ठंडा गोश्त -सआदत हसन मंटो ईश्वरसिंह ज्यों ही होटल के कमरे में दांखिला हुआ, कुलवन्त कौर पलंग पर से उठी। अपनी तेज-तेज आँखों से उस…
मेरी कविताएँ - अंजु अनु चौधरी गांधारी तुम आज भी जीवित हो जब भी आज किसी बेटे से कोई अपराध हो जाता है हर किसी की सोच में गां…
सामयिक सरस्वती शब्दों का उत्सव अप्रैल-जून 2015 प्रवेशांक ००००००००००००००००
आत्म-मुग्धता, हिप्पोक्रेसी और बौखलाहट का मिला-जुला एक नाम है उदय प्रकाश * चित्र १ - दयानंद पांडेय तुम जैसे नीच, झक्की और सनकी आ…
युवा पीढ़ी के पास नैतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सपने नहीं हैं... -कृष्ण बिहारी समय से बात -११ युवा पीढ़ी के पास जोश है. उत्साह है. …
दुष्कर्मी - प्राण शर्मा पंद्रह वर्ष की दीपिका रोते - चिल्लाते घर पहुँची। माँ ने बेटी को अस्त-व्यस्त देखा तो गुस्से में पागल हो गयी - "…
वर्तमान साहित्य, मार्च, 2015 साहित्य, कला और सोच की पत्रिका सदस्यता प्रपत्र डाउनलोड करें वर्ष 33 अंक 2 मार्च, 2015 सलाहकार संपादक: …
साहित्य के चोर-उचक्के -अनंत विजय हाल के दिनों में लेखकों की एक ऐसी पीढ़ी सामने आई है जो साहित्य को सीढ़ी बनाकर प्रसिद्धि हासिल करना चाह…