बंबई में मैं निरंतर लोगों के बीच घिरा रहता था। यहां ओशो ने मुझे अपने निजी उद्यान में बागवानी करने के लिए कहा। बाग़ क्या बिलकुल जंगल था। वहां आप…
आगे पढ़ें »हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद दो नहीं हैं — ओशो प्रह्लाद कभी हुए, न हुए, प्रह्लाद जानें। लेकिन इतना मुझे पता है, कि पुराण में जिस तरफ इशारा है, …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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