विजय मोहन सिंह लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैंसभी दिखाएं
आलोचकों की दृष्टि वहां तक नहीं पहुंच पाती जहां तक रचनाकारों की दृष्टि पहुंचती है - अनंत विजय
‘राग दरबारी’ तीन कौड़ी का उपन्यास है  - विजय मोहन सिंह