डॉ. रश्मि - दो लघुकथाएँ

चिड़ियाँ


खुले आसमान में चिडियों का एक झुंड इठला रहा था. मस्ती में उड़ान भरती चिडियों के मन में उमंगें थीं कि, 'मैं उस आसमान को छुऊँगी' 'मैं उधर उड़ान भरुंगी' 'मैं इन्द्रधनुष में रंग भरुंगी'. तभी उन नादानों की नज़र धरती पर गयी और उनका कलेजा बैठ गया. कुछ बहेलिये तीर लगाकर निशाना साधे थे. कोई शिकारी जाल बिछाकर दाने डाल रहा था. कहीं सोने के पिंजरे सजे थे जिनमे कई तरह की लुभावनी चीजें थीं. सहसा चिडियों को अहसास हुआ कि उनके पंख कतरे जा चुके हैं. अब आसमान खाली है, कोई चिडिया कुलांचे नहीं भर रही


लेखक


लेखक महोदय घर पहुंचे तो भीतर से आती बातचीत कि आवाजें सुन दरवाज़े पर ही रुक गए| 'देखो बहन, ये है इनकी नई छपी किताब|' उनकी पत्नी अपनी सहेलियों को लेखक महोदय कि नई स्व-रचित पुस्तक दिखा रहीं थीं व बडबडा रहीं थीं, 'न जाने इन्हें क्या सूझी कि दोस्तों से कर्जा लेकर ये किताब छपवाई | लोग-बाग़ वाह-वाही करके एक-एक किताब ले जाएंगे और एक पैसा भी न थमाएंगे। यदि कुछ चर्चा-वर्चा हो भी गई तो क्या एक मैडल ही तो पाएंगे |' हाथ नचाते हुए वे आगे फिर बोलीं , 'न जाने ये किस माटी के बने हैं ? दिन पर दिन सोना महंगा होता जा रहा है, इतने रुपयों में तो एक बढ़िया सा हार बनवा लेती | सारी उम्र पहनती और बुढापे में उसके लालच पर बहू से सेवा भी करवा लेती |'

डॉ . रश्मि , 'कबीर काव्य का भाषा शास्त्रीय अध्ययन' विषय में पी-एच .डी . हैं . लेखन व शिक्षण से जुड़ी वो अमर उजाला, दैनिक भास्कर, कादम्बिनी, पाखी, हंस, दैनिक ट्रिब्यून आदि सभी के साथ लघुकथाओं, कविताओं व पुस्तक समीक्षा के लिए सम्बध्ह हैं
शब्दांकन अपना योगदान उनकी दो लघुकथाओं को प्रकाशित कर दे रहा है. 

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
कहानी: छोटे-छोटे ताजमहल - राजेन्द्र यादव | Rajendra Yadav's Kahani 'Chhote-Chhote Tajmahal'
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी