरी बात भी चल री थी। पर पता नी क्या हुआ। मे तुमको ये सब इसलिए बता री हूं कि मुझको ऐसा लगता है कि मे तुम्हारे लायक नी हूं। पर ये भी सच हे कि मे तुमसे भोत प्यार करती हूं। तुम जान भी नी सकते कि मे तुमको कित्ता प्यार करती हूं। तुम्हारी तो अंग्रेजी भी भोत अच्छी हे। मेरे को तो ऐसी अंग्रेजी आती ही नी है। डरीम गर्ल का अर्थ तो मे समझ गई हूं। सीमा ने बताया हेमा मालिनी की एक फिलिम भी थी इसी नाम से। डरीम गर्ल। यानी जिस से भोत जादा परेम हो जाए उसे डरीम गर्ल कहते हें। मुझे पर तुमने लिखा था न, प्लीज रिप्लाय सून बैक ऑफ दिस लेटर। वह नी समझ पाई। और हां मन्नी के हाथ चिटठी मत भेजना वह आंगन से ही चिल्लाता आता है। अगर कहीं लल्लन भैया के हाथ ये चिठ्ठी पड़ जाए तो बस समझो हमारे परेम का अंत उसी दिन हो जाएगा। तुम तो जानते ही हो लल्लन भैया की तुम्हारे बड़े भैया परकास से बिलकुल भी नी पटती है। 

अब पत्र बंद करती हूं। कल और परसों स्कूल नी आऊंगी। चिंता मत करना महीना आ गया है, सो अम्मा घर से निकलने नहीं देंगी। परसों के बाद वहीं मिलूंगी मऊ नाके के पास जो मधुशाला बनी है न उसमे। तब तक तुम सोच भी लेना कि मेरे जेसी अनपढ़ के साथ क्या तुम सारी उमर रे पाओगे। 
 ........................

.
मंजू मेरी जान
ये तुमने क्या लिख दिया। क्या तुम्हें मैं ऐसा नजर आता हूं। मैंने तुमसे प्यार किया है और मरते दम तक करता रहूंगा। मैं इसे निभा के भी बताउंगा। पढ़ाई से क्या होता है। अंग्रेजी नहीं आने से क्या होता है। तुम्हें कौन सी नौकरी करनी है। मैं पढ़कर नौकरी करूंगा तुम मेरा घर संभालना, अपने बच्चों की देखभाल करना और मुझे प्यार करना। वो डरीम गर्ल नहीं ड्रीम गर्ल होता है। ड्रीम गर्ल यानी सपनों की रानी। तुम हो मेरी सपनों की रानी। प्लीज रिप्लाय सून बैक ऑफ दिस लेटर का मतलब है, कृपया इस पत्र के पीछे जल्दी से इसका उत्तर दें। और हां तुम्हें तो हिंदी भी अच्छी नहीं आती है। (बुरा मत मानना जान मजाक कर रहा हूं।)

तुमने मन्नी के हाथ चिठ्ठी न भेजने की शर्त जो रख दी है वह तो बड़ी कठिन है। मन्नी के सिवाय है कौन जो तुम्हारे घर आता-जाता है। सीमा या संगीता को तो मैं यह काम करने को कह नहीं सकता। एक तो संगीता खुद मुझ पर डोरे डाले बैठी है। वह तो जरूर ही लल्लन भैया को हमारे प्यार का दुश्मन बना देगी। फिर तुम तीन दिन स्कूल भी नहीं आओगी। मैं यह पत्र गुड्डन के हाथ भेज रहा हूं। इसके बदले मैंने गुड्डन को एक फाइव स्टार दी है सो इसी पत्र के पीछे जल्दी से जवाब दे देना ताकि एक ही फाइव स्टार में दोनों का काम हो जाए। परीक्षाएं सिर पर हैं पर पढऩे का मेरा जरा दिल नहीं करता। शाम को कापी-किताब लेकर छत पर आ जाना कम से कम तुम्हें देख तो लूंगा। और हां मऊ नाके की मधुशाला में तो भूल कर भी नहीं मिलेंगे। प्रेमा जिज्जी के ननदोई का है वह। उनके ननदोई तुम्हें और मुझे दोनों को ही पहचानते हैं। मेरी जान शाम छत पर जरूर आना।

तुम्हारा दशर्न प्यारा
विशाल यादव
 ........................


धत्त। तुम तो कुछ भी लिखते हो। पेले सादी तो करें फिरी तो बच्चे होंगे। मेरे को तो भोत सरम आई तुम्हार ये पत्र पढ़ के। अरे हओ तुमने सही याद दिलाया। अगर मऊ नाके वाली मधुसाले में मिलते तो पक्का अम्मा मेरी चुटिया पकड़ कर घर में कोंड (बंद) देती। तुम ही सोच के रखना के अब हम कहां को मिलें। मेने तो सोचा था कि आराम से बैठ कर गन्ने का रस पिएंगे। पर चलो तुम नई जगे सोच के मेरे को बता देना। तुम्हारे पास बेठने का भोत जी चाह रहा हे।

मेरी उमर भी तुम्हें लग जाए मेरे प्राणनाथ।

तुम्हारी 
मंजू पाटीदार
 ........................

.
मंजूड़ी, मंजूड़ी मेरी प्यारी मंजूड़ी
अब तो तेरे बिना एक पल भी जिया नहीं जाता। कल 10 बजे स्कूल के लिए निकल जाना। आरटीओ जाने के बदले लालबाग वाले रास्ते पर मुड़ जाना। कल मैं संजू के साथ वहां गया था खूब खाली रहता है वह रास्ता वहीं थोड़ी देर बात करेंगे। मन करेगा तो स्कूल जाएंगे नहीं तो लालबाग में ही बैठे रहेंगे पूरा दिन। आओगी न मेरी मंजूड़ी। 

विशाल
 ........................

.
मेरे राजकुमार
मे क्या करूं बबली घर पर आई हुई हे। बबली का नाम तो तुमने सुना ही होगा मेरे मूं से। मेरी राऊ वाली मोसी की लड़की है। उसकी सादी की तय हो गई है। अगले महीने में ही उसकी सादी है। मेने उसको तुम्हारे बारे में बताया हे। वो भी तुमसे मिलना चाहती हे। आज साम को तो हम खजराने गनेस मंदिर में जाएंगे। मोसी ने बबली की सादी की मान मानी थी वोई उतारने जा रे हें। कल तो स्कूल नी जाऊंगी। कल उसके ससुराल से भोत से जने जीमने आने वाले हें घर पे। मेरे को अम्मा ने कल स्कूल की छुट्टी करने को कहा है। पर परसों सायद सब लोग मारकेट जाएंगे सादी के लिए खरीदी करने। तब मे और बबली पार्लर जाने के नाम पर रुक जाएंगे। उसको फेसियल भी कराना है। तभी का कोई टाइम सोच के रख लेना। या तो तुम घर पे आ जाना कोई भी नी रहेगा। वो गुड्डन तो बड़ी बदमास निकली। मेरे से भी दस रुपये ले गई। के री थी कि यदि नी दूंगी तो चिठ्ठी बापिस नी ले जाएगी। इसलिए ये चिठ्ठी लक्की को दे री हूं। तुम भी लक्की के हाथ ही अबसे चिठ्ठी भेजना। लक्की मेरे को भेन मानता है वो कभी किसी को नी बताएगा।
तुम्हारी
डरीम गर्ल 
 ........................

.
मंजूड़ी
तुम तो इस देश के प्रधानमंत्री से भी ज्यादा बिजी हो। बबली की शादी हुए पूरे पंद्रह दिन हो गए हैं। तुमने अब तक स्कूल जाना शुरू क्यों नहीं किया। तुम्हारी मौसी का लड़का पूरा दिन तुम्हारी साइकिल चलाता घूमता रहता है। जब भी घर की खिड़की से तुम्हारी लाल बीएसएएसएलआर साइकिल सड़क पर देखता हूं तो लगता है तुम होगी। पर हमेशा ही वह लफूट पप्पू उसे घुमाता रहता है। अगर आज शाम को तुम फूटी कोठी के सामने वाले बगीचे में नहीं आईं तो फिर मुझे न कभी चिठ्ठी लिखना न कभी मिलने की कोशिश करना। 
 ........................

.
प्यारे विशू
कितना गुस्सा करतो हो। लड़की की जिनगी क्या इतनी सरल होती है। मे एक-एक पल तुम्हें देखने के लिए तरस री हूं। पर क्या करूं। सात-आठ जने अभी तक गए ही नी हें। उसने मिलने के लिए रोजी कोई न कोई आता रेता हे। रसोई में अम्मा का हाथ बंटाना पड़ता है। कल पूरे 22 लोग जीमने बेठे थे। परोसगारी करते-करते मेरी तो कमर ही टूट गई। और तुम हो कि मेरे से गुस्सा हो रे हो। मेरी सादी की बात चल री हे उससे मे और परेसान हो गी हूं। जीरापुर वाली जीजी अब पता नी किसका रिस्ता ले के आ गई है। पापाजी और लल्लन भैया को तो रिस्ता भोत जम रहा हे। बस बल्ली भैया ही हे जो केह रहे हें कि अभी थोड़ा रुक जाते हें। मंजू को दसबीं की परीच्छा दे लेने दो। उसके बाद मंजू की सादी करेंगे, पर पापाजी का केहना हे कि छोरी जात को जादा टेम घर में बिठा के रखने का मतलब परेसानी मोल लेना है। लल्लन भैया का केहना हे कि परीच्छा मे में कोन सा तीर मार लूंगी। तुमको तो पता ही हे कि मे नौबी में भी फेल हो गई थी। इस बार की मेरी कुछ खास पढ़ाई हुई नी हे। मेक्स तो मेरे को बिलकुल नी आता हे। मेरे को तो लगता है पापाजी को अपने बारे में पता चल गया हे। तुमको याद हे बबली की सादी के दो रोज पेहले जब हम माता पूजने जा रहे थे तो तुम अपनी साइकिल से हमारे पीछे-पीछे आ गए थे। तब मेने ओर बबली ने तुमसे रुक कर बात की थी। तुमने बोला था न कि मे लाल साड़ी में भोत अच्छी लग री हूं। तब लल्लन भैया की छोटी बेटी सालू वहीं खड़ी थी। सायद उसने लल्लन भैया को बता दिया होगा। क्योंकि वो एक दिन केह रही थी कि विशु भैया बुआ को सुंदर-सुंदर बोल रहे थे। अब तुमी बताओ केसे मिलने आऊं। भोत सावधानी से रेहना पड़ेगा नी तो दोनों पिटेंगे। पापाजी टूर पे जाएंगे शायद परसूं के रोज। तब तो मे पक्का बाहर निकलूंगी। सीमा को राजबाड़े जाना हे कुछ सामान खरीदने। उसको सराफे मे भी कुछ काम हे। मे भी उसके साथ निकल जाऊंगी। तुम रजबाड़े के पीछे जो मोरसली गली के चोराए पर मिलना कित्ते रोज हो गए तुमको देख के। कल हम विजय चाट हाउस पर आलू पेटिस भी खाएंगे।

तुम्हारी 
मंजू
 ........................



विशू प्यारे 
कल तुम भोत अच्छे लग रहे थे। ओर तुमने सीमा के सामने मेरा हाथ क्यों पकड़ लिया। वो क्या सोचेगी। तुम पढ़ाई में मन लगाओ। ओर कित्ते दुबले हो गए हो। मेरी याद कर-कर के ऐसे हो जाओगे तो बताओ मेरे को कित्ता बुरा लगेगा। कल से मे भी स्कूल जाना सुरू कर री हूं। कलेक्टर के सामने जो घमंडी लस्सी वाला हे साम को पांच बजे वहीं मिलना। 
मंजू
 ........................

.

मेरी जान
सुदामा नगर की ये गलियां मुझे वीरान लगने लगी हैं। न तुम आती हो न तुम्हारी खबर। मुझे वो दिन याद आते हैं जब तुम स्कूल से साइकिल पर जाती थीं और मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आता था। तुम्हें याद है अपन ने स्मृति टाकीज में हम दिल दे चुके सनम देखी थी। उस दिन अपन लोग कितना खुश थे। मैंने पहले ही कहा था उस संगीता को अपने बारे में मत बताओ पर तुमने सुना ही नहीं। मैं पहले से ही जानता था कि वो जरूर लल्लन भैया को बता देगी। तुम तो बहुत खुश होगी की तुम्हारी शादी तय हो गई है। तुमने कभी मेरे बारे में सोचा है। मैं तुम्हारे बिना कैसे जिऊंगा। तुम्हारी वजह से मैंने पूरे साल पढ़ाई नहीं की। दसवीं में मैं सेकंड डिवीजन पास हुआ। और अब तुम कहती हो कि मैं तुम्हें भूल जाऊं। तुम्हें तो अब सपने में तुम्हारा होने वाला पति दिखाई देने लगा होगा। तुमने तो रतलाम जाने सपने देखना भी शुरू कर दिए होंगे। तुम बहुत बेवफा निकली मंजू। बहुत बेवफा। मुझे नहीं पता था कि तुम मुझे ऐसे बीच में छोड़ कर चली जाओगी। 
अब मैं तुम्हारे गम में कैसे जिंदा रह पाऊंगा यह तो मैं अकेले ही सोचूंगा। तुम भूल सकती हो कि कैसे हमने नेहरू पार्क, जानापाव और रालामंडल में अपने दिन बिताएं हैं। कैसे तुम और मैं स्कूल से भाग कर अलका या स्मृति टाकीज में पिक्चर देखते थे। तुम्हारी सारी चिट्ठियां मैंने अब तक संभाल के रखी हैं। वह वाली भी जिसमें तुमने पर लिपस्टिक लगा कर कागज पर अपने होंठ छाप दिए थे और पूरे 101 बार आई लव यू लिखा था। मुझे तो वह दिन भी याद है जब हम संजू की मौसी के घर पूरे दिन अकेले रहे थे और तुमने कैसे-कैसे मुझे अपने जलवे दिखाए थे। उस दिन के दो फोटो भी मेरे पास हैं। पर... अब तो यह सब बीते दिनों की बात हो गई है। खैर खुश रहो तुम हमेशा बस मेरी तो यही दुआ है। 
शीशी भरी गुलाब की पत्थर पे फोड़ दूं
तू कहे तो तेरे लिए दुनिया छोड़ दूं।
अब बंद करता हूं। तुम हमेशा खुश रहना।
 ........................


तुम तो बड़े खराब निकले। तुमने संजू को ये सब बता दिया। ओर मेरे को चिट्ठी में लिख कर भी धमका रे हो। संजू सबको बताता फिर रा हे कि मे तुम्हारे संग कां-कां गई थी। मे तो परिवार के दबाव में सादी कर री हूं। पर तुम तो अपने प्यार को ऐसे रुसवा कर रहे हो। अगर मेरी बदनामी हो गई तो मे कहीं की नी रहूंगी। फिर मेरे से सादी कौन करेगा। तुम अगर कुछ कमाते होते तो भी मे अम्मा से तो बोल ही देती कि मे तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं। पर तुम तो ऐसा कर रहे हो कि सारी गलती मेरी ही थी। प्यार तो हम दोनों ने एक-दूसरे से किया था। लेला-मजनू की भी तो सादी नी हुई थी। दोनों का प्यार आज भी जिनदा हे कि नी। अगर मजनू तुम्हारे जेसा होता तो वो भी लेला को बदनाम करता तो दोनों को कोन पूछता। अगले महीने मेरी सादी हे, अब मेरे को चिट्ठी बिलकुल भी मत लिखना। मे भी उतनी ही दुखी हूं। पर मे कुछ नी कर सकती हूं। मे अपने पति के साथ खुश रहना चाहती हूं इसलिए मेरा रास्ता छोड़ दो। नी तो भोत बुरा होगा। अगर अब तुमने ऐसी हरकत की तो मे लल्लन भैया को बोल दूंगी। वो तुम्हारी भोत पिटाई करें। ओर तुम कितने चालाक हो गए हो इस बात तुमने चिट्ठी के नीचे अपना नाम भी नी लिखा कि कहीं ये चिट्ठी पकड़ा जाए तो तुम्हारा कुछ नी हो बस जो बिगड़े मेरा ही बिगड़े। झूठे, चोर, मक्कार, राच्छस। इसलिए मे भी अपना नाम नी लिख री हूं। अब मेरे रास्ते मे बिलकुल भी मत आना।




००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ