प्यार में महिलाएं पुरुषों से अधिक निडर होती हैं — मृदुला गर्ग #ZeeJLF



जेएलऍफ़ में रोमांटिक उपन्यास 'लास्ट ईमेल' और मृदुला गर्ग 

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मृदुलाजी के कार्यक्रम पर यह छोटी टिप्पणी  में हुए उनके कार्यक्रम के बाद, जेएलऍफ़ के ब्लॉग के लिए लिखी थी जो जेएलऍफ़ की वेबसाइट पर है. कल मृदुलाजी का फ़ोन आया था, ख़ूब  लम्बी बतकही चली, और फिर याद आया कि उनके अंग्रेज़ी उपन्यास वाली बात यहाँ शब्दांकन पर तो कही ही नहीं, आप सब के लिए. इसलिए हाज़िर है..

और मैं भले ही जेएलऍफ़ 2018 के हिंदी सत्रों में नहीं जा पाया, लेकिन नमिताजी को शुक्रिया उन्होंने इस दफ़ा हिंदी का बहुत खूबसूरत परचम लहराया, उनके हाँथों को ईश्वर मजबूतियाँ दे, क्योंकि अब यह तो तय है कि आने वाले वर्षों में ये परचम बड़ा होता जायेगा...पैरललों को क्या पता कि ज़ज्बा क्या होता है!   

भरत तिवारी

 प्यार में महिलाएं पुरुषों से अधिक निडर होती हैं — मृदुला गर्ग
मृदुला गर्ग और मालाश्री लाल; जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2018

स्कॉटलैंड का निवासी, उपन्यास का नायक, जिसके उपन्यासकार से दशकों पहले रूमानी सम्बन्ध रह चुके हैं...


भारत में अंग्रेजी में लिखना वैसे तो कोई असाधारण बात नहीं है। एक बड़ा वर्ग है इस देश में अंग्रेजी लेखकों का और भारतीय मूल के लेखकों को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति भी मिलती रहती है। मृदुला गर्ग हिंदी पट्टी की बड़ी लेखिका हैं, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आज उनकी नयी किताब का लोकार्पण हुआ… किताब का नाम है ‘द लास्ट ईमेल’ और भाषा अंग्रेज़ी। यह तो नहीं कह सकते कि हिंदी-साहित्य के लिए यह कैसी घटना है, जब उसका साहित्य अकादमी सम्मानित लेखक अंग्रेजी में उपन्यास लिखता है, लेकिन हिन्दुस्तानी-अंग्रेजी-उपन्यास-संसार के लिए यह अवश्य ही ख़ुशी का विषय है, क्योंकि इतना परिपक्व और मौलिक लेखक मिलने से भारतीय-अंग्रेजी पाठकवर्ग और मृदुला गर्ग के वह प्रशंसक जो अब तक उन्हें पढ़ने के लिए अनुवाद का इंतज़ार करता था,  दोनों ही लाभ में रहेंगे।

दिल्ली यूनिवर्सिटी की पूर्व डीन और अंग्रेजी की प्राध्यापिका मालाश्री लाल ने ‘द लास्ट ईमेल’ का लोकार्पण, विशेष रूप से तैयार किये गए, परदे में ढंके, पुस्तक के दो फीट ऊंचे आवरण पर से परदे को हटा कर किया। लोकार्पण में उपन्यासकार चंद्रहास चौधरी भी साथ थे। मृदला गर्ग का उपन्यास-अंश पाठ, यह जानते हुए कि वह हिंदी की वरिष्ठ लेखिका है, सुनना अजीब लग सकता था, इसलिए उसे अंग्रेजी मान कर ही सुना और यह महसूस हुआ कि उपन्यास का बेहद सजीव और ज़मीनीरूमानियत हिंदी साहित्य को हजम नहीं होने वाली बात हो सकता है। कहानी में वह बोल्डनेस है जिसके बिना महिलाओं को पितृसत्ता की लड़ाई में बढ़त नहीं मिल सकती। मालाश्री लाल ने कार्यक्रम की शुरुआत में उपन्यास पर बोलते हुए कहा कि मृदुला ने वह कहानी कह दी है जिसे कहने से हम हिचकिचाते हैं — यानी बढ़ती उम्र की मोहब्बत — उपन्यास पूरी तरह से आत्मकथा नहीं है लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा लेखिका के अपने जीवन का अंग है।

स्कॉटलैंड का निवासी, उपन्यास का नायक, जिसके उपन्यासकार से दशकों पहले रूमानी सम्बन्ध रह चुके हैं, उनकी कृति ‘चितकोबरा’ को पढ़ने के बाद, किस तरह दोबारा उनसे ईमेल की मदद से संपर्क बनाता है और कैसे वह रूमानी सम्बन्ध दोबारा इलेक्ट्रोनिक खतों की ज़रिये शुरू हो जाता है आदि को मृदुला जी ने ईमेल शैली में लिखा है। मालाश्री लाल ने उपन्यास को ट्रांसनेशनल बताया क्योंकि यह भारत और स्कॉटलैंड दो देशों का जीवन दिखाता है; और ट्रांस-लैंग्वेज भी, क्योंकि उपन्यास हिंदी, अंग्रेजी, अनुवाद की बातें भी जोड़े हुए है; उपन्यास राष्ट्रवाद की बात भी करता है, जिसे वह उपन्यास में दोनों देशों को जोड़ने वाली कड़ी की तरह देखती हैं।

मृदला गर्ग बोल्ड और निडर लेखिका हैं, डिग्गी पैलेस का ‘मुग़ल टेंट’ जहाँ यह कार्यक्रम हो रहा था, बीच में एक पल को अवाक रह गया और फिर तालियाँ गूंजी जब वो बोलीं “प्यार मेंमहिलाएं पुरुषों से अधिक निडर होती हैं” उसके बाद उन्होंने महिलाओं को वैसे भी पुरुष से ज्यादा निडर बताया।

कार्यक्रम के बाद पाठकों द्वारा खरीदी गयी प्रति पर अपना हस्ताक्षर करते हुए उनकी आँखों में साहित्य की जीत की चमक दिख रही थी।

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2 टिप्पणियाँ

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (12-02-2018) को "प्यार में महिलाएं पुरुषों से अधिक निडर होती हैं" (चर्चा अंक-2876) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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  2. sahi kaha, pyaar main mahilaayen................ kyon n hon. kuchh baat bigad jaaye to rape ka kaanoon hai,molestation ka kaanoon hai,domestic violence ka kaanoon hai,dahej ka kaanoon hai,mard bechaara kya khaa kar pyaar karega?

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