अपने पंखों को आकाश दो - गीताश्री
पूरे मुल्क को लगना है चासास्का का चस्का - संजीव कुमार
कवितायेँ - ऐन सूरज की नाक के नीचे : सुमन केसरी
दो गज़लें - मूसा खान अशांत
कवितायेँ - रविश ‘रवि’
कविताएँ  -  कल्याणी कबीर
कहानी: तमाशा  - सुश्री कविता
मिट्टी की संजीवनी - इन्दुमति सरकार