'तहलका' पत्रिका वह काम कर रही है ... जिसे सारे समाज द्वारा किये जाने की ज़रुरत है - उस सच को कहने की क्षमता रखना जिसका नहीं-कहा-जाना…
शकुन्तला — स्मृति जाल उपन्यास अंश यह महाभारत की शकुन्तला की कथा नहीं, एक और शकुन्तला की कहानी है। नमिता गोखले की अपनी स्मृति और कल्प…
ये वो समय है - जब ‘सच’ से सरोकार रखने वाली तक़रीबन हर बात और खबर आदि छुपा दी गयी है, अभिव्यक्ति एक ऐसे दौर से गुज़र रही है, जिसके बुरा होने और इसे जा…
हंसती खेलती सी दिखने वाली ये कहानी दरअसल हमारे समय के भयावह सत्य को उजागर करती है और अपनी रोचकता भी बनाये रखती है। पुरुषोत्तम जी ने एक साथ तीन-चार ग…