बाबू लोग बड़ी जात उनके पानी से डरते थे पर अनूठी बात उनकी बालाओं पर मरते थे हरे प्रकाश उपाध्याय की कविताएं कुछ-कुछ अदम गोंडवी की ग़ज़लों सरीखा, हमें खबर…
कवितायेँ, गुस्सा, चिंता और धूल-पसीना : हरे प्रकाश उपाध्याय दफ़्तर मेरे घर से दफ़्तर की दूरी अलग-अलग जगह रहने वाले मेरे सहकर्मियों…