प्रिय कवि मंगलेश डबराल जी, जिन्हें विनोद भारद्वाज जी साहित्य और कला में अपना अकेला हमउम्र दोस्त लिख रहे हैं, उनपर लिखा यह संस्मरण पढ़ने के…
आगे पढ़ें »अनामिका शालीन महिला हैं. अगर वह जरा भी टेढ़ी हो जाएं, तो लपंटाचार्य जिदंगी भर के लिए अपनी लंपटई भूल जाएं! सुधीश पचौरी कवयित्री …
आगे पढ़ें »मंगलेश डबराल का अग्निशेखर को खुला पत्र अपनी फेसबुक वाल पर अग्निशेखर मुझसे सवाल करते चले आ रहे हैं, जिनमें वामपंथी बुद्धिजीवियों की भी…
आगे पढ़ें »मं गलेश डबराल - कवितायेँ आसान शिकार मनुष्य की मेरी देह ताकत के लिए एक आसान शिकार है ताकत के सामने वह इतनी दुर्बल है और लाचा…
आगे पढ़ें »सिल की तरह गिरी है स्वतंत्रता और पिचक गया है पूरा देश सन उन्नीस सौ साठ के बाद का दशक भारतीय समाज में आज़ादी, लोकतंत्र और नेहरूयुगीन महास्वप्न…
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Vandana Rag
हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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