गुलज़ार साहब को कैसे भी पढ़िए, उनके शब्दों की चमक सबसे जुदा, चमकदार और सटीक होती है। उनके गद्य में भी नज़मों की रवानगी होती है। शब्दांकन पर आप पहले भी …
आगे पढ़ें »गुलज़ार की ज़ुबानी ,भवानीप्रसाद मिश्र के चार कौए (विडियो: साभार ' खटाक ') बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले, उन्होंने यह तय किया …
आगे पढ़ें »पंकज शुक्ल भारत के एक निहायत पिछड़े गांव मझेरिया कलां, उन्नाव (उ.प्र) में पैदा हुए और दिल्ली, मुंबई से लेकर लंदन, अमेरिका तक रिपोर्टिंग और फ…
आगे पढ़ें »We the homeless / बेघर हम Sukrita Pual Kumar / गुलज़ार सुकृता की कविता जब गुलज़ार के दिल से तर्जुमा होगी तो कैसा समां होगा... …
आगे पढ़ें »Happy birthday Gulzar sahab धुआँ — गुलजार बात सुलगी तो बहुत धीरे से थी, लेकिन देखते ही देखते पूरे कस्बे में 'धुआँ' भर …
आगे पढ़ें »खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो? गुलज़ार खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो? एक ख़ामोश-सा जवाब तो है। डाक से आया है तो कुछ कहा होगा "कोई …
आगे पढ़ें »India Pakistan Border Story in Hindi एल.ओ.सी — गुलज़ार 1948 की झड़प के बाद... हिन्दूस्तान के बार्डर पर, फ़ौजें तक़…
आगे पढ़ें »गुलज़ार ... ग़ज़ल Photo: Bharat Tiwari दिखाई देते हैं, धुन्ध में अब भी साये कोई मगर बुलाने से वक़्त लौटे न आये कोई …
आगे पढ़ें »गुलज़ार की बातें करें... आइये यतीन्द्र मिश्र की बातें सुनें मीलों से दिन छोड़ आए सालों सी रात ले के चले यतीन्द्र मिश्र बहुत ख़ूबसूरत है हर…
आगे पढ़ें »ग़ुलज़ार — एक नाम, जो कविता को ख़्याल, ख़ुशबू और ख़ामोशी में पिरो देता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत दस कविताएँ उनके भावलोक की झलक हैं, जो दिल को छूकर…
आगे पढ़ें »जिन गुलज़ार के साथ फोटो खिंचाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है वे केदारजी के साथ फोटो खिंचवाने का इसरार कर रहे थे। केदारनाथ सिंह के बारे में उदय…
आगे पढ़ें »क्या कोई फ़लक पर चाँद रखने आ रहा है? गुलज़ार दियारे शब में क्या कोई फ़लक पर चाँद रखने आ रहा है ? किसी आशिक़ के आने की ख़बर है ? या को…
आगे पढ़ें »मैं नीचे चल के रहता हूं.... जनाज़ा गुलज़ार मैं नीचे चल के रहता हूं ज़मीं के पास ही रहने दो मुझ को मुझे घर से उठाने में बड़ी आसानी होगी …
आगे पढ़ें »1857 गुलज़ार एक ख़्याल था...इन्क़लाब का इक जज़बा था सन अठारह सौ सत्तावन!! एक घुटन थी, दर्द था वो, अंगारा था, जो फूटा था डेढ़ सौ साल हुए…
आगे पढ़ें »को-पायलट* गुलज़ार बहुत कम लोग थे फ्लाइट में, और वो था उस आधी रात की फ्लाइट में कम ही लोग होते हैं अँधेरे में चले थे हम, मगर कुछ देर मे…
आगे पढ़ें »पहला भाग दूसरा भाग वो स्टेशन पर उतरते ही ऐसे उठा ली गई जैसे कोई फुटपाथ पर पड़ा सिक्का उठा ले! ट्रेन रुकी ही थी कि एक आदमी ने …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
Social Plugin