नाटक तो भावनाओं का खेल है – इब्राहिम अल्काज़ी – रवीन्द्र त्रिपाठी
रवीन्द्र त्रिपाठीजी के मेरे बड़े भाई होने के सम्बन्ध की नीव में पिता-समान राजेन्द्र यादवजी हैं । रवीन्द्रजी से मैं यह आग्रह करता रहता हूँ क…
एक अलग तरह के सलमान हैं यहां। अपनी छवि से अलग। न मारधाड़ और न कमीज उतारकर अधनंगे बदन खलनायकों की पिटाई करनेवाले ट्यूबलाइट: इस फिल्म में …
भक्ति काव्य में कई आवाजें हैं और इनको सुनना आलोचक का काम है पांच भक्त कवि — मुरली मनोहर प्रसाद सिंह समीक्षा — रवीन्द्र त्रिपाठी भक…
लड़कियों को लेकर कितना बदला समाज? रवींद्र त्रिपाठी सन् 2012 के दिंसबर में दिल्ली में `निर्भया- हादसा’ हुआ था। उसके बाद औरतों को लेकर क…
Rasiya Ko Naar Banao Ri रवीन्द्र त्रिपाठी - समीक्षा - नाटक 'लेडीज संगीत' Manglesh Dabral, Ravindra Tripathi, Naresh Saxena…
क्या राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है? इस प्रश्न का जवाब है हां। कौन हैं इस जो इस खेल में शामिल हैं? वे हैं…
विवाद ? उत्तर की प्रियंका - पूर्वोत्तर की `मेरी कॉम’ An Unwanted Controversy ? Mary Kom Vs Priyanka Chopra or North-East Vs North र…
मत्स्य न्याय और विश्व व्यापार की खौफनाक सूचनाएं रवीन्द्र त्रिपाठी ह्यूबर्ट सौपर ( Hubert Sauper ) की आस्ट्रियन-फ्रांसीसी-बेल्जियम डॉक्यूमे…
हंस – एक अंजुमन जिसमे जाना था बारबार रवींद्र त्रिपाठी राजेंद्र यादव के बारे में कहां से बात शुरू करूं? शुरू से शुरू करूं या अंत से? शुरुआत तो …