सहित्य-विरोधी सम्मान घोषित होगा ? — सुधीश पचौरी



साहित्य विरोध कुलभूषण

— सुधीश पचौरी 

sudhish pachauri

जिस साहित्यकार का कोई नाम लेवा, पानी देवा नहीं होता, ये हमलावर उसे इतना बड़ा बनवा देते हैं कि स्वयं हमलायित चाहने लगता है कि अगली बार भी ऐसा ही हो और वह और भी बड़ी खबर बने। क्या पता मैगसेसे वालों की नजर पड़ जाए और वह मैगसेसे हो जाए।
साहित्य को पढ़ते-पढ़ाते, लिखते-लिखाते, छपते-छपाते मुझे कुछ नए ‘शाश्वत सत्य’ प्राप्त हुए हैं, जिन्हें शेयर करने जा रहा हूं। जैसे —

‘मारने वाला मरने वाले से बड़ा होता है’
  ‘पीटने वाला पिटने वाले से बड़ा होता है’
    ‘प्रतिबंध की मांग करने वाला ‘आजादी-आजादी’ चिल्लाने वाले से बड़ा होता है’
      ‘न लिखने वाला लिखने वाले से बड़ा होता है’
        ‘सियाही फेंकने वाला सियाही के शिकार से बड़ा होता है’
         ‘चप्पल मारने वाला चप्पल लगने वाले से बड़ा होता है’
           ‘बयान दिलाने वाला बयान देने वाले से बड़ा होता है’
             ‘कंडम कराने वाला कंडम करने वाले से बड़ा होता है’
              ‘साहित्य संगीत कला विहीन’ छाप
                ‘साहित्य संगीत कला’ छाप से बड़ा होता है’।


                ये कुछ नए शाश्वत सत्य हैं, जो इन दिनों ‘साहित्य संगीत कला’ के क्षेत्र में दस्तक देते रहते हैं। मसलन, अगर एक तमिल लेखक के एक उपन्यास ने एक समुदाय की भावनाएं न भड़काईं होतीं, तो क्या वह एलान करता कि उसका ‘लेखक मर गया है’। क्या हम एक लेखक द्वारा ‘अपना मरने’ को मनाते देख सकते थे? क्या अदालत किसी लेखक से कहती कि हे लेखक, तू मरा नहीं है, तू जिंदा है, तू लिख? क्या एक मामूली से गांव से निकलकर एक लेखक किसी लिटफेस्ट में शिरकत कर पाता? अंग्रेजी मीडिया उसे लिफ्ट देता? न लेखक का विरोध होता, न उसको बैन करने की मांग की जाती, और न लेखक जगत-प्रसिद्ध हो पाता। इसी तरह, एक और दाक्षिणात्य लेखक के एक उपन्यास को लेकर एक समूह ने हमला कर दिया। लेखक मीडिया में आ गया। मीडिया ने उसे खबर बनाया और उसकी आजादी की हिफाजत में पुकार हुई। हुई, तो और बड़ी खबर बनी।

यह उदाहरण बताता है कि ‘मरने’ वाले से ‘मारने’ वाला बड़ा होता है। ‘पिटने वाले’ से ‘पीटने वाला’ बड़ा होता है। हमलायित से हमला करने वाला बड़ा होता है, क्योंकि जिस साहित्यकार का कोई नाम लेवा, पानी देवा नहीं होता, ये हमलावर उसे इतना बड़ा बनवा देते हैं कि स्वयं हमलायित चाहने लगता है कि अगली बार भी ऐसा ही हो और वह और भी बड़ी खबर बने। क्या पता मैगसेसे वालों की नजर पड़ जाए और वह मैगसेसे हो जाए।

इसी तरह, एक 16 साल की गायिका के गानों पर फतवा जारी कर दिया गया। इधर फतवा जारी हुआ, उधर वह नेशनल मीडिया में छा गई। एंकर कहते कि आप गाइए। हम आपके साथ हैं। देश साथ है। वह गाती और बहुत मधुर गाती।

न फतवेबाज होते, न वह खबर बनती, न एंकर इसरार करके गवाते। न ‘पद्मावती’ का विरोध करने वाले होते, न भंसाली, दीपिका और रनबीर खबर में आते, न इससे पहले करन जौहर खबर बनते, न उससे पहले पंजाब उड़ पाता

इसीलिए मैं प्रतिबंध की मांग करने वालों को अप्रतिबंधनीय से बड़ा मानता हूं, विरोध करने वालों को न करने वालों से बड़ा मानता हूं, हमला करने वालों को, तोड़-फोड़ करने वालों को ‘टूटने-फूटने’ वालों से बड़ा मानता हूं।
ये ‘साहित्य संगीत कला’ के नए शाश्वत सत्य हैं और अपने होने के प्रमाण भी देते रहते हैं। एफआईआर करने की पुकार होती है। केस चलाने की मांग होती है। इसी तरह, ये नया इतिहास बनाते रहते हैं। जिस ‘स्पीड’ से इन दिनों ये शाश्वत सत्य अपना प्राकट्य करते हैं, उससे लगता है कि एक दिन इनका इतिहास कला के इतिहास से बड़ा और मोटा होगा।

एक दिन विरोध करने वालों को ‘साहित्य विरोध रत्न’ ‘कला विरोध कुलभूषण’ की उपाधियां मिला करेंगी, सम्मान मिला करेंगे।


(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००
nmrk5136

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
सांता क्लाज हमें माफ कर दो — सच्चिदानंद जोशी #कहानी | Santa Claus hame maaf kar do
मन्नू भंडारी, कभी न होगा उनका अंत — ममता कालिया | Mamta Kalia Remembers Manu Bhandari