मनीषा कुलश्रेष्ठ - कहानी : स्वांग  | Manisha Kulshrestha
विचारों के कारागार में बंद वामपंथी - अनंत विजय
आज है उनका जन्म दिन "शकील बदायुनी" - सुनील दत्ता
तीन गज़लें - तीन रूप ( बचपन , जवानी और बुढ़ापा ) - प्राण शर्मा , यू .के
पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है ? - अनंत विजय
लाशों का रंग देखना ठीक नहीं है - गोविन्दाचार्य
प्रेमचंद की परंपरा का संकुचन करते वरवरा राव  - जनसत्ता
हंस की सालाना संगोष्ठी ※Hans' Annual Conference
स्टंटबाज़ी / नये मानकों की प्रयोगशाला – अशोक गुप्ता
स्वीकारने से क्या सितम सहनीय हो जाता है - प्रेम भारद्वाज
दूसरे समय में कहानी - अशोक मिश्र
लघुकथा - दिस इस अमेरिका - डॉ. अनीता कपूर