देवतुल्य मेरे गुरु आर पी शर्मा जो आज के दिन हमें इस भँवर में छोड़ गए। उनकी याद में मेरी भावनाओं के सुमन जो अब भी ताजगी से भरपूर हैं। — देवी न…
ज़मीन की पगडंडियों पर चलते चलते इंसान जब लहूलुहान होता है, तब आयतें लिखीं जाती हैं। दर्द जब कतरा कतरा रिसने लगता है तो कलम से शब्द नहीं आयतें दर्…
अम्मा, रस्मो रिवाजों के धागों से बनी तार-तार चुनर मुझसे वापस लेले मैं तो पैबंद लगाकर थक गयी वो अपनी बेटी को कैसे पेश करुँगी ? माँ मुझ…
Sudha Om Dhingra's Conversation with Devi Nangrani ग़ज़ल अब हमारी तहज़ीब की आबरू बन गई है - देवी नागरानी दर्द नहीं दामन में जिनके ख़ाक वो जी…
जब भी खाने को दौड़ी है तन्हाइयाँ मेरी इमदाद को दौड़ी आती ग़ज़ल ग़मज़दा जब हुई, पास आती ग़ज़ल गुदगुदा कर है मुझक…
अनुभूत मनोदशाओं का एक दस्तावेज़ "पराया देश" देवी नागरानी प्राण शर्मा हिंदी के लोकप्रिय कवि और लेखक हैं, गीत एवम ग़ज़ल के जाने माने ह…