कहानी : रेप मार्किट (अगला भाग)- गुलज़ार #Gulzar Story final part
हैदराबाद , खुफिया तंत्र की नाकामी - जनसत्ता
चार कविता - रश्मि प्रभा
कविता में कवि-मन दिखाई देना चाहिए- लीलाधर मंडलोई
शिशु और शव का मिटता फर्क - प्रेम भारद्वाज
आयोजन: बंगीय हिन्दी परिषद्‍ -स्थापना दिवस
सिनेमा के सौ साल  की अनकथ कथा - डॉ. सुनीता
"वे हमें बदल रहे हैं..."  राजेन्द्र यादव | बलवन्त कौर