अनामिका शालीन महिला हैं. अगर वह जरा भी टेढ़ी हो जाएं, तो लपंटाचार्य जिदंगी भर के लिए अपनी लंपटई भूल जाएं! सुधीश पचौरी कवयित्री …
साहित्य एक समोसा — सुधीश पचौरी मैं देख रहा था कि साहित्य का अंत हो रहा है और उसका चिर सखा समोसा कोने में पड़ा रो रहा है। मुझे पता था कि…
साहित्यकारों में फैले अजनबीपन, अकेलेपन, आत्म-निर्वासन, अवसाद, आत्म-संघर्ष, वर्ग-संघर्ष, चिड़चिड़ेपन और गाली-गलौज आदि सब व्याधियों से मुक्ति दिल…
दी और दा हिंदी में एक ऐसा ‘लिटररी स्फीयर’ बनाते हैं कि उसकी फॉर्म कुछ होती है, और कंटेंट कुछ और होता है 😂 — सुधीश पचौरी …
साहित्य विरोध कुलभूषण — सुधीश पचौरी जिस साहित्यकार का कोई नाम लेवा, पानी देवा नहीं होता, ये हमलावर उसे इतना बड़ा बनवा द…
खामोश, विज्ञापन जारी है.... अशोक गुप्ता मानवीय संवेदना और अस्मिता के सामने यह एक बर्बर और विरोधी समय है, और इसकी लगाम पूरी …