अनामिका के नए उपन्यास आईनासाज़ की इस समीक्षा में सुनीता गुप्ता लिखती हैं कि "अनामिका के यहां प्रतिरोध की वह मुखर प्रतिध्वनि नहीं मिलती जो स्त…
आगे पढ़ें »कविता इतनी बेहतरीन ही होनी चाहिए, कि आप बार-बार ... बार-बार पढ़ें और जी न भरे. कि आपकी आँखों में नमी और भीतर की मुकुराहट चेहरे पर आ जाए. कि …
आगे पढ़ें »अमीर ख़ुसरो की शायरी, भारतीय-सूफ़ी परंपरा का ऐसा संगम है जिसमें भाव, भाषा और इतिहास की ध्वनियाँ साथ-साथ गूंजती हैं। इस लेख में प्रस्तुत रचना उनकी उसी…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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