प्रो. नामवर सिंह की चूक थी कि निर्मल वर्मा को ... | नामवर पर विश्वनाथ - 2
जिसे सब पढ़ते हैं उसे कौन पढ़ाता है ? — विनीत कुमार
रेशम के लच्छे जैसी स्वर लहरियाँ | नामवर पर विश्वनाथ - 1
कवि को न पढ़े गए से पढ़ें! —  सुधा सिंह — आलोकधन्वा की कविताओं का सार, संसार
अवैध डाटा चोरी से लोकतंत्र की रक्षा हो — शशि थरूर