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Ghazal: अभिषेक कुमार अम्बर, युवा शायर की ग़ज़लें
कविता—दोहे—ग़ज़ल—ओ—नज़्म :: गौरव त्रिपाठी
Ghazal: उलझ रहा हूं, सुलझ रहा हूं #प्रतापसोमवंशी ulajh raha hūñ @PratapSomvanshi
मैनें कब माँगी खुदाई मुस्कुराने के लिए... #shair #ghazal
खेल पुराना नई बिसातें — डॉ. मालविका की ग़ज़लें #shair #kavya