रसिया को नार बनाओ री Review - Aadyam - 'Ladies Sangeet'



Rasiya Ko Naar Banao Ri

रवीन्द्र त्रिपाठी - समीक्षा - नाटक 'लेडीज संगीत'

Manglesh Dabral, Ravindra Tripathi, Naresh Saxena, Mrs & Mr. Mr. Vishnu Nagar
Manglesh Dabral, Ravindra Tripathi, Naresh Saxena, Mrs & Mr. Mr. Vishnu Nagar


रसिया को नार बनाओ री- हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में लोकप्रिय है और इसे कुमार गंधर्व सहित कई गायकों ने गाया है। जनमानस में इसकी खास तरह की पारंपरिक स्मृति है। लेकिन यही पद पिछले दिनों आद्यम नाट्य समारोह में हुए नाटक `लेडीज संगीत’ में एक नया और आधुनिक अर्थ ग्रहण कर लेता है।


Harpreet Singh
Harpreet Singh


यौन विमर्श से संबंधित। युवा नाट्य निर्देशक पूर्वा नरेश द्वारा निर्देशित `लेडीज संगीत’ यौनिकता, नारी विमर्श और परिवार रूपी संस्था की वैचारिकता को प्रश्नांकित करनेवाला  एक ऐसा नाटक है जो शास्त्रीय संगीत की वैचारिक पृष्ठभूमि की भी पड़ताल करता है और कई समकालीन सवालों से भी जूझता है।  नाटक ये सब करता है बेहद ही सहज और सरल तरीके से। चुस्त संवादों और अप्रत्याशितताओं से परिपूर्ण `लेडीज संगीत’ एक ओर तो मनोरंजक है और दूसरी ओर सदियों से हम सब के दिमागों में बैठे कई पूर्वग्रहों पर प्रहार करनेवाला।


Shikha Talsania, Loveleen Mishra


नाटक शुरू होता है एक परिवार में हो रही शादी की तैयारियों से। शादी एक हवेली में हो रही है और उसका सारा जिम्मा एक वेडिंग प्लानर के जिम्मे है। राधा नाम की जिस लड़की की शादी हो रही वो आधुनिक सोच वाली है इसलिए शादी के पुराने तौर तरीके उसे असहज बनाते हैं। लहंगे के वजन से लेकर बुजुर्गों के पैर छूने के तरीके जैसे मसले उसे परेशान करते हैं। राधा की मां और पिता की आपस में नहीं बनती और एक ही घर मे रहते हुए वे अलग अलग रहते है। राधा की दादी शास्त्रीय संगीत की गायिका है और उनके अपने नियम कायदे हैं। कहानी में नाटकीय मोड़ तब आता है जब राधा के मन में शादी को लेकर असमंजस शुरू होता है और वह सिड, जिससे उसकी शादी होनेवाली है, से बातचीत करने के दौरान तय करती है इस शादी का कोई औचित्य नहीं है इसलिए इसे स्थगित कर दिया जाना चाहिए। राधा की मां और पिता को जब इसके बारे में पता चलता है तो वे आपसी मनमुटाव के बावजूद इसके बारे में बात करते हैं। और इसी दौरान रहस्योद्घाटन होता है कि राधा का पिता एक लंबी शादीशुदा जिंदगी बिताने के बावजूद समलैंगिक है और अपनी पत्नी के साथ नहीं बल्कि अपने पार्टनर के साथ बाकी जिंदगी गुजारना चाहता है। क्या राधा की दादी और परिवार के दूसरे सदस्य इसे स्वीकार करेंगे?

Siddharth Kumar , Shikha Talsania
Siddharth Kumar , Shikha Talsania



`लेडीज संगीत’ समकालीन और पारंपरिकता के टकरावों को उभारने वाला नाटक है। पति-पत्नी के बीच शारीरिक और आत्मीय रिश्ते खत्म हो जाने के बावजूद क्या एक साथ रहना जरूरी है? क्यों कोई औरत अपने कटु वैवाहिक जीवन के अनुभवों के बावजूद उसी तरह के बंधन में अपनी बेटी को बांधना चाहती है? क्या कभी कभी मातृसत्ता भी पुरुषसत्ता की तरह लड़कियों के लिए दमघोंटू हो जाती है। आस्ट्रिया की नोबल पुरस्कार विजेता लेखिका एलफ्रेड एलीनेक का उपन्यास `द पियानो टीचर’ इसी तरफ संकेत करता है। हालांकि उतने बड़े स्तर पर तो नहीं लेकिन एक हद तक `लेडीज संगीत’ भी इसी तरफ इशारा करती है। हालांकि ये पेचीदा मसला है और कोई सरलीकृत निष्कर्ष निकालना उचित नहीं होगा फिर भी इस खतरे के बावजूद इतना तो कहना पड़ेगा कि कुछ मामलों में मातृसत्ता और पुरुषसत्ता में कोई विरोध नहीं होता है और कभी कभी दोनों के `आदर्श’ एक हो जाते हैं।
Loveleen Mishra | Megha || Joy Sengupta | Yash || Gopal Dutt | Hosadiya || Shikha Talsania |Radha || Siddharth Kumar | Sid || Nivedita Bhargava | Dadi || Sarika Singh  | Madhura Bua || 
Ketaki Thatte |Manju/Choreographer || Monica Gupta | Babli Bua || Trisha Kale | Rukmini ||Niranjan Iyengar | Kailash/Chacha || Harsh Dedhia | Costume Designer || Bhaavesh Gandhi | Choreographer || Sujeet Sawant | Set Designer || Sriram Iyengar | Set Designer || Harpreet | Musician


पर ये सब इस नाटक के सैद्धांतिक पहलु हैं। एक नाट्य प्रस्तुति के रूप में `लेडीज संगीत’ अपने संगीत, अभिनय पक्ष, वस्त्र परिकल्पना और  मंच-सज्जा के लिए भी बांधता है। संवादों में हास्य के प्रसंग भी गुंथे हुए हैं और गोपाल भट्ट (वेडिंग प्लानर), लवलीन  मिश्र (राधा की मां),  शिखा तलसानिया (राधा), जॉय सेनगुप्ता (राधा के पिता) और निवेदिता भार्गव ने (राधा की दादी) अपने अभिनय से भी लगभग दो घंटे की अवधि वाले इस नाटक को बांध कर रखा।

Loveleen Mishra | Megha || Joy Sengupta | Yash || Gopal Dutt | Hosadiya || Shikha Talsania |Radha || Siddharth Kumar | Sid || Nivedita Bhargava | Dadi || Sarika Singh  | Madhura Bua || 
Ketaki Thatte |Manju/Choreographer || Monica Gupta | Babli Bua || Trisha Kale | Rukmini ||Niranjan Iyengar | Kailash/Chacha || Harsh Dedhia | Costume Designer || Bhaavesh Gandhi | Choreographer || Sujeet Sawant | Set Designer || Sriram Iyengar | Set Designer || Harpreet | Musician
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1 टिप्पणियाँ

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (21-07-2016) को "खिलता सुमन गुलाब" (चर्चा अंक-2410) पर भी होगी।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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