यह कैसी पत्रकारिता है? सत्ताधारी विचारधारा से कैसा गठजोड़ है? खुला खेल फ़र्रुख़ाबादी! इतना अपमान जो मुझ दर्शक से न बरदाश्त हुआ, वे क्यों …
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