"मेरी दाढ़ी और मेरा मुल्क" के बहाने, विश्व स्तर पर भारत की पहचान और डॉ सच्चिदानंद जोशी मुझे याद आ गया 1984 का साल। उन दिनों भी मैं …
सवारी-सवारी-सवारी !!! पुल बंगश — चद्दरवाला — भोलू शाह | नलिन चौहान संग दिल्ली नलिन चौहान का दिल्ली पर लिखा हर वाक्य मेरा प्रिय होता जा…
ऐश ट्रे, जैश-ए-मोहम्मद और वैलेंटाइन डे प्रेमा झा की कविता मैं एक संगठन बनाऊँगी और तमाम ऐसी लड़कियां शामिल करुँगी जो जवान आतंकि…
कृष्णा सोबती की कहानी आज़ादी शम्मोजान की 'भूरे-भूरे' उसने आवाज़ लगाई। शम्मोजान की सीढ़ियों पर बैठा भूरा किसी नौजवान छोकरे क…
ऑल द बेस्ट -डॉ सच्चिदानंद जोशी सुबह के साढ़े सात बज रहे थे। रेडियो पर संगीत सरिता कार्यक्रम की धुन बज रही थी। एफ एम के न जाने कितने चौन…