कविता में प्रत्येक शब्द और पंक्ति पर विचार करते हैं लेकिन कहानी में नहीं। कहानी की भी उसी तरह से व्याख्या होनी चाहिए | नामवर पर विश्व…
रेशम के लच्छे जैसी स्वर लहरियाँ | नामवर पर विश्वनाथ - 1 नामवरजी ने आलोचक के रूप में जितनी ख्याति पाई उतनी ख्याति वह कवि रूप में भी पा…
‘प्रेमचंद सामंत का मुंशी’ पढ़ने के बाद फिर मेरी इच्छा नहीं हुई कि मैं धर्मवीर को और पढूँ प्रो. नामवर सिंह व्याख्यान …
नामवर विफलताएँ - 3 — अशोक वाजपेयी पढ़ें ! नामवर विफलताएँ - 1 नामवर जी ने कोई नई पत्रिका नहीं निकाली साहित्य के संस्थागत रूप की …
Prof Namvar Singh's 90th Birthday Exclusive Ashok Vajpeyi's critical analyses of Prof Namvar Singh's work Part 2 of 3 …
Prof Namvar Singh's 90th Birthday Exclusive Ashok Vajpeyi's critical analyses of Prof Namvar Singh's work Part 1 of 3 इस…
नामवर होना ... ~ भरत तिवारी महान तो सब बनना चाहते हैं। अब ये अलग बात है कि इन दिनों - बनें भले ही नहीं, लेकिन ख़ुद को महान समझना और औरों को …
Jeevan kya Jiya - 5 Namvar Singh जीवन क्या जिया! ( नामवर सिंह लिखित आत्मकथा का अंश) हिन्दी का गढ़ तो दिल्ली है, इलाहाबाद है, बनारस…