असल बात यह कि किसी बड़ी गाड़ी वाले छिछोरे को पकड़ने की हिम्मत न यूपी पुलिस के पास पहले थी और न अब है।
अमित मिश्रा
Anti-Romeo squad of police hauls up a youth in Lucknow on Wednesday. “Anti-Romeo squads” ordered by new Chief Minister of Uttar Pradesh, Yogi Adityanath have started work across the state. (Source: PTI Photo) |
एंटी रोमियो स्कवॉड के एक्शन पर एक बात गौर करके देखिए दोस्तो, पकड़े गए सारे लोग दुपहिया वाहन वाले या बिना वाहन वाले हैं। इससे दो बातें सिद्ध होती हैं
पहली यह कि दुपहिया वाहन वाले ही रोमियो सिंड्रोम से ग्रसित हैं और दूसरी कि कारों को लड़कियों के पीछे सरपट दौड़ाने वाले छेड़-छाड़ नहीं करते हैं (वो अलग बात है कि कार में बलात्कार की ख़बरें जब देखिये सुनाई देती हैं)।
असल बात यह कि किसी बड़ी गाड़ी वाले छिछोरे को पकड़ने की हिम्मत न यूपी पुलिस के पास पहले थी और न अब है।
यूपी में ट्रैफिक पुलिस की सामान्य चेकिंग में भी चौपहिया वाहनों का नंबर साल में एकआध बमुश्किल आता है और दुपहिया वाहन वाले हर हफ्ते इंश्योरेंस खत्म होने पर भी धर लिए जाते हैं। उन्हें धरा भी जाना चाहिए। लेकिन चार पहिया और दो पहिया के बीच ये अजब तरह का सामाजिक अन्याय पुलिसिया तंत्र का मनमाना समाजवाद है। इसका नजारा एंटी रोमियो मिशन में भी देखने को मिलेगा। देखते रहिए और नारे लगाते रहिए।लेकिन ये सनद रहे कि किसी धारा का समर्थन करने की रौ में इतना नहीं बह जाना चाहिए कि हर नियम-कायदे का पगहा पकड़ कर पीछे चलने लग जाएं।
एक लोकतंत्र के पुलिस स्टेट में तब्दील हो जाने में वक्त नहीं लगता। जिस दोस्त के घर का कोई मेंबर एंटी रोमियो क्वॉड के कहर का शिकार होगा उसे बात समझ में आएगी।
PS: एंटी रोमियो स्कवॉड की पकड़-धक़ड़ की वजह से शर्म से युवाओं की आत्महत्या की खबरों के लिए तैयार रहिए!
पहली यह कि दुपहिया वाहन वाले ही रोमियो सिंड्रोम से ग्रसित हैं और दूसरी कि कारों को लड़कियों के पीछे सरपट दौड़ाने वाले छेड़-छाड़ नहीं करते हैं (वो अलग बात है कि कार में बलात्कार की ख़बरें जब देखिये सुनाई देती हैं)।
असल बात यह कि किसी बड़ी गाड़ी वाले छिछोरे को पकड़ने की हिम्मत न यूपी पुलिस के पास पहले थी और न अब है।
यूपी में ट्रैफिक पुलिस की सामान्य चेकिंग में भी चौपहिया वाहनों का नंबर साल में एकआध बमुश्किल आता है और दुपहिया वाहन वाले हर हफ्ते इंश्योरेंस खत्म होने पर भी धर लिए जाते हैं। उन्हें धरा भी जाना चाहिए। लेकिन चार पहिया और दो पहिया के बीच ये अजब तरह का सामाजिक अन्याय पुलिसिया तंत्र का मनमाना समाजवाद है। इसका नजारा एंटी रोमियो मिशन में भी देखने को मिलेगा। देखते रहिए और नारे लगाते रहिए।लेकिन ये सनद रहे कि किसी धारा का समर्थन करने की रौ में इतना नहीं बह जाना चाहिए कि हर नियम-कायदे का पगहा पकड़ कर पीछे चलने लग जाएं।
एक लोकतंत्र के पुलिस स्टेट में तब्दील हो जाने में वक्त नहीं लगता। जिस दोस्त के घर का कोई मेंबर एंटी रोमियो क्वॉड के कहर का शिकार होगा उसे बात समझ में आएगी।
PS: एंटी रोमियो स्कवॉड की पकड़-धक़ड़ की वजह से शर्म से युवाओं की आत्महत्या की खबरों के लिए तैयार रहिए!
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