सौवीं गली का प्रवेश : दिलीप तेतरवे - कहानी (व्यंग्य)
लघु कवितायें - शैलेन्द्र कुमार सिंह
कवितायेँ: ट्रैफिक रेड सिग्नल - सुमन कुमारी
आप बहुत याद आए प्रसन्न दा - मज़कूर आलम
मजरुह सुल्तानपुरी को याद करते - सुनील दत्ता
क्या हमारे मगध की मौलिकता में कुछ कमी है? - अभय कुमार दूबे
लिखने से मुझे वह मिलता है जो आपको कभी नहीं मिला – कृष्ण बिहारी
रमणिका गुप्ता की नवीनतम प्रकाशित 2 पुस्तकों पर चर्चा एवं लोकार्पण
कवितायेँ: डा. लालित्य ललित