इस निर्मम समय में हम निराश-हताश लोगों से बचते हैं - प्रेम भारद्वाज वसंत के हत्यारों की खोज हम सब जो जीवित हैं अपना एक जीवन गुजा…
पैगाम-ए-सियासत क्या कहिए… ~ प्रेम भारद्वाज वे सम्मान लौटा रहे हैं / नहीं, वे प्रतिरोध की गोलियां दाग रहे हैं... चरम निराशा की अवस…
सुंदर सिर्फ बगीचा नहीं, संसार भी होना चाहिए प्रेम भरद्वाज आओ कि आत्महत्या करें! लाश वह चीज है जो संघर्ष के बाद बच रहती है उसमें सहे…
लेखक बनना खुशी की बात नहीं... प्रेम भारद्वाज ‘भूत’ हूं मैं ‘‘ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया ये इंसां के दुश्मन समाजों की दु…
अपनी सोच को विस्तार देने की गति को निरंतर बढ़ाना और उनसे जन्मे विचारों को शब्दों में परिवर्तित करने की कला को लगातार निखारना और समन्वय रखना मुश्कि…
कुछ रोज़ पहले हतप्रभ था कि लोग बीते दिनों आसाम में हुई हत्याओं की तुलना पेशावर में हुई बच्चों की हत्या से अजीब ढंग से कर रहे थे, समझ नहीं आया कि क्या…