प्रतियोगिता का दबाव और कहानी तो परियां कहां रहेंगी — आकांक्षा पारे काशिव 100% पढ़ी जाने वाली और 101% तसल्ली बख्श कथा है आकांक्षा…
दूर से नीले रंग की बस ऐसे चली आ रही थी जैसे अगर एक्सीलेटर से पैर हटा तो चालान कट जाएगा। सड़क पर खड़े लोग तितर-बितर हो गए। बस ने चीखते हुए ब्…
इंडिया टुडे साहित्य वार्षिकी में प्रकाशित आंकाक्षा पारे की कहानी नीम हकीम रक्कू भैया का कहा ब्रहृम वाक्य। ऐसे कैसे टाल दें। तीन दिन…
Campus love a beautiful love story by Akanksha Pare मैंने मिताली को फोन किया और पहले दो-चार यहां-वहां की बातें करने के बाद बताया कि …
डियर पापा ~ आकांक्षा पारे पापा जी एक बड़ा वाला किस्सू आपके लिए। आप सोच रहे होंगे मैं इतना बड़ा हो गया हूं फिर भी आपको किस्सू कर र…
लखि बाबुल मोरे ~ आकांक्षा पारे मैं अपना वाक्य पूरा करती इससे पहले खरजती आवाज ने सूचना दी कि उनका बिल बन रहा है वह अपने जाने की तैयारी करें…
कहानी : दिल की रानी, सपनों का साहजादा आकांक्षा पारे काशिव मंजू पाटीदार और विशाल यादव की प्रेम कहानी 'दिल की रानी, सपनों का साहजादा&…
समीक्षा बनारसी राग दरबारी में आत्मगाथा - आकांक्षा पारे जो बातें दिल से निकलती हैं वे अक्सर मां के लिए ही होती हैं। यह उपन्यास भी ऐसा ही …