अगर आप अपने राष्ट्र से प्रेम करते हैं तो यह जरूर देखें Kunal Kamra शब्दांकन Shabdankan ▲▲ लाइक कीजिये अ…
मामला हार-जीत का है ही नहीं। स्त्री द्वारा पुरुष के सामने अपने अस्तित्व की रक्षा करने का है — अशोक चक्रधर — चौं रे चम्पू! औरत सनी द…
व्यंग —घोड़ा की टांग पे, जो मारा हथौड़ा Arifa Aris' satire बचपन में गाय पर निबन्ध लिखा था। दो बिल्ली के झगड़े में बन्दर का न्…
मौन की राष्ट्रभाषा —अशोक चक्रधर मीडिया शाश्वत सजीव पेटू है, जिसे चौबीस घंटे भोजन चाहिए — चौं रे चम्पू! हरियाना और जेएनयू पै इत…
रवीन्द्र कालिया, शुद्धतावाद के विशुद्ध विरोधी - अशोक चक्रधर दायें से रवींद्र कालिया, ममता कालिया, चित्रा मुद्गल, मधु गोस्वामी और अशोक …
सम विषम दिल — अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! सम और विसम के चक्कर में दिल्ली के दिल कौ का हाल ऐ? —दिल में सम-विषम संख्याएं नहीं होतीं…
चौं रे चम्पू यादों के खट्टे-मीठे फल अशोक चक्रधर हिन्दी हमारे देश में बैकफुट पर रहती है, कभी अपने आपको बलपूर्वक आगे खड़ा नहीं करती। …
चौं रे चम्पू भैंस का एक कान गया अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! बजट में किसानन के तांईं कछू नायं कियौ का? —किया है, लेकिन दूसर…