चलो, जो भी हो। मगजपच्ची से फायदा? करना है, तो करना है। आम बिना गुठली के आम नहीं। साथ उसको भी चाटना पड़ता है। आम खाना है, गुठली नहीं चाटनी, कैसे चलेग…
समीक्षा आवां: उपभोक्ता समाज का चक्रव्यूह-भेदन डॉ० कविता राजन बीसवीं सदी के अंतिम वर्ष में पूर्ण महाकाव्यात्मक व्याप्ति के साथ प्रस्तुत यह स्वातं…
चित्रा मुद्गल को उपन्यास पोस्ट बॉक्स नं.203-नाला सोपारा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार ममता कालिया स्त्रीविमर्श की हर सफेदपोश पुरोधा को ज़र…
चित्रा मुद्गल | प्रभु जोशी | मोहम्मद आरिफ | विनोद तिवारी को वनमाली सम्मान भोपाल। साहित्य और संस्कृति की मानक संस्था वनमाली सृजन …
रवीन्द्र कालिया का जाना एक अपूर्णीय क्षति है, क्योंकि वो ऐसे लेखक थे जिन्होंने 'ख़ुदा सही सलामत' जैसा उपन्यास दिया, जबकि उनके समक…
अल्पना मिश्र, वंदना राग, मनीषा कुलश्रेष्ठ, शरद सिहं और इंदिरा दागीं बेहतर लिख रही हैं - चित्रा मुद्गल चित्रा मुद्गल जी का ‘सामयिक सरस्वत…
आज चित्रा मुद्गल जी ने अपने जीवन के 73वें वर्ष में प्रवेश किया है. उन्हें जन्मदिन पर किस तरह बधाई दूं ? एक बेहतरीन कथाकार और उससे भी बेहतरीन इं…
वरिष्ठ साहित्यकार चित्रा मुद्गल जी की शब्दांकन से हुई बातचीत का हिस्सा ... प्रतिरोध की ताक़त कलम ~ चित्रा मुद्गल असहिष्णुता और असह…