अनारकली — अंजना वर्मा ‘‘ऐ ! चुप रह। जब देखो तब मुस्कुराती रहती है, ठी-ठी-ठी-ठी हँसती रहती है। न कोई सोच, न कोई चिंता। थोड़ी भी शरम है…
शब्दांकन को अपनी ईमेल / व्हाट्सऐप पर पढ़ने के लिए जुड़ें