अगस्त 1935 की ‘सरस्वती’ में हिन्दू महासभा के भाई परमानंद ने स्वराज्य की एक मजेदार अवधारणा प्रस्तुत की थी। उनके अनुसार धर्म और राष्ट्र का अविभ…
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