होली के मुक्तक - सुधेश
खेलूंगी  ई-होली! - सुमन सारस्वत
गन्ध : कहानी - श्याम सखा 'श्याम'
'मुझे बोन्साई अच्छे नहीं लगते' कवितायेँ : प्राणेश नागरी
माँ कहती है परी हूँ मैं... आँचल उन्नति
बिट्टू की मुलाकात (संस्मरण) - ड़ॉ प्रीत अरोड़ा
डॉ सरस्वती माथुर की कवितायेँ
अक्ल बड़ी या भैंस - ओम थानवी
लोकार्पण : व्यंग्यऋषि शरद जोशी - डॉ वागीश सारस्वत
सन्धिकाल में स्‍त्री व अन्य कवितायेँ : मायामृग