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हंस में प्रकाशित कहानी 'मकतल में रहम करना' — प्रेम भारद्वाज
इसे समाजवाद मत कहिए पार्टनर, यह हमारी सोच का पटरी हो जाना है — प्रेम भारद्वाज
प्रेम भारद्वाज - सुंदरता दुनिया को बचा सकती है, आदमी को नहीं
इंटरव्यू : पाखी संपादक प्रेम भारद्वाज की पटना में अमित किशोर से बकैती
तालिबानी फरमान की सरगोशियां - प्रेम भारद्वाज |  India and Indians - Prem Bhardwaj
होरी आत्महत्या करना चाहता है - प्रेम भरद्वाज | Prem Bhardwaj on India & Suicides
ईश्वर करे कोई लेखक न बने - प्रेम भारद्वाज | Prem Bhardwaj's Editorial

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तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
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