परिचय:  प्रेम शर्मा
सोच कर जवाब देना
हम से अब नादानियाँ होती नहीं - सोनरूपा विशाल
जीवंत भाषा जनता के कारखाने में ढलती है - राहुल सांकृत्यायन
पुराना मार्क्सवाद सेक्सुअलिटी नहीं समझने देता - अभय दुबे
ग्यारह रचना आभा की
रक्षा में हत्‍या -  मुंशी प्रेमचंद
लोकार्पण:  ‘ख़्वाब ख़याल और ख़्वाहिशें’ - कैप्टन नूर