tag:blogger.com,1999:blog-7457103707258421115.post1528469211576084270..comments2024-03-29T09:31:38.264+05:30Comments on Shabdankan शब्दांकन: स्त्री यौनिकता की कहानी — महुआ मदन रस टपके रे — विभा रानीBharathttp://www.blogger.com/profile/09488756087582034683noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7457103707258421115.post-88011424254721439162020-04-09T22:09:46.142+05:302020-04-09T22:09:46.142+05:30अब तक मैंने ऐसे कहानी नहीं पढ़ी थी...वह भी एक लेखिक...अब तक मैंने ऐसे कहानी नहीं पढ़ी थी...वह भी एक लेखिका की कलम से स्त्री के संबंध में बिना किसी लाग-लपेट के,बेबाक ढंग से। औरत-मर्द दोनों की मनःस्थिति व कामेच्छा का सटीक वर्णन किया है।संभोग शब्द को जहाँ जनसाधारण काम-क्रीड़ा या रति क्रीड़ा के साधारण अर्थ में परिभाषित करते हैं वहीं लेखिका ने इस शब्द का विशेष अर्थ समझाने में भी सफल रही हैं। कहानी पर ओशो के विचारों का भी प्रभाव देखने को मिलता है,ओशो कहते हैं कि विवाह समाज ने तय किया है प्रकृति ने नहीं,यह बंधन समाज ने बनाया है। संभोग के लिए शादी-विवाह की अनिवार्यता समाज ने तय की है। वाकई यह कहानी स्त्री की कामनाओं व इच्छाओं की खुली किताब है। हिंदी हैं हमhttps://www.blogger.com/profile/05047241614343380430noreply@blogger.com