युवा शायर अभिषेक कुमार अम्बर पाँच ग़ज़लों का आनंद उठाइए. मुझको रोज़ाना नए ख़्वाब दिखाने वाले। बेवफ़ा कहते हैं तुझको ये …
कविता—दोहे—ग़ज़ल—ओ—नज़्म, पक्की है युवा कवि गौरव त्रिपाठी के कलम की सियाही अलमारी कभी गौर से देखा है? घर की अलमारी…
प्रताप सोमवंशी की ग़ज़ल Pratap Somvanshi Ki Ghazal उलझ रहा हूं, सुलझ रहा हूं, उजड़ रहा हूं, संवर रहा हूं जितना खुद में डू…
मैनें कब माँगी खुदाई मुस्कुराने के लिए डॉ. एल.जे भागिया ‘ख़ामोश’ की ग़ज़ल मैनें कब माँगी खुदाई मुस्कुराने के लिए…
उधर चुपचाप लूटे जा रही सब कुछ सियासत इधर हम खुल के नग्में इन्क़लाबी गा रहे हैं — मालविका डॉ. मालविका को लेखन विरासत में मिला …
तिरे जाने का ग़म घटता नहीं है tire jaane ka gham ghat'ta nahi.n hai — भरत तिवारी जन्मदिन मुबारक सर, आपके लिए कही मेरी एक ग़ज़ल... …
Vahi waqiye dohrane lage / Jinhe bhulne me zamane lage - Bharat Tiwari वही वाक़िये दोहराने लगे जिन्हें भूलने में ज़मान…
मैं ख़्याल हूँ किसी और का | Main Khayaal Hun Kisi Aur Ka | میں خیال ہوں کسی اور کا सलीम कौसर Saleem Kausar سلیم کوثر मैं ख़्याल हूँ…