tag:blogger.com,1999:blog-7457103707258421115.post8354703266099251175..comments2024-03-29T09:31:38.264+05:30Comments on Shabdankan शब्दांकन: बेमिसाल गज़लकार श्री प्राण शर्मा की दो ताज़ा गज़लेंBharathttp://www.blogger.com/profile/09488756087582034683noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7457103707258421115.post-5295538675328804932013-10-08T14:13:19.960+05:302013-10-08T14:13:19.960+05:30जीवन की कुछ चुनिन्दा बातों को बाखूबी शेरों में ढाल...जीवन की कुछ चुनिन्दा बातों को बाखूबी शेरों में ढाल दिया प्राण साहब ने ... ओर यही खासियत है इनकी गज़लों की जो हमेशा आकर्षित करती है ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7457103707258421115.post-32143478326169212942013-10-06T13:12:17.745+05:302013-10-06T13:12:17.745+05:30dono gajlon ko pad kar main abhubhut ho gayaa hoon...dono gajlon ko pad kar main abhubhut ho gayaa hoon esaa lagaa jaise ve hamse baat kar rahii hain -<br />e "pran" kitna khaali sa lagta hai aaspaas <br />jab aadmi ko chhod kar jaati hai jindagee.<br />bahut hee shareshth gajlen hain,bahut-bahut badhai bhai pran jee ko. ashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7457103707258421115.post-82652507947500596022013-10-06T11:18:49.640+05:302013-10-06T11:18:49.640+05:30लाजवाब -- बस यही एक लफ्ज़ है जो प्राण साहब की ग़ज़...लाजवाब -- बस यही एक लफ्ज़ है जो प्राण साहब की ग़ज़लें पढने के बाद ज़ेहन में आता है। ऐसी सरलता ग़ज़ल में अन्यत्र ढूंढना बहुत मुश्किल है . एक एक शेर कसा हुआ निहायत सादगी से पाठकों के दिल में उतर जाता है . जो लोग ग़ज़लों में मुश्किल उर्दू लफ़्ज़ों का प्रयोग करते हैं और मानते हैं के उनके बिना ग़ज़ल नहीं कही जा सकती उन्हें प्राण साहब की ग़ज़लें पढनी चाहियें। आपने उन्हें बेमिसाल ग़ज़ल कार का शीर्षक बिलकुल सही दिया है .<br /><br />प्राण साहब की इन दोनों बेमिसाल ग़ज़लों को हम पाठकों तक पहुँचाने के लिए आपका आभार. <br /><br />नीरज नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7457103707258421115.post-65266527859893075862013-10-06T10:55:51.144+05:302013-10-06T10:55:51.144+05:30ज़िन्दगी को सरलता से शब्दों में पिरो देना कोई प्रा...ज़िन्दगी को सरलता से शब्दों में पिरो देना कोई प्राण शर्मा जी से सीखे ……सीधे सरल शब्दों में गहरी मार करती दोनों गज़लें ज़िन्दगी की हकीकतों से मिलवा देती हैं और हमें खुद से।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7457103707258421115.post-36623830073652584832013-10-05T20:30:18.702+05:302013-10-05T20:30:18.702+05:30प्राण साहेब, दोनों ही गजले उम्दा है , पर पहली ग़ज़ल ...प्राण साहेब, दोनों ही गजले उम्दा है , पर पहली ग़ज़ल ने वाकई गज़ब ढा दिया है . ज़िन्दगी के सारे मायने आपने अपने शेरो में लिख दिया है . <br />आपको सलाम . <br />विजय vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.com