प्रतिरोध की ताक़त कलम ~ चित्रा मुद्गल | Pen Is The Strength Of Resistance - Chitra Mudgal on Sahitya Akademi Awards


वरिष्ठ साहित्यकार चित्रा मुद्गल जी की शब्दांकन से हुई बातचीत का हिस्सा ...  

प्रतिरोध की ताक़त कलम 

~ चित्रा मुद्गल

प्रतिरोध की ताक़त कलम   ~ चित्रा मुद्गल | Pen Is The Strength Of Resistance - Chitra Mudgal
असहिष्णुता और असहमति का ये हिंसक रूप मेरे लिए निंदनीय ही नहीं विडम्बनापूर्ण है। चाहे वह नरेन्द्र धाबोलकर, चाहे गोविंद पंसारे, चाहे प्रो० एमएम कलबुर्गी या चाहे अख़लाक़ के सन्दर्भ में हो, एक विवेकशील समाज की संवेदनशीलता इससे आहत होती है। मैं समझती हूँ कि सम्मान किसी भी प्रतिबद्ध लेखक के लिए कलम की ताक़त से बढ़कर सम्मान नहीं होता। कलम की प्रतिरोध की ताक़त ही किसी भी सृजनात्मक लेखन की ताक़त है और हमें जटिल से जटिल और कठिन परिस्थितियों में भी कलम की ताक़त को नहीं भूलना चाहिए। जिस सृजनकार को साहित्य अकादमी सम्मान नहीं मिला है क्या पुरस्कार के बिना उसकी कलम की ताक़त शून्य है? साहित्य अकादमी अवार्ड लौटाने-वाले लेखक क्या अवार्ड लौटाने को ही अपना प्रतिरोध मानते हैं? लिखिए... लिखिए जिस चीज़ से आप असहमत हैं, वो असहमति दर्ज़ कराइए, लिख करके ये जताइए और सही की लड़ाई लड़िये। 


पीछे अखबारों में अशोक वाजपेयी का मेरे बारे में दृष्टिकोण आया है – मैं तो दंग हूँ – मुझे तो इसकी जानकारी ही नहीं थी। सुनकर हैरान हूँ कि उन्होंने सुधांशु रंजन जैसे बड़े मीडियाकर्मी से ये बात कही, क्योंकि एक-आध बार उन्होंने मेरे साथ महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में मंच को सौहार्दपूर्ण तरीके से साझा किया है – मैं मुख्य अतिथि रही हूँ और वो अध्यक्ष रहे हैं, तब उनके ऐसे अहंकारी और विस्मित करने वाले व्यवहार से मेरा सामना नहीं हुआ। ख़बर पढ़कर दिन भर लोगों के फ़ोन मेरे पास उनके इस असहिष्णु आचरण को लेकर आते रहे और मेरा यही कहना रहा कि जो आज हिंसक-असहमति के विरोध में साहित्य अकादमी सम्मान लौटा रहे हैं वो स्वयं अपने व्यवहार के विषय में भी चिंतन करें।  

अंत में मैं इतना ही कहूंगी कि मेरे लिए कलम से बड़ी कोई और ताक़त नहीं है, मुझे जो भी लड़ाई लड़नी है वह मैं अपनी कलम से लडूंगी। 

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1 टिप्पणियाँ

  1. सुना है सरकार नई पैन जारी करने वाली है जैसा की आजकल प्रतियोगी परीक्षाओं में किया जा रहा है । उसी से लिखा गया है कि नहीं जाँच का विषय भी होगा ।

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