प्रेम के रंग कहाँ पकड़ आते हैं, कभी पानी का तो कभी आग का, कभी आकाश का नीलापन तो कभी गोधुलि... कथाकार 'हृषीकेश सुलभ' को बहुत अच्छी तरह इन र…
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