सियोल में नौकरी से निकाल दिया गया एक रेल कर्मचारी है। उस कर्मचारी ने शहर की एक सोलह मंज़िला फ़ैक्ट्री की चिमनी पर अपना डेरा जमा लिया है और महीनों तक…
बीते दिनों बाबा, गुलज़ार साहब हमारे शहर फ़ैज़ाबाद गए थे. बड़ा मन था वहाँ उस समय होने का, जा नहीं सका लेकिन, शहर की उभरती लेखिका कंचन जायसवाल ने अपने (…
Mahajani Sabhyata... Nand Chaturvedi on Premchand नैतिक प्रतिबद्धता होने के कारण ही प्रेमचंद का विरोध स्तर…
विश्व पुस्तक मेले से लौट कर ... — राजिन्दर अरोड़ा
क़मर वहीद नक़वी (Qamar Waheed Naqvi) भारत के सम्मानीय पत्रकार हैं और उनके चाहने वाले हर वर्ग से आते हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक लम्बी (थ्रेड) ट्वीट…
रवीश कुमार जब कुछ कहते हैं तो कुछ, या किसी को बख़्शते नहीं हैं। एंकर नविका कुमार के कार्यक्रम में बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद …
अब किसी पुस्तक के कितने संस्करण छपते हैं और कितने दिनों के अंतराल पर छपते हैं और कितनी प्रतियाँ छपती हैं, यह मुद्दा नहीं है बल्कि, दो-चार-दस-बीस प्र…
कन्हैयालाल मुंशी ने 1938 में भारतीय विद्याभवन की योजना को मूर्त रूप देने का का दायित्व मुनि जिनविजय को सौंपा। वे इसके पहले मानद निदेशक बनाए गए। वि…
मृदुला गर्गजी की कहानियों का संग्रह ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ राजकमल प्रकाशन से आया है। उसकी भूमिका में मृदुलाजी ने कहानियों, उपन्यासों की रचनाप्रक्रिया क…
इस बदलते जग में बस तुम्हीं तो हो जो साथ हो अटल हो तुम, अचल हो तुम न साथ मेरा छोड़ना तुम मेरे पास रहो
डॉ शशि थरूर का लेख: किसी परीकथा से भी आगे है सोनिया गांधी की जीवनकथा, जो गुजरी है बेहद दुरूह रास्तों से! सोनिया गांधी की असंभव कहानी! साभार नवजीव…
The real problem is that the Sangh Parivar dislikes diversity. and the film world embodies the very idea of India's diversity in the way in whic…
राष्ट्रवाद और देशभक्ति में अंतर को समझना जरूरी ~ शशि थरूर
Amrit Rai, the younger son of Munshi Premchand मानव मन की विसंगतियों, परतों, अंधेरों, उजियारों का जैसा ज्ञान अमृतराय को है वह अमृत राय की रचनाओं में…
वाजिद अली शाह: एक लखनवी - एक हिंदुस्तानी — दुष्यंत इश्क़ मिज़ाज, संगीत और नृत्य आदि कई वाजिब वजहों से वाजिद अली शाह को याद किया जाता है, वे…
शब्दों का संसार — शशि थरूर खलीज टाइम्स के संपादक ने जब मुझे शब्दों और भाषा के ऊपर स्तम्भ लिखने के लिए आमंत्रित किया तो मैं तोड़ा झिझका। शब्दों के…
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के विकास से ही भारत का विकास संभव है। - डॉ पीएस वोहरा भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी एक दीर्घकालीन वैश्विक पहचान है जो कि भारत की स…
भारतीय गांव और उपन्यास का नॉर्मेटिव स्पेस — डॉ. कविता राजन
अश्विन सांघी वह पब्लिक इन्टलेक्चूअल हैं जिनकी बात सबको सुननी चाहिए। अश्विन के तर्क असली होते हैं, और शायद यही कारण है कि असलियत से दूर भागते ल…
इरफ़ान ख़ान पर लिखा, विविध भारती के उद्घोषक, फिल्मों के गहरे जानकार, लेखक यूनस ख़ान का यह लेख इरफ़ान ख़ान की जीवनी तो नहीं है, लेकिन अब तक…