मुलायम जी, आपको औरतों से इतनी ही परेशानी है तो हमसे हमारे जीने का अधिकार ही क्यों नहीं छीन लेते। क्यों नहीं अपराधियों के लिए देश के सबसे बड़े…
स्वामी सदानंद सरस्वती द्वारा विरचित अथ राक्षस चालीसा सपने महं शंकर दियो मो कहं यह उपदेश । राक्षस चालीसा रचहु, यह मेरो आदेश।। जो कछु शंकर…
‘ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउन्डेशन-अमेरिका’ तथा ‘हिन्दी चेतना-कैनेडा ’ द्वारा प्रारंभ किये गये साहित्यकारों और साहित्य के सम्मानों के नाम चयन के लिए निर्णायक…
चौं रे चम्पू किसके पास नहीं हैं द्रोणाचार्य — अशोक चक्रधर — चौं रे चम्पू! उदैपुर ते सूधौ ई मुंबई चलौ गयौका? द्रोणाचार्य ने एकलव्…
चर्चा में दो किताबें गोधरा दंगों के बाद मोदी पर दो लेखकों के विरोधाभासी तर्क ------------------------------------------------- दो क…
विनोद तिवारी और समकालीन आलोचना रचनाकार का यह आरोप कि, आलोचक ने उसकी रचना को समझा ही नहीं है, उसने अपने मन और विचार से असंगत निष्कर्षों को मेरी…
मीडिया का अतिरेकी आचरण - अशोक मिश्र देखते ही देखते वर्ष 2013 धीरे से विदा हो गया और एक नए साल के साथ ही हम वर्ष 2014 में आ पहुंचे हैं । अगर ह…
नारे विकास के हों, सपने भविष्य के हों, बातें सुशासन की हों, दावे कड़क कप्तानी के हों, तेवर टनाटन ओज के हों, और टीका हिन्दुत्व का हो, तो फिर और क्य…
तमंचे की नोक पर स्त्री लेखन और हाशिए उलांघती औरत - गीताश्री समय बदला, तकनीक बदली, दुनिया की शक्लो सूरत बदल गई, रहन सहन बदल गए, जीवन शैली बदल …
' नयी सदी की दहलीज पर ', हिन्दी आलोचना के लिए वर्ष 2013 का 'देवीशंकर अवस्थी सम्मान' युवा आलोचक विनोद तिवारी को उनकी 2011 में प्रक…
अरे! देखिए वो यहाँ तक कैसे पहुंच गई... उसने जल्दबाज़ी में बाथरूम का नल बंद किया और आगे के कमरे में बैठे अपने पति को चिल्लाते हुए आवाज़ लगाई। पति जो…
28-29 मार्च 2014 को स्कूल आॅफ इंटरनेशनल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज के कमेटी रूम नं 203 में ‘हाशिये उलांघती औरत’ के…