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हे वलेक्सा एक फ़ड़कता व्यंग्य लिखो ना ~ मलय जैन | Vyangya by Maloy Jain
गर्दिश के दिन (आत्मकथ्य) — हरिशंकर परसाई | Harishankar Parsai Vyangya in Hindi
बारूद भाई की फ्रेंड रिक्वेस्ट और फुस्स प्रोफ़ाइल — मलय जैन
हरिशंकर परसाई — 'जिंदगी और मौत का दस्तावेज़' [वसीयतनामा फरमाइशी] | Harishankar Parsai Vyangya in Hindi
गो टू हेल का मतलब और चर्चित मीडियाकर्मी कलाप्रेमी प्रकाश के रे का बाल की खाल उधाड़ना
शादी की कहानी बताइए : हंस में प्रकाशित मलय जैन की कहानी 'शालिगराम की नतबहू'
व्यंग्य ―  स्वार्थ के बवंडर तले राजधानी ―  डॉ अनिता यादव
चूकिए नहीं, फौरन पढ़िए यह पिता—पुत्र संवाद
एक जान दो ज़बान ― अशोक चक्रधर
विश्व हिन्दी दिवस  — अशोक चक्रधर
दस तक ही क्यों? —अशोक चक्रधर
काल के कपाल पर धमाल ~ रघुवंश मणि
यारा दस्तक देत अठारा — अशोक चक्रधर