आसमान खुला तो नहीं था उस वक्त भी लेकिन बचपन की यादों में शायद धुआं नहीं होता पंकज राग की कविता पटना: ‘ढूंढ़ोगे अगर मुल्कों मुल्कों’…
Pankaj Rag dilli shahar dar... Pankaj Rag (Photo: Bharat Tiwari) शहर दर शहर - पंकज राग खुश हो लें कि आप दिल्ली में हैं खुश हो ल…