मजरुह सुल्तानपुरी 1 अक्टूबर 1919 − 24 मई 2000 चाक-ए-जिगर मुहताज-ए-रफ़ू है आज तो दामन सिर्फ़ लहू है एक मौसम था हम को रहा है शौक़-ए-बहाराँ तु…
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