एक युग का अंत ''डॉ राजेन्द्र यादव का साहित्यिक परिवेश से अचानक चले जाना-एक युग के अंत जैसा है, इस अभाव की पूर्ति नहीं जा सकती''…
राजेन्द्र यादव और ओम थानवी Rajendra Yadav and Om Thanvi
डियर फ़ादर आदरणीय राहुल जी, भोत गल्त बात है । इतनी गल्त बात है कि लंबी चिट्टी का मूड नहीं बन रहा । नागपुर से लौटते वक्त कल हवाई जहाज़ में टा…
किसी के जाने से समय रुकता नहीं, साहित्य भी समय सा ही गतिमान, समय सा निष्ठुर कहाँ किसी के आने जाने से विचलित हुआ है, किंतु राजेन्द्र यादव का आना और अ…
लगभग 7-8 साल पहले प्रेस क्लब जयपुर में उन्हें सुना, उनकी बातें जेहन में आज भी है, उतर गईं थीं दिल तक । राजेन्द्र यादव जी ने कहा था - " …
कितनी कमज़ोर थी हमारी तैयारी, और आगे और भी कमज़ोर है अशोक गुप्ता दुनिया में मौत से बड़ा सच और कोई नहीं है. अगर अकाल मृत्यु की बात छोड़ दें, तो उम्…
'पाखी' के राजेंद्र यादव पर केंद्रित सितंबर-2011 अंक के संपादकीय का किंचित संशोधित प्रारूप। 29 अक्टूबर 2013 को राजेंद्र यादव के देहावसान पर …