‘राग दरबारी’ तीन कौड़ी का उपन्यास है  - विजय मोहन सिंह
एक पराधीन राष्ट्र की सबसे बड़ी और आधुनिक चेतना राष्ट्रवाद ही होगी - प्रियंवद | Renaissance - Priyamvad
कवितायेँ: स्वप्निल श्रीवास्तव (hindi kavita sangrah)