कहानी: सन्नाटे की गंध - रूपा सिंह Bharat Tiwari शनिवार, जनवरी 31, 2015 0 बेड़ियाँ तोड़े बिना आगे जा पाना असंभव है ... हिंदी साहित्य की यही रुढ़ीवादी बेड़ियां पाठक को अन्य भाषाओँ के साहित्य की तरफ मुड़ने को 'मजब... Read More
दिनेश कुमार शुक्ल की तीन कवितायें | Poems - Dinesh Kumar Shukla (hindi kavita sangrah) Bharat Tiwari गुरुवार, जनवरी 29, 2015 दिनेश कुमार शुक्ल की तीन कवितायें खिलखिलाहट .................................... 1 तुम से बात करना अब और कठिन ... Read More
माउथ ऑर्गन - नरेश सक्सेना (hindi kavita sangrah) Bharat Tiwari बुधवार, जनवरी 28, 2015 उस रोज़ नरेश सक्सेना जी का जन्मदिन था, नरेश जी बेहतरीन कवि... संयोग से 16 जनवरी 2014 की उस शाम मैं भी लखनऊ में था, उनके साथ था. और फिर... Read More
इंदिरा दाँगी (दांगी) के आगामी उपन्यास ‘रपटीले राजपथ’ का अंश Bharat Tiwari बुधवार, जनवरी 28, 2015 0 इंदिरा दाँगी के आगामी उपन्यास ‘रपटीले राजपथ’ का अंश इन कहानियों को ज़रा सुधारने के बदले मे इतना बड़ा सम्मान हाथ से कोई स्थापित साहित्यक... Read More
साहित्य अकादेमी आयोजित करेगा 'गोपीनाथ महांति' जन्मशती संगोष्ठी Bharat Tiwari मंगलवार, जनवरी 27, 2015 0 साहित्य अकादमी सम्मान , नेहरु सम्मान, ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित ओड़िआ उपन्यासकार पद्मभूषण गोपीनाथ महांति की जन्मशती आगामी १-२ फरवरी को ... Read More
कहानी: सिरी उपमा जोग - शिवमूर्ति Bharat Tiwari रविवार, जनवरी 25, 2015 0 कहानी सिरी उपमा जोग शिवमूर्ति किर्र-किर्र-किर्र घंटी बजती है। एक आदमी पर्दा उठाकर कमरे से बाहर निकलता है। अर्दली बाहर प्रतीक... Read More
रवीश की रिपोर्ट नहीं 'लप्रेक' के साथ जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में होगी राजकमल प्रकाशन की 'सार्थक' पहल Bharat Tiwari शुक्रवार, जनवरी 23, 2015 ‘सार्थक’ पहल के साथ जेएलएफ में उतरेगा राजकमल प्रकाशन गुलाबी शहर में साल की शुरूआत में ही आयोजित होने वाले सबसे बड़े साहित्य महोत्सव- ... Read More
'वर्तमान साहित्य' दिसम्बर 2014 Bharat Tiwari गुरुवार, जनवरी 22, 2015 0 वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 31 अंक 12 दिसम्बर, 2014 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया संपादक: विभूति ना... Read More
कहानी- नये साल की धूप : सुभाष नीरव Bharat Tiwari मंगलवार, जनवरी 20, 2015 0 कहानी नये साल की धूप सुभाष नीरव स्मृतियाँ अकेले आदमी का पीछा नहीं छोड़तीं। बूढ़े अकेले लोगों का सहारा तो ये स्मृतियाँ ही होती हैं ज... Read More
बीते हुए दिन कुछ ऎसे भी थे - राजेन्द्र राव Bharat Tiwari शुक्रवार, जनवरी 16, 2015 0 संस्मरण बीते हुए दिन कुछ ऐसे भी थे - राजेन्द्र राव उन दिनों हिंदी समाज के मध्य वर्ग में साहित्यिक रुचि को सम्मानपूर्वक दृष्... Read More