तमंचे की नोक पर स्त्री लेखन और हाशिए उलांघती औरत - गीताश्री समय बदला, तकनीक बदली, दुनिया की शक्लो सूरत बदल गई, रहन सहन बदल गए, जीवन शैली बदल …
' नयी सदी की दहलीज पर ', हिन्दी आलोचना के लिए वर्ष 2013 का 'देवीशंकर अवस्थी सम्मान' युवा आलोचक विनोद तिवारी को उनकी 2011 में प्रक…
अरे! देखिए वो यहाँ तक कैसे पहुंच गई... उसने जल्दबाज़ी में बाथरूम का नल बंद किया और आगे के कमरे में बैठे अपने पति को चिल्लाते हुए आवाज़ लगाई। पति जो…
28-29 मार्च 2014 को स्कूल आॅफ इंटरनेशनल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज के कमेटी रूम नं 203 में ‘हाशिये उलांघती औरत’ के…
राग देश अथ श्री गिरगिटिया चश्मा कथा! - क़मर वहीद नक़वी चुनाव गरम है. चाय ठंडी हो चुकी है! लड़ाई घनघोर है. कहते हैं, युद्ध और प्रेम में सब क…
चौं रे चम्पू बैंकाक क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन —अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! बैंकाक के हिंदी सम्मेलन के बारे में चौं नायं बतावै? —आप जानना …
आततायी की प्रतीक्षा - अशोक वाजपेयी एक सभी कहते हैं कि वह आ रहा है उद्धारक, मसीहा, हाथ में जादू की अदृश्य छड़ी लिए हुए इस बार रथ पर नहीं,…
संसार की रहस्यमयताओं को खोलती प्रियदर्शन की कविता यह जो काया की माया है हाथ ये हाथ हैं जिन्होंने हमें आदमी बनाया-…
शादी के पहले प्राण शर्मा - सुसन, मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ। - मैं भी तुमसे बेहद प्यार करती हूँ - हमें एक दूसरे से मिलते हुए दो साल हो …
भारतीय मुसलमान और 2014 का आम चुनाव - शमशाद इलाही शम्स (कनैडा) यह भारत का पहला ऐसा चुनाव है जिसके एजेंडे से 20 करोड़ मुसलमान और 20 करोड़ दलित आबा…
मैं सेफ सीट का खेल नहीं खेल रहा - अरविंद केजरीवाल - सिद्धांत मोहन तिवारी समय तुरत-फुरत बदलावों का है। इस बदलाव भरे समय में बनारस की जनता ने म…
सेलेब्रटिंग कैंसर! - विभा रानी धन तो आप कहीं से भी जुटा लेंगे, लेकिन मन की ताकत आप सिर्फ अपने से ही जुटा सकते हैं। …
चौं रे चम्पू थाई पुण्यवी की अल्पना —अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! कब लौटि कै आयौ बैंकाक ते? —कल रात ही लौटा हूं। तीन दिन पहले वहां एक…
Sheen Kaaf Nizam at Sabad- A World Poetry Festival by Sahitya Akademi & Ministry of Culture